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काचे ॥ कहे० ॥३॥ बाळा सहु बोली मुखमलपंतु जाणी, मान्योजी मान्यो नेम परणशे राणी॥श्री समुद्रविजयने कृष्णजी एम कहेता, सह करे विवाहनी बात
आपण नथी लेता ॥ कहे माणक प्रभुने पदमणी परणावे ॥ कहे ॥४॥
॥श्री नेमिनाथनी लावणी चोक चोथो ॥ ॥ मल्यो जादव केरो वृंद छपन कुल कोमे; प्रभु करी शणगार ने नेम चड्या वरघोमे ॥ ए आंकणी ॥ तिहां भेरी नफेरी पंच शब्द वजडावे, मिली बाला कोकिल कंठे मंगल गावे ॥ कोइ हाथी घोडे बेठा रथ सुख पालें। पायक अडतालीश करोड, ते आगल चाले ॥ मल्या दशे दसार हलधर, हरिजी जोडे । प्रभु करि सणगारने, नेम चडया वरघोमे ॥ १॥ वाजे तंबाबु जरी फरके नीशान, बहु साजन महाजन जोर चलावे जान ॥ एम करतां प्रभुजी जयसेन घेर आवे, देखी मुख नाथनुं राजुल मन सुख पावे ॥ तब करते पशुअ पोकार लाखो करोडे ॥प्रमु०॥२॥ छोडीने पशुनो वृंद रथडो वाले, घर आवी प्रभुजी
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