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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सौगन्धिकम् १२०६ सौभाग्यम् सौगन्धिकम् (नपुं०) सफेद कुमुद, नील कमल, घास विशेष। सौनिकः (पुं०) कसाई। सौगन्ध्यम् (नपुं०) सुवास, गन्ध, सुरभी। (जयो० २०/९५) सौंदर्यम् (वि०) [सुंदर+ष्यञ्] मनोहरता, रमणीयता, लावण्यता सौगन्ध्यवायु (पुं०) सुरभियुक्त पवन। (जयो० ३१) सुंदरता। (जयो० २/१४८) (समु० ६/२५) लालित्य। सौचिकः (पुं०) दर्जी, नामदेव, नागर। (सुद०वृ० १२०) सौजन्यम् (नपुं०) [सुजन+ष्यब] भलाई, महिमा, उदारता। ० सुरूप। (जयो० १४/२५) (जयो० १२/११, दयो० ९८) सौन्दर्यगविष्ठ्य (वि०) लावण्य के गर्व/अहंकार से परिपूर्ण। ० कृपा, करुणा, अनुकम्पा। वामाझ्या परिभर्त्तितः सौण्डी (स्त्री०) [शुण्डा+अण+डीप] गजपीपल। स्ववपुषः सौन्दर्यगर्विष्ठया। (सुद० ९८) सौति (पुं०) कर्ण। सौन्दर्यचर (वि०) रमणीयता युक्त। सौत्र (वि.) [सूत्र+अण्] सूत्र सम्बंधी, सूत्र में निर्दिष्ट। सौन्दर्यधारग (वि०) लावण्य को धारण करने वाला। सौत्रः (पुं०) ब्राह्मण का एक वर्ग। सौन्दर्यमात्रा (स्त्री०) रमणीय सत्ता। (जयो० ३/८६) सौत्रान्तिकः (पुं०) बौद्धमत की एक विचारधारा। सौन्दर्यमात्रारोपः (पुं०) सौन्दर्य मात्र का आरोपण। सौदर्यम् (नपुं०) [सोद+ष्यञ्] भ्रातृत्व, भाईपना। (जयो० ३/४९) सौदामनी/सौदामिनी (स्त्री०) [सुदामा पर्वत भेदः तेन रमणीयतारोपणपरिणाम। एकादिक्, सुदामन्+अण+डीप] विद्युत, तडित, बिजली। सौन्दर्यशालिन् (वि०) लावण्य युक्त। (दयो० १०८) (जयो० १७/१०२) सौन्दर्यसमुद्रः (पुं०) सुरूपनिधि। (जयो० ४/४५) लावण्योदधि। सौदायिक (वि०) उपहारित वस्तु, दहेज। (जयो० ३/६३) सौदाहवंशगत (वि.) स्वाभाविक प्रीति युक्ता सौदाहसहजप्रेम्णो सौन्दर्यसम्पत्तिः (स्त्री०) सुरूपराशि। (जयो० १४/२६) वशंगताभिः। (जयो० १९/८) सौन्दर्यार्थिनि (वि०) रमणीयता इच्छुक। (जयो० ३/८६) सौध (वि.) [सुधया निर्मित रक्त वा अण्] सौपर्णम् (नपुं०) [सुपर्ण+अण] सोंठ, सूखा अदरक। ० मरकत। ० अमृतमय, पीयूषसम। (जयो० ११/४९) सौपर्गेयः (पुं०) [सुपाः विनतायाः अपत्यं सुपर्णी: ढक्] ० चूने से पुता, धवलित। शुभ्र (वीरो० ११/२७) गरुड़ सौधम् (नपुं०) रङ्ग प्रासाद, राजमहल। (जयो०वृ० ११/४९) सौप्तिक (वि.) [सुप्ति+ठक्] निद्राजनक। ० हर्म्य। (जयो० १५/४५) सौबलः (पुं०) [सुबल+अण्] शकुनि। ० भवन, प्रासाद। (सुद० ११७) ० विशाल भवन। सौबली (स्त्री०) [सौबल+ङीप्] धृतराष्ट्र की पत्नी गान्धारी। सौधकारः (पुं०) मकान बनाने वाला, भवन निर्माता। सौभम् (नपुं०) एक नगर का नाम। सौधकेतुः (पुं०) शुभ्रपताका। (वीरो०११/२७) सौभगम् (नपुं०) [सुभग+अण] ० सौभाग्य। ० समृद्धि, धन, सौधगणग्रहीतिः (स्त्री०) प्रासाद परम्परा प्राप्ति। (जयो० वैभव। २०/३०) सौभद्रः (पुं०) सुभद्रा पुत्र अभिमन्यु। सौधपदम् (नपुं०) धवल भवन। (वीरो० २/३३) सौभद्रेय (पुं०) अभिमन्यु। सौधशिरम् (नपुं०) छत, भवन का ऊपरी भाग। सौभागिनेयः (पुं०) [सुभगा ढक्, इनङ् द्विपदवृद्धिः] सबसे 'सौधं हर्म्यं तस्य शिर उपरिभागम्' (जयो० १५/४५) प्रिय पुत्र। सौधसमूहः (पुं०) प्रासाद मण्डल। (सुद० १/२६) सौभाग्यम् (नपुं०) [सुभगायाः सुभगस्य वा भाव-ष्यञ्, सौधसम्पद्दलम् (नपुं०) नागवल्ली-सुधायाश्चूर्णस्य सम्पद्यत्रतत् द्विपदवृद्धिः] ० सुलक्षण, उन्नत भाग्य, सुख-सुविधा। त्वं दलं (जयो० १२/१३४) तस्याः प्रकृतेः प्रयोगवशतः सौभाग्यमिच्छुर्वत (मुनि० २४) सौधानः (पुं०) भवन का अग्रभाग। (वीरो० २/४५) ० संविधान। (जयो०वृ० १/५१) सौन (वि०) [सूना+अण्] कसाईपना। ० अनुग्रह। (जयो० ५/७९) सौनन्दिन् (पुं०) [सौनंद+इनि] बलराम। ० प्रसाद। (वीरो० २/३१) For Private and Personal Use Only
SR No.020131
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size23 MB
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