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हरी आठ आठ कारण, भजीए अप्रभावक आठ॥ह. ॥३॥ गुजर हलि देशमा ए, अकबरशाह सुलतान ॥०॥ हिरजी गुरुनां वयणथी ए, अमारी पडह वजडावी ॥ ह० ॥४॥सेनसुरी तपगच्छ मणि ए, तिलक आणंद मुर्णिद ॥०॥ राज्यमान रिद्धि लहे ए, सौभाग्य लक्ष्मी सुरिंद ह ॥५॥ सेवो सेवो पर्व महंद ॥ ह० ॥ पुजा जिनपद अरविंद ॥ ह० ॥ पुन्य पर्व सुखकंद ॥ह० ॥ प्रगटे परमाणंद ॥ ह० ॥ कहे एम लक्ष्मी सुरिंद ॥ ह०॥ ६ ॥ ___ एम पास प्रभुनो पसाय पामी, नामि अगइ गुण कह्या ॥ भवि जीव साधो नित याराधो, आत्म धर्मे उमयां ॥ १॥ संवत जिन अतिशय वसु, ससी चैत्र पुनमे ध्याइया ॥ सौजाग्यसुरी शिष्य लक्ष्मीसुरी बहु, सघ मगल पाइया ॥२॥
॥ इति श्री अठाइ महोत्सव स्तवन सम्पूर्णम् ॥ ॥ अथ श्री महावीरस्वामीना सत्तावीश भवन पंचढालियुं ॥
श्री शुभविजय सुगुरु नमी, नमी पद्मावती
॥दोहा॥
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