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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org १४४ चिकित्सा - चन्द्रोदय | है, गलेमें सूजन आती है, चिन्ता होती है और बुद्धि हीन हो जाती है । इस दशा में नीचे लिखे उपाय करो:-- Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (क) स्द खोलो। ( ख ) क़य और दस्त कराओ । ( ग ) खट्टी छाछ पिलाओ। (घ) मेवाओं के रससे मिज़ाज ठण्डा करो । 100000000 „........................oco.. ०००० सिन्दूर, पारा, शिंगरफ, हरताल और नीला थोथा के विकार नाश करने के उपाय | COOCCO 500.000 CONDUC..... ( १ ) जवासेको पानीके साथ पीसकर और रस निकालकर पी। इससे पारे और शिंगरफके दोष नष्ट हो जायँगे । ( २ ) रेंडी का तेल ५ माशे श्रधपाव गाय के दूध में मिलाकर पीनेसे पारे और शिंगरफके विकार शान्त हो जाते हैं। ( ३ ) सात दिनों तक, अदरख और नोंन खाने और हर समय में रखने से सिन्दूरका विष नाश हो जाता है । (४) नोंन १५० रत्ती, तितलीकी पत्ती १५० रत्ती, चाँवल ३०० रती और अखरोट की गिरी ६०० रत्ती -- सबको अञ्जीरोंके साथ कूटपीसकर खानेसे सिन्दूरका ज़हर नाश हो जाता है । ( ५ ) पारेके दोष में शुद्ध गन्धक सेवन करना, सबसे अच्छा इलाज है । For Private and Personal Use Only ( ६ ) अगर कच्ची हरताल खाई हो, तो तत्काल वमन करा दो। अगर देर से मालूम हो, तो हरड़की छाल दूध और घीमें मिलाकर पिलाओ। (७) अगर नीलाथोथा जियादा खा लिया हो, तो घी-दूध मिला-कर पिलाओ और बीच-बीचमें निवाया पानी भी पिलाओ।
SR No.020158
Book TitleChikitsa Chandrodaya Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHaridas
PublisherHaridas
Publication Year1937
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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