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(८८) ॥ श्री अभिनंदन स्वामीजीनी स्तुति ॥
॥ आप पदम लंघनं ॥ चाल ॥ ॥ अभिनंदन गुणमालिका, गावती अमरालिका । कुमतिकी परजालिका, शिव बहुचर मालिका । लगे ध्यानकी तालिका, आगमनी परनालिका ॥ इन्वरो सुर बालिका, वार नमे नित्य कालिका ॥१॥
॥ श्री सुमतिनाथ जिन स्तुति ॥
। त्वमशुमान्यभिनंदननंदिता ए देशी ॥ ॥ सुमति स्वर्ग दिये असुमंतने, ममत्व योह नहि भगवंतने । प्रगट ज्ञान वरी शिव बालिका, तुंबरु वीर नमे महाकालिका ॥१॥ इति ॥
॥ श्री पद्मप्रभुजिन स्तुति ॥
॥ नंदीश्वरे वर द्वीप संभारुं ॥ ए चाल । ॥ पद्मप्रभु हत छद्म अवस्था, शिवसझे सिद्धा अरूपस्था ।। नाणने देसण दोय विलासी,वोर कुमम श्यामा जिनुपासी॥शाइति
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