________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir रा.प. रिष्यामिमृत्तिकांदेहिमेमहि ॥८॥येनत्वांखनतिब्रह्मायेनत्वांरुद्रकेशवौ // तेन त्वां खनयिष्यामिशुद्धयर्थकरपादयोः॥९॥ // इतिमृत्तिकाहरणमंत्रः॥ सलिलस्यमुखंदृष्ट्वाविष्णुरूपनमोस्तुते // क्रियार्थमहंगृह्णामिआपोदेव्यःपुनंतु माम॥१०॥ ॥इतिजलग्रहणमंत्रः॥ ॥ततोबहिर्गच्छेनैर्ऋत्यांदिशिगत्वास यदक्षिणेदत्वावलेणशिरःप्रावृत्ययज्ञोपवीतंदक्षिणकर्णेनिधाय // // अथशौ चमंत्रः॥ ॥उत्तिष्ठंतुसरास्सर्वेयक्षगंधर्वकिन्नराः / पिशाचागुह्यकाश्चैवमल , मूत्रंकरोम्यहम् // 11 // // इतिमंत्रणतालत्रयंकृत्वाशौचसमयेउच्चारणं कुर्यात् // // अथमृत्तिकानियमः॥विष्णुपुराणे॥ ॥एकालिंगेगुदेपंचतथा वामकरेदश // उअयोःसप्तदातव्यामृदःशौचोपपादिताः॥१२॥ तिस्रस्तुपाद योर्देयाःशुद्धिकामेननित्यशः // करपृष्ठेचषदेयास्तिस्रश्चनखशोधने // 13 // For Private And Personal