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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वञ्चुकः ९२५ वण्ट् वडभः (पुं०) संकुचित हाथ-पांव वाला मनुष्य। वडवा (स्त्री०) [बलं वाति-बल+वा+क+टाप्] घोड़ी। ०वेश्या, रण्डी। अग्निा वडवाग्निः (स्त्री०) वडवानल, अरण्य अग्नि। (जयो०७/७२) समुद्राग्नि। वडवानलं (नपुं०) अरण्याग्नि, समुद्र की अग्नि। वडवामुखः (पुं०) समुद्र के अंदर रहने वाली आग। वडा (स्त्री०) [वड्+अच्+टाप्] बड़ा, दाल की बनी हुई बांटी। वडिशं (नपुं०) [बलिनो मत्स्यान् श्यति नाशयति] ०वंशी 'मीनोऽसौ वडिशस्य मांसमुपयन्मृत्यु समापद्यते। (सुद० १२७) . वण (सक०) शब्द करना, ध्वनि करना। वणिज (पुं०) [पणायते व्यवहरति पण इजि पस्य वः] व्यापारी, सौदागर। वणिक्कर्मन् (नपुं०) व्यापार कर्म। वणिक्कर्मार्यः (पुं०) बहुमूल्य वस्तुओं की बिक्री करने वाला व्यापारी। वञ्चकः (पुं०) गीदड़! वञ्जलः (पुं०) [वञ्च+इलच्] बेंत, नरकुल। एक पक्षी विशेष। ०अशोक वृक्ष! रम्य, सुंदर। (जयो० ७/९८) वञ्जुलद्रुम (पुं०) अशोक वृक्ष। वट् (सक०) घेरना। ०कहना, बांटना, विभाजन करना, घेरा डालना। वटः (पुं०) [वट्+अच्] बड़ का पेड़। (सुद० १२९, हित० ४७) कौड़ी। गोलिका. छोटी गेंद, अंटी, वटिका। डोरी, रस्सी। वटकः (पुं०) नमकीन। ०बड़ा चुम्बन। (जयो० १२/१२४) [वट+कन्] बाटी, एक गोल, आटे से निर्मित बाटी। ०छोटा पिंड, गेंद, वटिका। वटपत्रं (नपुं०) चमेली पुष्प। वटरः (पुं०) [वट्+अरन्] मुर्गा, कुक्कुट। चटाई। •पगड़ी। चोर, लुटेरा। सुगन्धित घास वटाकरः (पु०) डोरी, रस्सी। वटिकः (पुं०) [वट्+इन् कन्] शतरंज का मोहरा। वटिका (स्त्री०) [वट+इन्+कन्+टाप्] टिकिया, गोली। वटिन् (वि०) [वट्+इन्] डोरीदार. मंडलाकार. गोलाकार। वटिन् (पुं०) वटिक, गेंद, कन्दुक। वटी (स्त्री०) [वट्+अच्+ ङीष्] ०डोरी, रस्सी, धागा। वटिका। वटीवलनं (नपुं०) रज्जुसम्पादन, रस्सी बांटना। (जयो० २६/६८) वटुः (पुं०) [वटति अल्पवस्त्र-वट+उ] ०लड़का, बटुक, किशोर। ब्रह्मचारी। वटुकः (पुं०) [वटु+कन्] लड़का, छोकरा, किशोर, बालक। वठ् (अक०) मोटा होना, शक्तिशाली होना। वठर (वि०) मन्द बुद्धि वाला। वठरः (पुं०) मूढ, मूर्ख, बुद्धिहीन। 'निभालयामो' वठरं । जगज्जनम्' (वीरो० ९/१) वैद्य, चिकित्सक। जलपात्र। वणिक्क्रिया (स्त्री०) क्रय-विक्रय व्यापार। वणिजनः (पुं०) व्यापारी, व्यवसायी, व्यवहारी। वणिजनः (पुं०) व्यापारी वर्ग, निगम। (जयो० २/११३) वणिक्तुजः (पुं०) वैश्य बालक। (समु० ४/३) वणिक्पथः (पुं०) व्यापार, क्रय विक्रय. विपणि प्रदेश, बाजार (सुद० १/३२) व्यापार केन्द्र, विपणिस्थान। (वीरो० २/१७) सौदागर, (वीरो० २/२६) आपणिका, दुकान। वणिकवश (पुं०) सौदागर, सेठ। (सुद० २/४) वणिकवृत्तिः (स्त्री०) व्यापारिक क्रिया, व्यापार, सौदागर। (वीरो० २२/२६) वणिक्सार्थः (पुं०) व्यापारी वर्ग। वणिगीसः (पुं०) वैश्यपति, सेठ। (सुद० ३/३४) वणिज् (पुं०) [पणायते व्यवहरति पण+इज पस्य वः] व्यापारी, सौदागर। वणिजः (पुं०) [वणिज्+अच्] सौदागर, व्यापारी। ___ तुलाराशि। वणिजकः (पुं०) सौदागर, व्यापारी। वणिज्यं (नपुं०) व्यापार, क्रय विक्रय। वण्ट (सक०) बांटना, विभाजित करना। ०बनाना, हिस्सा करना। For Private and Personal Use Only
SR No.020131
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size23 MB
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