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मारो वीर करशे सदाय लीला लहेर ॥ माता०॥ ॥ १५॥ माता त्रिशला गावे वीर कुंमरनुं हालाँ, मारो नंदन जीवजो कोडी वरीस ॥ ए तो राजराजे. सर थाशे जलो दीपतो, मारा मनना मनोरथ पूरशे जगीश || माता० ॥ १६ ॥ धन्य धन्य क्षत्रीकुंड गाम मनोहरु, जिहां वीरकुमरनो जनम गवाय ॥ राजा सिद्धारथना कुलमांहे दिनमणि, धन्य धन्य त्रिशला राणी जेहनी माय || माता० ॥ १७॥ एम सहीयर टोली भोली गावे हालस, थाशे मनना मनोरथ तेहने घेर ॥ अनुक्रमें महोदय पदवी रूपविजय पद पामशे, गाए अमिय विजय कहे थाशे लीला लहेर ॥ ॥ माता ॥१८॥
॥ अथ श्री महावीर स्वामीनुं हालरीयुं प्रारंभः ॥
॥ माता त्रिशला झूलावे पुत्र पालणे, मावे हालो हालो हालरुवानां गीत ॥ सोना रूपाने वली रत्ने जडियुं पालj, रेशम दोरी घुघरी वागे छम छम रीत ॥ हालो हालो हालो हालो मारा नंदने ॥१॥ जिनजी पास प्रभुथी वरस अढीशे अंतरे, होशे चो
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