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२३४ एक एक दिन यावत् शत, ओली संख्या थाय ॥ कर्म निकाचित तोडवा, वज्र समान गणाय ॥ २॥ चौद वर्ष त्रण मासनी, ए संख्या दिननी वीस ॥ यथा विधि आराधता, धर्मरत्न पद ईश ॥ ३॥
॥ ढाल ॥ १॥ वर्द्धमान तपनुं स्तवन ॥ ॥ नवपद धरजो ध्यान, भविक तमे नवपद धरज्यो ध्यान ॥
॥ देशी॥ ॥ तप पद धरजो ध्यान, भविक तमे, नामे श्री वर्द्धमान ॥ दिन दिन चढत वान, भविक तमे, सेवो थई सावधान ॥ भ० ॥१॥ प्रथम ओली एम पालीनेरे, बीजी ए आंबिल होय ॥भ०॥ त्रीजी त्रण चोथी चार छेरे, उपवास अंतरे होय ॥ भ० ॥ २ ॥ एम आंबिल सो वृत्तनीरे, सोमी ओली थाय ॥ भ०॥ शक्ति अभावे आंतरेरे, विश्रामे पहोंचाय ॥ भ० ॥३॥ चाद वरस त्रण मासनीरे, उपर संख्या वीश ॥ भ० ॥ काल मान ए जाणवुरे, कहे वीर जगदीश ॥भ० ॥ ॥ ४ ॥ अंतगड अंगे वरणव्युरे, आचारदिनकर लेख ॥ भ० ॥ ग्रंथांतरथी जाणवुरे, ए तप, उल्लेख ॥ भ०
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