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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir रेखांकन ९०० रोचनं चित्रांकन, रेखांकन, आलेखन. विलेखन। रेवटः (पु०) [रेव+अटच्] सूकर, सूअर, बांस की छड़ी। अंश, भाग। ०बवंडर। रेखांकनं (नपुं०) चिह्न। प्रतीक. ०रेखा चित्र, लेखसंकेत। | रेवतः (पुं०) [रेव+अतच्] नींबू वृक्षा रेखाङ्कित (वि०) पंक्तिबद्ध। (जयो०८/६६) रेवती (स्त्री०) नक्षत्र विशेष। रेखात्रयं (पुं०) तीन रेखाएं। स्वर्गात् सुरद्रो सलिलान्नलस्य रेवा (स्त्री०) रेवा नदी, नर्मदा नदी। लताप्रतानस्य भुवोऽपकृष्य। सारं किलालङ्कृत एष हस्तो ०रति, रुचि। रेवा नीली स्मरस्त्रियो इति विश्वलोचना: रेखात्रयेणेत्यथवा प्रशस्तः।। (जयो० १/५०) (जयो० २७/७) रेखात्रित्रयं (नपुं०) त्रिसूत्री। (जयो०१० ५/५०) रेवारसः (पुं०) आनन्द रस। 'रेवाया रते रस आनन्दः' (जयो० रेखागणितं (नपुं०) ज्यामिति। रेखाओं से गणना। २/१२३) रेखानुबिद्ध (वि०) रेखांकित। (वीरो० ८/३) रेष् (अक०) दहाड़ना, चिल्लाना। रेखापरम्परा (स्त्री०) अंकपाली। (जयो०७० २३/२५) रेषणं (नपुं०) [रेष्+ल्युट] दहाड़ना, चिल्लाना। रेखाव्याप्त (वि०) रेखा की व्यापकता युक्त। (जयो०१० रै (पुं०) [राते: डै:] धन, सम्पत्ति, वैभव। ६/१०५) रैवतः (पुं०) [रेवत्या अदूरो देश:) रैवतक पर्वत। रेचक (वि०) [रेचयति रिच णिच्+ण्वुल] रिक्त करने रैवतकः (पुं०) रैवतकगिरि। वाला। रोक (नपुं०) [रु+कन्] छिद्र। रेचकः (पुं०) श्वसन, श्वांस। ०नाव, नौका, जहाज। रेचकं (नपुं०) दस्त, विरेचन। निःसंकोच-'रोकस्तु रोचिषी 'ति विश्वलोचन' (जयो०१० रेचनं (नपुं०) [रिच्+ल्युट्] ०रिक्त करना। १/८४) ०घटाना। रोकारः (पुं०) रोज, प्रतिदिन। (जयो० १७/११७) श्वास बाहर निकालना, मल बाहर निकालना। रोगः (पुं०) [रुज्+घञ्] रोग, व्याधि, पीड़ा, कष्ट। रेचित (वि०) [रिच्+णिच्+क्त] साफ किया गया, विरेचित। नरकादि दुःख, संयुतोऽपि समञ्जसि भोगानात्मनाऽनुभवितुं श्वसित। किल रोगान्। (समु० ५/३) रेज् (अक०) सुशोभित होना। (जयो० ३/१०१) रहस्य (सुद० १०७) रेणुः (स्त्री०/पुं०) धूल, रजकण. रेतल। धूली, पांशु। (जयो०० रोगकरी (वि०) रोग युक्त, व्याधि वाला। (वीरो० १७/४) १/१०४) (मुनि० २२, जयो० ३/११) रोगगत (वि०) दुःख से प्राप्त हुआ। ०पराग, पुष्परज। रोगग्रस्त (वि०) दु:ख से पीड़ित। रेणुका (स्त्री०) परशुराम की माता। रोगस्थानं (नपुं०) व्याधि से पीड़ित रेणुगत (वि०) पांशुगत। रोगहर (वि०) पीड़ा नाशक। रेणुभारः (पुं०) धूलि पुञ्ज। (जयो० १३/१०३) रोगहारिन् (वि०) चिकित्सा विषयक। रेतस् (नपुं०) वीर्य, धातु। (सुद० १००) रोगिणी (स्त्री०) रोगग्रस्त स्त्री। (जयो० १६/१८) रेप (वि०) तिरस्करणीय, नीच, अधम, निम्न। रोगी (वि०) रोगग्रस्त व्यक्ति। रेपः (पुं०) कूर, निष्ठुर। रोचक (वि०) [रुच्+ण्वुल] ०रुचिकर, रंजक, सुखद। (जयो० रेफ (वि०) [रिफ+अच्] निम्न, अधम। १२/१२८) निन्दित। रेको निन्दितो' (जयो०७० २४/१३९) ० भूख बढ़ाने वाला, उत्तेजक। क्षुधोत्तेजक। मञ्जुल (जयो० २४/१४१) भयंकर। (जयो० ७/२५) रोचकं (नपुं०) भूख। रेफः (पुं०) 'र' वर्ण। रोचनं (नपुं०) सुंदर, प्रिय, इष्ट। रेफो 'र' वर्ण पुंस्येवकुत्सिते. ०लाल कमल, रक्तकमल। कूटशाल्मलीवृक्षा रोचनो त्वभिधेयवत् इति विश्वलोचनः। रक्तकहलारेकूट शाल्मलि-शाखिनि इतिवि (जयो० २१/८६) (जयो०वृ० २४/१४१) ० उज्ज्वल, आकाश, अन्तरिक्ष। For Private and Personal Use Only
SR No.020131
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size23 MB
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