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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org " १७ करंता आवियाए, बावीसमा जिनराय ॥ द्वारिका नयरी समोसर्या, समवसरण तिहां थाय ॥ ३ ॥ बार परखदा तिहां मली, भाखे जिनवर धर्म ॥ सर्व पर्व तिथि साचचो, जिम पामो शिव शर्म ॥ ४ ॥ तव पूछे हरि नेमने, लखो दिन मुज एक || थोडो धर्म कर्या थकी, शुभ फल पामो अनेक ॥ ५ ॥ नेम कहे केशव सुणो, वरस दिवसमा जोय || मागशर सुदी एकादशी, ए समो अवर न कोय ॥ ६ ॥ इणदिन कल्याणक थयां, नेउ जिनना सार ॥ ए तिथि विधि आराधतां, सुकृत थया भवपार ॥७॥ ते माटे मोटी तिथि, आराधो मन शुद्ध ॥ अहो रत्तो पोसह करो, मन Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir घरी आतम बुद्ध ॥ ८ ॥ दोढसो कल्याणक तणुं ए, गण व मनरंग || मौन घरी आराधीये, जिम पामो सुखसंग ॥ १० ॥ उजमणुं पण कीजीए, चित्त घरी उल्हास || पूठांनें वीटांगणे, इत्यादिक करो खास ॥ एम एकादशी भावशुं, आराधो नर राय ॥ क्षायिक समकितनो धणी, जिन बंदी करो शुभ काज ॥ ११ ॥ एकादशी भवियण धरो, उज्वल गुण जिम थाय ॥ ર For Private And Personal Use Only
SR No.020137
Book TitleChaityavandan Stuti Stavanadi Sangraha Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurvacharya
PublisherMaster Umedchand Raichand
Publication Year1932
Total Pages539
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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