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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir लहरिमति ९१० लाञ्छ लहरिमति (स्त्री०) समुत्कण्ठावती, उत्कण्ठित बुद्धि वाली। लागुडिक (वि०) यष्टि विभूषित। (जयो० १७/२५) लाथ् (अक०) बराबर होना, पर्याप्त होना, सक्षम होना। लहरियुक्त (वि०) भूरिवलिबद्ध। (जयो०वृ० २०/२) लाघवं (नपुं०) [लघोर्भावः अण्] ०अल्पता, क्षुद्रता, लघुता। लहरी (स्त्री०) [ल+ह+इन+ङीष] तरंग, जलकल्लोल। ०हल्कापन, नगण्यता। (वीरो०७/२४) ०अनादर, घृणा, अपमान, अप्रतिष्ठा। ला (सक०) ग्रहण करना, प्राप्त करना, लेना, लाना। | फुर्ती, चुस्ती, वेग। (जयो०१/७) लाति-गृह्णातीति क्रियाशीलता, दक्षता, तत्परता। लान्ति। (जयो०१/३९) (जयो० १/७२) संक्षेप, अल्पमात्रा। लघो वो लाघवं-लोभनिवृत्ति। ला (स्त्री०) समागम, दान, देना। गौ पुमान् वृषभे स्वर्गे ०दक्षता- व्यसनोपनिपात। खण्डवज्रहिमांशुषु। ला तु दाने किलाश्लेष इति कोषात् ०शुचिता-कुशलता। व्याख्या कार्या। (जयो०व०० ३/३९) लाङ्गलं (नपुं०) [लङ्ग+कलच] ०हल। ०लाभ। (जयो०वृ० १९/३६) ताडवृक्ष। शिश्न। लाकुटिक (वि०) [लकुटः प्रहरण मस्य ठक्] लाठी से सुशोभित, दण्ड से विभूषित। लिंग। लाकुटिकः (पुं०) संतरी, पहरेदार, द्वारपाल। लाङ्गलग्रहः (पुं०) किसान, कृषक, हाली। लाक्षकी (स्त्री०) सीता। लाङ्गलदण्डः (पुं०) हलस, हल का दण्ड। लाक्षणिक (वि०) [लक्षणया बोधयति ठक्] विशिष्ट, संकेतित, लागलपद्धतिः (स्त्री०) खूड, हल की रेखा। चिह्नित। लाङ्गलफाल: (पुं०) हल्की फाली। लाङ्गलिन् (पुं०) [लाङ्गल+इनि] ०बलराम। ०पारिभाषिक, गौण, निकृष्ट। नारिकेल तरु। लाक्षणिकः (पुं०) पारिभाषिक शब्द। लाङ्गली (स्त्री०) [लाङ्गल+अच्+ङीष्] नारिकेल तरु। लाक्षण्य (वि०) [लक्षणं वेत्ति-व्य] संकेत सम्बंधी, परिभाषा लाङ्गलीषा (स्त्री०) हलस, हल की मूठ। सम्बन्धी। लागुलं (नपुं०) पूंछ। चिह्न युक्त, लक्षण और चिह्नों की व्याख्या करने योग्य। शिश्न। लाक्षा (स्त्री०) [लक्ष्यतेऽनया लक्ष्+अच्] ०लाख, जतुपरिणति लिंग। (जयो०१२/१०६) लागृलं (नपुं०) पूंछ, शिश्न। महावर, वीरबहूटी। लिंग। लाक्षातरु (पुं०) पलास, ढाकतरु। ०बंदर। (दयो० १६) लाक्षाप्रसादः (पुं०) लोध्रवृक्षा लाङ्गुलिन् (पुं०) [लाङ्गल+इनि] वानर, बन्दर, लंगूर। लाक्षाप्रसाधनः (पुं०) लोध्रवृक्ष। लालिकाफलं (नपुं०) नालिकेर, नारियल। (जयो० २५/११) लाक्षारंगः (पुं०) यावक, लाक्षारस। (जयो० १८/९९) लाज् (सक०) कलंक लगाना, निन्दा करना। लाक्षारक्त (वि०) लाख से रंगा हुआ। ०लाख से लिपटा भूनना, तलना। हुआ। लाजः (पुं०) [लाज+अच्] गीला धान। लाक्षारसः (पुं०) लाल रंग, महावर, आलक्त। (जयो० १६/५१) लाजा (स्त्री०) लाजे, खील, धान्य के फूले हुए लाजा। लाक्षावाणिज्यं (नपुं०) लाख का व्यापार। (जयो० १२/७१, सुद० ३/१५) भ्रष्टव्रीही (जयो० १३/१०) लाक्षिक (वि०) [लाक्षा+ठक्] लाख से सम्बंध रखने वाला, धान्य लावा। (जयो० १०/१०३) लाख से बना हुआ। लाजि (स्त्री०) राजि, पंक्ति। (जयो० ३/४७) लाख (अक०) सूख जाना, नीरस होना। लाञ्छ् (सक०) सजाना, अलंकृत करना। ०सक्षम होना, पर्याप्त होना। ०भेद करना, विशिष्ट बनाना। For Private and Personal Use Only
SR No.020131
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size23 MB
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