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(८) ११२था११६ श्री सिद्धाचलजीनां पांच .... १३२थो१३६ ११७थी१२१ श्री सिद्धचक्रजीनां पांच... .... १३७थी१४०
श्री वीशरथनकन (हारे मारे प्रणमुं सरस्वती) १४१ १२३
दीवाळीनुं (दीवाळीने दहाडेरे वीरप्रभुपामी) . १४२ श्री पयुषण- (प्रभु वीर जिगंद विचारी) १४३ श्री गौतमस्वामीन (पहेलो गणधर वीरनोरे) १४४
॥ छंद पांचनी अनुक्रमणिका ॥ १ श्री जिन सहस्रनाम वर्णन (जगन्नाथ जगदीश जग) २०४ २ श्री शांतिजिन विननिरूप ( शारद माय नमुं शिर) २०७ ३ श्री पार्श्वनाथनो (वंदो देव वामेय देवाधि देवं) २०९ ४ श्री नवकारनो लघु छद (सुखकारणभवियण) ... २१० ५ आत्महित विनति (प्रभु पाय लागी करुं सेव नारी) २११
॥परचुरण विषय नव नी अनुक्रमणीका ॥ १ प्रभातमां भावव नो भावना .... .... २१२ २ प्रभातना पञ्चरकाण बार .... ....२२०थी२२४ ३ सांझना पश्चग्काग पांच
...२२४थो२२५ ४ श्री रत्नाकर पञ्चोशीना गुजराती अनुवादना काव्यो ...
...२२५थी२३० ५थी ६ आरती बे
२३० ७ थी ८ मंगल दीवा बे ..
२३१ ९ पुस्तकोनी जाहेर खबर
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