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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir [१०२] शंका होवे तो गुरुसे पूछे या पुस्तकादि वांचे, अथवा दूसरा कोई पुस्तकादि वांचता होवे तो उपयोगयुक्त सुनता रहे. १५- अपने घरसे सामायिक लेकर भगवान्के मंदिरमें आया होवे,वहां पासमें साधु न होवे तो भी भगवान्के समक्ष फिरसे सा. मायिक लेकर इरियावही पूर्वक आगमनकी आलोचना करके पीछे चैत्यवंदन, शास्त्रपाठ पढना गुणनादि धर्म कार्य करनेका बतलाया. १६-उपाश्रयमें गुरु महाराज होवे,तो उपर मुजब सामायिक करनेकी विधि बतलायी है, ऐसेही पौषधशालामेभी सामायिक करनेकी विधि समझ लेना चाहिये. १७– उपाश्रयमें गुरु महाराज न होवे, या समयके अभावसे कारणवश गुरु पास जाकर सामायिक करनेका अवसर न होवे और केवल अपने घरमेही छ आवश्यकरूप प्रतिक्रमण करनेकेलिये सामायिक ग्रहण करें,तो भी ऊपर मुजब स्त्रमासमणपूर्वक सामायिक मुहपत्तिके पडिलेहणका,सामायिक संदिसाहणेका व ठाणेका आदेश लेकर नवकारपूर्वक करेमिभंतेका उच्चारणकरके पीछेसे इरियावही पूर्वक अपना धर्मकार्य करे,मगर वहांसे गुरु पास जाने वगैरह कार्योंसे गमनागमन नहीं होनेसे आगमनकी आलोचना न करें. परंतु शेष बाकीकी उपर मुजब सर्व विधि करनेका बतलाया. १८- यहांपर कोई पहिले इरियावही करके पीछे करेमिभंतेका उच्चारण करनेका कहतेहै,वोलोग शास्त्रोके भावार्थको नहींजाननेवालेहैं क्योंकि आवश्यकचर्णि-बृहवृत्ति वगैरह प्राचीनशास्त्रोंमें प्रथम करेमिभंते पीछे इरियावही साफ खुलासा पूर्वक कहा है। १९- कभी गुरुके अभावमें अपनेघरमें या पौषधशालामें सामायिक करें,तब वहां "जाव नियम पज्जुवा सामि" ऐसा पाठ उच्चारणकरें और उपाश्रयमे गुरु समक्ष सामायिक करें, तब वहां “जावसाहू पज्जुवा सामि " ऐसा पाठ उच्चारण करें और इरियावही पू. र्वक अपने धर्मकार्यों में समय व्यतीत करनेका बतलाया. २०-राजा-महाराजादि महर्द्धिक होवे,उन्होंको शहरकेरस्तोम नंगे पैर पैदल चलना योग्य न होनेसे वो अपने घरसे सामायिक लेकर गुरु पास उपाश्रयमें नहीं जावें, किंतु-हाथी, अश्व, पदातिक आदिक राज्यऋद्धिकी सौभा युक्त भेरी भंभादि वाजिंत्र सहित बडे आडंबर. से सामायिक करनेकेलिये गुरुपास आवे, उससे शासनकी प्रभाव. For Private And Personal
SR No.020134
Book TitleBruhat Paryushananirnay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManisagar Maharaj
PublisherJain Sangh
Publication Year1922
Total Pages585
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Paryushan
File Size10 MB
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