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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शत्रुओं द्वारा दिये हुए विषकी चिकित्सा । 0903030303030303080000 am खड़ाऊँ, जूते आसन और गहनों में विष । अगर विष-लगी खड़ाऊँ पहनी जाती हैं, तो पाँवमें सूजन आ जाती है, पाँव सो जाते हैं--स्पर्श-ज्ञान नहीं होता, फफोले या फोड़े हो जाते हैं और पीप निकलता है। जूते और आसन अथवा गद्दोंमें विष होनेसे भी यही लक्षण होते हैं। गहनोंमें विष होनेसे उनकी चमक मारी जाती है । वे जहाँ-जहाँ पहने जाते हैं, वहाँ-वहाँ जलन होती और चमड़ी पक और फट जाती है। चिकित्सा। (१) पीछे मालिश करनेके तेल में जो इलाज लिखा है, वही करना चाहिये अथवा बुद्धिसे विचार करके, पीछे लिखी लगानेकी दवाओंमेंसे कोई दवा लगानी चाहिये । विष-दूषित जल । sewastroGCGoyanwer अगर एक राजा दूसरे राजा पर चढ़कर जाता था, तो दूसरा राजा या राजाके शत्रु राहके जलाशयों-कूएँ , तालाब और बावड़ियोंमें विष घुलवाकर विष-दूषित करा दिया करते थे। “थे" शब्द हमने इसलिये लिखा है, कि आजकल भारतमें अंग्रेजी राज्य होनेसे किसी राजाको दूसरे राजापर चढ़ाई करनेका काम ही नहीं पड़ता। स्वतंत्र देशोंके राजे चढ़ाइयाँ किया करते हैं। सुश्रुतमें लिखा है, शत्रु-राजा लोग घास, पानी, राह, अन्न, धूआँ और वायुको विषमय कर देते थे । हमने ये बातें सन् १८१४ के विश्वव्यापी महासमरमें सुनी थीं । सुनते हैं, जर्मनीने विषैली गैस छोड़ी थी। जर्मनीकी विषैली गैसकी बात सुनकर भारतवासी आश्चर्य करते थे और उसके कितने ही महीनों तक पृथ्वीके प्रायः समस्त नरपालोंकी नाकमें दम कर देने For Private and Personal Use Only
SR No.020158
Book TitleChikitsa Chandrodaya Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHaridas
PublisherHaridas
Publication Year1937
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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