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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir हारक: १२४१ हास्ययुक्त १२/१२६) ० भाजका हारकः (पुं०) [ह+ण्वुल्] चोर, लुटेरा। ० ठग, धूर्त। ० मोतियों का हार। • भाजक । हारकण्ठी (वि०) गले की माला। हारगत (वि०) विभाजित, भाग किया गया। हारमुट्ठी (स्त्री०) एक आकृति विशेष। (सुद० ३/४०) हारयष्टिः (स्त्री०) कण्ठाभूषण की लड़ी। (जयो० ११/३९) ० कण्ठाभरणावली। (जयो० १५/७७) हारि (वि०) [ह+णिच्+इन्] मनोहारि। (जयो० १६/४३) ० आकर्षक, मोहक, सुखकर। (जयो० ९/९४) हारिः (स्त्री०) पराजय। ० सार्थवाह। ० यात्रियों का समूह। हारिकण्ठः (पुं०) कोयल। हारिणिकः (पुं०) [हरिण+ठक्] शिकारी। हारित (भू०क०कृ०) [ह+णिच्+क्त] हरण कराया हुआ, गृहीत, पकड़ा हुआ। ० आकृष्ट। हारिन् (वि०) ले जाने वाला, हरण करने वाला। हारिद्रः (पु०) [हरिद्रा+अण्] पीलारंग, कदंब तरु। हारिद्रवत्व (वि०) हल्दी का द्रव। हरिद्राथा इदं हारिद्रं तद्वत्त्वं हारि मनोहरं च म् द्रवत्वत (वीरो०१/१३) हारिमृणालः (पुं०) कमल नाल। (सुद० २/७) हारीताः (पुं०) [ह+णिच्+ईतच्] धूर्त, ठग। ० कबूतर विशेष। हार्दम् (नपुं०) [हृदयस्य कर्म] स्नेह, प्रेम। ० कृपा, सुकुमारता। ० इच्छाशक्ति। ० अभिप्राय। ० अर्थ हार्दोचित (वि०) प्रेमोचित। (जयो० १६/४) हार्य (वि०) [ह+ण्यत्] हरण किये जाने योग्य। हार्यः (पुं०) सर्प, सांप। हालः (पुं०) हल। ० बलराम, ०हालकवि। हालकः (पुं०) पीले रंग का घोड़ा। हाला (स्त्री०) घातक विष, गरल। (सुद० १०५) ० मदिरा, शराब। (जयो०६/३१) हालाहलम् (नपुं०) गरल, विष, घातक विष। (दयो० ६१) हालिकः (पुं०) कृषक, किसान। [हलेन सनति हल: प्रहदरणमस्य तस्येदं वा ठक् ठञ् वा] हालिनी (स्त्री०) बड़ी छिपकली। हाली (स्त्री०) [हल्+इण्+डीप्] साली। हालुः (पुं०) दांत। हावः (पुं०) [ढे भावे घञ् हुकरणे घञ् वा] ० आमंत्रण, बुलाना। ० आह्वान। रंगरेली, मधुर आभूषण। हावे च भावे धृतिक क्षदावे (सुद० १०३) ० सविलास। (जयो० १०/११९) ० विभ्रम विलास। (जयो० १६/४२) हाव-भावः (पुं०) मधुर सम्भाषण युक्त भाव। अहहाग्रह हाव भावधात्री मम च प्रेमनिबन्धतैकपात्री। (जयो०१२/२१) हावादिगण (नपुं०) विभ्रम विलास। (जयो० १६/४२) हाव आदिर्येषां ते हावादयस्तेषां गणः। हासः (पुं०) [हस्+घञ्] ठहाका, हंसी, मुस्कराहट। ० विकास। (जयो० ६/१२) हर्ष, खुशी, आनंद। ० हास्य ध्वनि, हास्य रस। ० खुलना, विकसित होना। हासगत (वि०) हंसी को प्राप्त हुआ। हासजन्य (वि०) हंसी योग्य। हासभासः (पुं०) हास्य विनोद। (जयो० ४/५३) हासवृत्तिः (स्त्री०) विकास लक्षण। (जयो० १८/६१) हासस्वरं (नपुं०) हंसी की गूंज। (जयो० ६/१२७) हासिका (स्त्री०) [हस्+ण्वुल्+टाप्] अट्टहास, हंसी ठहाका। ० आमोद, हर्ष, खुशी। हास्य (वि०) [हम्+ण्यत्] हास्यापद, हंसी योग्य। • हसन, स्मित। (जयो०वृ० १२/११९) हास्यम् (नपुं०) हंसी, व्यंग्य, मज़ाक। हास्यकुसुमम् (नपुं०) स्मित पुष्प। (जयो०वृ० १२/११९) हास्यगत (वि०) हंसीगत, व्यग्ययुक्त। ० प्रफुल्लित पुष्प। हास्यपदवी (स्त्री०) खिल्ली, दिल्लगी। हास्यपरम्परा (स्त्री०) हसन परिणाम। (जयो० १७/४९) हास्यभावः (पुं०) स्मितभाव। ० हर्ष परिणाम। हास्ययुक्त (वि०) हंसी जनक। (जयो०वृ० १२/११५) For Private and Personal Use Only
SR No.020131
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size23 MB
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