SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 14
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जनमिया, राशि मिथुन मुखकंद ॥१॥ नयोरी अयोध्यानो धणी, योनिवर मंजार ॥ उग्रविहारे तप तप्या, भूतल वरस अदार ॥२॥ वळी रायण पादप तलेंए, विमलनाण गणदेव ॥ मोक्ष सहस मुनिशुं गया. वीर करे नित्य सेव ॥ ३ ॥ इति ॥ ॥ बीजु.॥ उंचपणे प्रणेशह, पंचाश धनुष प्रभु देह ॥ संवर राया सिद्धार्था, सुत सुमुन नेह ॥ १ ॥ लाख पंचाश पूर्व आयु, अयोध्यानो राणो ॥ सोवन वान बीराजतो, कपो लंछन जाणो ॥२॥ अभिनंदन प्रभु विनतोए, अंतरजामी देव ॥ श्री विनय विजय उवझायनो, रुप नमे नीत मेव ।। ३ ॥ इति ॥ ॥ श्री सुमतिनाथजीर्नु चैत्यवंदन ॥ . ॥ मेघराय अयोध्यानो धणी, मंगला पटराणी ॥ धनुष त्रणशें देहमान, लंछन क्राच जाणी ॥ १ ॥ हेमवरण बीराजतो, सुमति जिन सेवो ॥ लाख चाळीश पूर्व आय, आपे शिव मेवो ॥२॥ समेतशिखर मुक्ते गयाए, जगजीवन जगदीश ॥ रुपविजय कहे साहेबा, तुं मुज महीयो इश ॥ ३ ॥ इति ॥ ॥ बीजु.॥ . ॥ मुमतीजयंत विमानथी, रखा अयोध्या ठाम ॥ राक्षस गण पंचय पथ सिह रात्रि गुणा ॥१॥ या नक्षले जनमिया, सुषक For Private And Personal Use Only
SR No.020138
Book TitleChaityavandan Stuti Stavanadi Sangraha Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivnath Lumbaji
PublisherPorwal and Company
Publication Year1925
Total Pages242
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy