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३२० आंबो महोरिओ, आज वूठी सोवनधारजी ॥ आज दूधे वुठा मेहुला, आज आवी गंगा बारजी ॥ आ०॥ ॥२८॥ आज गायो गोडीपुर धणी, श्रीसंघकरे उगह ॥चोमासु कीg )पसुं, मोटी ते महियल मांहेजी ॥ आ० ॥ २५ ॥ चउआणां वाचा चिहूं खुंटमां, तेमां मोटो जाणो ॥ मेघदास दूलजी जाणीयें, एहवा धर, तीमां धणी नहि कोय ॥ आ० ॥३० ॥ रामना राजतणी परे, चलावे जगमां रीत ॥ सोलंकी साथमां शो, भता, विवेकी वाघा सुविनित ॥ आ० ॥ ३१ ॥ परमाण वोरा परतापसी, समरथ राजकाजमां काम ॥ भणसाली नायो तिहां शोभता, तेहने घरे बोहला दाम ॥ आ०॥ ३२ ॥ संघवी लाधो ते जाणीयें, लुणो मेतामां होय ॥ शेठमांहे दीपो वखाणीये, वली मनो नेमजी जोय ॥ आ० ॥३३॥ सा रुपो टोली जाणिये, तपगच्छमां तलकसमान ॥ महीयळ महाजन शोभता, दिनदिन दोलत करि वान ॥ आ०॥ ३४ ॥ श्रीहोर विजयसुरीश्वरु, तेनां शुभविजय कवि शिष ॥ तेना भावविजय कवि दीपता, तास शिष धनमुनि दीस
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