________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
६७
कल्याणक सीधो ॥ ७ ॥ उदय पेढाल भावे प्रभु, तस अंतर कहेवाय ॥ सीमंधर जिन पामस्ये, अविनाशी पुर ठाय || ८|| आ भरते पण कोइ जीव, सुलभ बोधी जेह || जाप जपे तुझ मंत्रनो, लाख संख्याए तेह ॥ ९ ॥ भव स्थीती निर्णय तस होये, अथवा ध्यान पसाय ॥ उपजी विदेह केवळ लहे, नवमे वर्ष उछाह ॥१०॥ सासन सुरी पंचांगुली, सेवक सानिध सारे ॥ सिमंधर जिन सेवतां, भवी दुःख दोहग टाळे ॥ ॥ ११ ॥ प्रह उठीने नित नमोए, आणी मन आनंद ॥ लक्ष्मीसुरी प्रभु नामथी, प्रगटे परमानंद ॥ १२ ॥ ॥ श्रीसिद्धाचलजीनुं चैत्यवंदन ॥
|| विमल केवल ज्ञान कमला व देशी ॥
॥ श्री सिद्धाचळ तीर्थ नायक, विश्वतारक जाणीये ॥ कलंक शक्ति अनंत सुरगिरि, विश्वानंद वखाणी ॥ मेरु महीधर हस्त गिरिवर, चरच गिरिघर चिन्न ॥ सासमां सोवार बंदु, नमो गिरिगुणवंत ए ॥१॥ हसित वदने हेम गिरिने, पूजीयें पावन थई । पुंडरीक पर्वत राज सतकुट, नमत अंग आवे
For Private And Personal Use Only