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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( १७२) मुख मोहियेजी साहिब गुणीनिलो॥सूर नृपति कुल चंदोजी सा०॥ श्रीनंदन भावे वंदोजी ॥ सा० ॥१॥'अजलंछन वंछित पूरेजी सा० ॥ प्रभु समरिओ संकट चूरेजी सा० ॥ पांत्रीश धनुष तनु मानेजी सा० व्रत एक सहस अनुमानेजो ॥ सा०॥२॥ आयु वरष सहस पंचागुंजी सा० ॥ तनु सोवन वान वखाणुजी सा०॥ समेत शिखर शिवपायाजी सा०॥ साठ सहस मुनिश्वर रायाजी ॥ सा० ॥ ३ ॥ षटशत वली साठ हजारजी सा० ॥ प्रभु साध्वीनो परिवारजी सा० ॥ गंधर्व बला अधिकारीजी सा०॥ प्रभु शासन सांनिधकारीजी ॥ सा०॥ ४॥ सुख दायक मुखने मटकेजी सा० । लाखेणे लोयण लटकेजी सा० ॥ बुध श्रीनयविजय मुणिंदोजी सा०॥ सेवकने दिओ आणंदोजी ॥सा०॥ ५ ॥ श्रीअरनाथ जिन स्तवन। ( समयारे साद दिइरे देव, (अथवा) किसके चेले किसके पुत-ए देशी) अरजिन गजपुर वर शिणगार, तात सुदर्शन देवी मल्हार ॥ साहिब सेवियें ॥ मेरे मनको प्यारो सेवियें ॥ त्रीश धनुष प्रभु उंची काय, वरष सहस चोराशी आय ॥ सा॥१॥ नंदावर्त विराजे अंक, टालें प्रभु भा भावना आतंक' ॥सा०॥ एक सहसश्यू संयम लीध, कनक वरण तनु जगत प्रसिद्ध। सा० ॥ २ ॥ समेत शिखर १. बोकडानु. २. आँख्य. ३. रोग. - - - For Private And Personal Use Only
SR No.020138
Book TitleChaityavandan Stuti Stavanadi Sangraha Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivnath Lumbaji
PublisherPorwal and Company
Publication Year1925
Total Pages242
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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