SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 202
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir Achana २८८ थवली कुंथुनाथने हो लाल, वली कुंथुनाथने ॥पल्योपमनुं अरध जाणी शांति कुंथुने हो लाल, जाणो शांति कुंथुने ॥ शांति धर्म पल्योपम उणे सागर त्रणर्नु हो लाल, सागर त्रण- ॥ २॥ सागर चार अनंतने धर्म जिणंदने हो लाल, धर्म जिणंदने ॥ नव सागर मळी अनंत विमल जिन चंद्रने हो लाल, अनंत विमल जिन चंद्रने ॥सागर त्रीस विमल वासुपूज्यने हो लाल, विमल वासुपूज्यने । सागर चोपन श्री वासुपूज्य श्रेयांसने हो लाल, वासुपूज्य श्रेयांसने ॥३॥ लाख पांसठ सहस छवीस वरससो सागलंहो लाल, वरससो सागर ॥ उणो सागर कोड श्रेयांस शीतल करे हो लाल, श्रेयांस शीतल करे ॥सुविधि शीतलने नव कोड सागर नावज्यो हो लाल, सागर भावजो॥सुविधिचंद्र प्रभु नेउकोडी सागरभावजो हो लाल सागरमनभावजो ॥४॥सागर नवसें कोमसुपास चंद्रप्रभुहोलाल,सुपास चंद्रप्रभु ॥ सागर नव सहस कोड सुपास पद्म प्रभु हो लाल, सुपास पद्म प्रभु ॥ सुमति पहा प्रभु नेउ सहस कोड सागर हो लाल, कोड सागरु ।। ५॥ दस लाख कोड सागर संभव अभिनंदने हो लाल, संभव अभि For Private And Personal Use Only
SR No.020137
Book TitleChaityavandan Stuti Stavanadi Sangraha Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurvacharya
PublisherMaster Umedchand Raichand
Publication Year1932
Total Pages539
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy