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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir लोभगत ९१९ लोहित ८२) आसक्ति, इच्छा, वाञ्छा, चाह। ०लोभकषाय। बाह्य पदार्थ की इच्छा। ०ममकार बुद्धि। उत्कण्ठा। लोभगत (वि०) लोभ कषाय को प्राप्त। लोभजन्य (वि०) लालसा युक्त। लोभद्रव्य (वि०) द्रव्य का आकांक्षी। लोभपिण्ड (वि०) आहारलोलुपी। पिण्ड इच्छुक। लोभभक्त (वि०) भोजन का इच्छुक। ०आहारासक्त। __भोजन भट्ट। लोभित् (वि०) लोभ करने वाला। (मुनि० १८) लोमः (पुं०) पूंछ। दल, समूह। (जयो० २६/१८) रोम, शरीर के रोम समूह। (जयो० १६/८२) मृदुल। (जयो० १/५८) लोमक (वि०) रोमाञ्चित, हर्षित, प्रफुल्लित। (जयो०५/२१) लोमकिन् (पुं०) एक पक्षी विशेष। लोमतति (स्त्री०) रोमराजि। (जयो०११/३१) लोमन् (नपुं०) रोम, शरीरगत बाल। लोमकीटः (पुं०) जूं, लीख। लोमकूपः (पुं०) रोम के छिद्र। लोमगर्तः (पुं०) रोम छिद्र। रोम रंध्र। लोमपंक्ति (स्त्री०) रोमसमूह। लोमरन्धं (नपुं०) रोमछिद्र। लोमराजिः (स्त्री०) रोम समूह। (जयो० ११/३१) लोमलाजिः (स्त्री०) रोम समूह। लोमसृष्टिः (स्त्री०) रोम उत्पत्ति। (जयो० ११/३३) रोमाभाव (वि०) निलोम। (जयो०वृ० ११/१८) लोमालिक (स्त्री०) रोमपंक्ति। (जयो० १६/८२) लोमाली (स्त्री०) रोमपंक्ति। रोमावलि। लोमावलिः (स्त्री०) रोम समूह। (जयो० ११/३२) लोमाशः (पुं०) गीदड़, मृगाल। लोल (वि०) [लोड्+अच् उस्य ल लुल्+घञ्] कांपता हुआ, हिलता हुआ, दोलायमान। विक्षुब्ध, अशान्त, व्याकुल, बेचैन। ०चंचल, चपल, अस्थिर, आतुर, उत्सुक। अस्थायी, नश्वर। लोलता (वि०) चंचलता। (जयो० १३/२९) लोलाक्षिका (स्त्री०) चंचल नेत्र वाली स्त्री। लोलाञ्चता (स्त्री०) चंचला स्त्री। लोलं चञ्चलमञ्चलं यस्याः सा (जयो० ८/३६) लोलुप (वि०) [लुभ्+यङ्+अच् भस्य प:] उत्सुक, इच्छुक लोभवशंगत। (जयो० १६/४८) लाल सागत। लालची, लोभी। लोलपा (स्त्री०) लालची, लोभी, लालसा, उत्कण्ठा। लोलुभ (वि०) अत्यन्त लालसा युक्त, लालसाशील, उत्कण्ठाजन्य। लोष्ट (सक०) ढेर लगाना, संग्रह करना। लोष्टः (पुं०) [लुष्+तन्] मिट्टी का ढेला। लोष्टं (नपुं०) मृत्तिका पिण्ड। लोष्टुः (स्त्री०) मृत्तिका पिण्ड। लोष्ठः (पुं०) पत्थर, पाषाण। (जयो० ९/२९५) लोह (वि०) [लूयतेऽनेन, तू+ह] ताम्रमय, तांबे से युक्त। लोहः (पुं०) लोहा, अयस्क, एक धातु। (सुद० ४/३०, सम्य०६१) इस्पात, धातु, अस्त्र, हथियार। लोहकण्टकः (पुं०) वंशी, बडिरा। (जयोवृ० २५/७७) लोहकारः (पुं०) लुहार। लोहकिट्ट (नपुं०) लोहे की जंग। लोहकीलकः (पुं०) ०लोहे की कील, ०शलाका। (जयो०वृ० ३/१७) लोहखण्डः (पुं०) अयस्क समूह। लोहचूर्ण (नपुं०) लोहभस्म। लोहजं (नपुं०) कांसा। लोहजालं (नपुं०) कवच। लोहदण्डः (पुं०) लोहे की छड! (सम्य०६१) लोहद्राविन् (पुं०) सुहागा। लोहबद्ध (वि०) लोहे से युक्त। लोहमुक्तिका (स्त्री०) लाल मोती। लोहरजस् (नपुं०) लोहे की जंग, मोर्चा। लोहराजकं (नपुं०) चांदी, रजत। लोहल (वि०) लोहे से निर्मित। लोहशंकु (स्त्री०) लोहे की कीला लोहिका (स्त्री०) [लोह+ठन्+टाप्] लोहे का पात्र। लोहित (वि०) लाल रंग का, ताम्र निर्मित। For Private and Personal Use Only
SR No.020131
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size23 MB
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