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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir रागकर्मन् ८९१ राजगृहं वर्ण, रंग, रंजक वस्तु। रागायास्वादित (वि०) राग को प्रकट करने वाला, लालिमा ०लालिमा, लाल रंग। या स्नेह व्यक्त करने वाला। (जयो० १२/१३५) प्रेम, प्रणयानन्द। रागार्थ (वि०) अनुरञ्जनार्थ। (जयो० ८/२७) ०हर्ष, आनन्द। रागिषि (वि०) रक्तवर्णा, रागयुक्ता। (जयो० ६/६४) स्वैरिणी, क्रोध, रोष। पुंश्चली। प्रियता, सौन्दर्य। रागित्वं (वि०) राग से परिपूर्ण, अनुराग सहित। (सम्य० ११०) ०खेद, शोक रागिन् (वि०) [रग+इनि] रंगीन, रंगा हुआ। ०लालच, ईर्ष्या। प्रेमपूर्ण, स्नेहिला माया-लोभ-हस्स-रदि-तिवेदाणं दव्वकम्मोदयजणिदपरिणामो ०कामासक्त, स्वेच्छाचारी। रागो (धव० १२/२८३) प्रेमी, स्नेही। प्रीतिलक्षणो रागः। (जैन०ल० ३५७) स्नेहशील, अभिलाषी। लोहितत्त्व, लालिमा। (जयोवृ० ११/५७) राघवः (पुं०) [रघोर्गोत्रापत्यम्] रघुवंशी, रघु की संतान। गान्धार राग। (जयो० ११/५७) राज् (अक०) चमकना, शोभित होना, (सुद० १२४) जगमगाना ० भैरवी मल्हार आदि राग। (वीरो० १६/१२) रराज (जयो० ३/१९) देदीप्यमान होना। स्वयम्वरीभूततमा रागकर्मन् (वि०) आसक्तिजन्य कर्म वाला। रराज मुक्तिश्रिय:श्रीजिनदेवराज। (वीरो० १२/३९) 'रराज रागकारिन् (वि०) अनुराग शील। मातुरुत्सङ्गे महोदारविचेष्टित' (वीरो० ८/८) 'वर्षेण रागखण्डं (नपुं०) प्रेमांश। ०अनुराग, आसक्ति। पूर्णोद्दारिणी रराज' (वीरो०६/२) राजते (जयो० ३/३७) रागचूर्णः (पुं०) खैरवृक्षा राज् (पुं०) राजा, नृप, युवराज। रागज (वि०) राग को उत्पन्न करने वाला। राजकः (पुं०) [राजन्+कन्] राणा, राजा, नृप। रागतरु (पुं०) राग रूपी वृक्षा (सम्य० १४७) ०खैर। राजकं (नपुं०) राजाओं का समूह। रागद (वि०) रागोत्पत्ति वाला। (वीरो० ६/३३) राजकरः (पुं०) राजशुल्क। रागद्रव्यं (नपु०) रंग, लेप। राजकार्य (नपुं०) राज्य का काम। (दयो० ६५) राग-द्वेष (वि०) राग और द्वेष युक्त। राजकन्या (स्त्री०) राजकुमारी, राजपुत्री। (दयो० ११०) राग-द्वेषरहित (वि०) राग-द्वेष से रहित। (सुद०७०) राजकुमारः (पुं०) युवराज, राजपुत्र। रागनिवाहिनी (पुं०) राग संधारिणी। (जयो० ८/३३) राजकुमारी (स्त्री०) राजपुत्री। (दयो० १०८) रागपादः (पुं०) रक्तवर्ण वाले चरण। राजकीय (वि०) राजकार्य सम्बंधी, राजपरिवार से सम्बंधित। रागपादपः (पुं०) रक्तिमवृक्ष। (जयो० २८/२) रागबन्धः (पुं०) राग से बन्ध। प्रशासकीय, शासकीय, राजसत्ता से सम्बंधित। रागभावः (पुं०) राग परिणाम। (जयो० वृ० २८/१) रागमंद (वि०) राग की मंदता। राजकीयसदनं (नपुं०) राजभवन, राजप्रासाद। (जयो०४/२६) रागयुज् (पुं०) लाल। राजकुलः (पुं०) राजवंश, क्षत्रियकुल। रागयोगः (पुं०) अनुराग का संयोग। राजकलोचितः (०) राजवंश के अनकल। (वीरो० ६/५) रागरञ्जित (वि०) राग से अनुरक्त। (दयो० १८) राजगणः (पुं०) चन्दकुटुम्ब। (जयो० ११/९१) रागरुष (वि०) प्रणयविद्वेष। (जयो० २४/२५) राजगामिन् (वि०) राज्याधीन। रागसम्पादक (वि०) प्रीतिकर, रतिकर। (जयो०० ३/१२) | राजगोपालः (पुं०) राजगोपालाचार्य। (जयो० १८४८३) रागसभागः (पं०) प्रीतिभाव-'गान्धारादिगीतस्य प्रीतिभावस्य | राजगहं (नपं०) शासकीय निवास. राजभवन। च सुभागस्य। (जयो० ११/५७) राजगृह नामक, क्षत्रिय कुल के प्रसिद्ध शासक सिद्धार्थ रागसूत्रं (नपुं०) रंगीन सूत्र। कुल का एक गणराज्य। For Private and Personal Use Only
SR No.020131
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size23 MB
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