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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra सेवक भुवि। (वीरो० १७०४१) • सेवन करना। (सुद० १२२) (जयो० २/१८, १/९५) ० आराधना करना । (जयो० ३/५, ३/१०८) ० संरक्षित करना (जयो० ३/५) ० पोषण करना (वीरो० ५/३०) • अनुगमन करना, पीछा करना। अनुसरण करना । ० सहारा लेना, रहना। • अभ्यास करना, अनुष्ठान करना। सेवक (वि०) [सेव्ण्वुल्] सम्मान करने वाला, सेवा करने वाला। www.kobatirth.org ० आराधक । ( भक्ति० ) सेवकः (पुं०) दास, भक्त, पूजक (दयो० १०८) (जयो०वृ० १/१०८) o अनुजीविजन (जयो०१० १६/४३) सेवकस्य चेष्टा सुखहेतुः (सुद० ९२ ) ० दर्जी, ० भृत्य (जयो० ४/१८) परिचारक (जयो०५/२०) सेवकता (वि०) सेवकपना। (वीरो० १५/४०) सेवकोत्कर्ष: (पुं०) सम्मान का उत्कर्ष । (जयो० ) सेवधि ( अव्य० ) सेवा भाव से । सेवनम् (नपुं०) [सेव् + ल्युट्] उपयोग करना, उपभोग करना। ० पूजा करना, सम्मान करना । ० अनुगमन करना, अभ्यास करना। सेवनी (स्त्री० ) [ सेवन + ङीप् ] सुई, सीवन । • संधिरेखा । सेवमान (सेव्+ शानच् ) सेवा करने वाला (वीरो० १५ / २३) सेवा ( स्त्री० ) [ सेव्+अ+टाप्] परिचर्या (वीरो० ५/५) • सम्मान। (सुद० ७३ ) ० संलग्नता, तत्परता। ० पूजा, भक्ति । ० उपयोग अभ्यास। • आश्रय लेना । सेवाकारक (वि०) परिचारक (जयो०वृ० २० /१९) सेवाकार (वि०) दासता युक्त सेवाकाकु (स्त्री०) सेवा परिवर्तन । सेवापरायण: (पुं०) सेवा में तत्पर । (वीरो० १४/१८) सेवार्तसंहननम् (नपुं०) एक संहनन का नाम । सेवावृत (पुं०) कि कर्त्तव्यविमूढ (सुद०) सेवि (वि०) नपुं०) बेर सेव o १२०३ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सैमन्तिकम् सेविका ( स्त्री०) परिणेत्री, परिचारिका । (जयो०वृ० १२ / १८ ) सेवित (भू०क० कृ० ) [सेव्+क्त] सेवा किया गया। ० अनुगत, अभ्यस्त | ० उपभुक्त। सेवितृ (पुं०) [सेव् + तृच्] सेवक, दास। सेविन् (वि० ) [ सेव + णिनि] सेवा करने वाला, सम्मान करने वाला, पूजा करने वाला। सेविनी (वि०) सेवाकारिणी (जयो० १/४) सेव्य ( वि० ) [ सेव् + ण्यत् ] सेवनीय सेवा करने योग्य। ( वीरो ०५ / २१ ) (जयो० ५ / ४७ ) • सम्मान योग्य, पूजनीय, समादरणीय। सै ( सक०) क्षीण होना, नष्ट होना। सैकत (वि०) [सिकताः सन्त्यत्र अण् ] रेतीला, कंकरीला, ० बालुकामयी, ० धूलीप्राय सिकताया इदं सैकतम् (जयो० ११/५९) सैकतलक्षणा (वि०) उत्तम अभिलाषा युक्त। एकं तलं तस्य क्षण उत्सवो यस्या उत्तमाभिलाषवती । (जयो० ११ / ५९ ) सैकतिक (वि०) [सैकत उन्] रेतीले तट वाला, कंकरीट युक्त सैकतिकः (पुं०) साधु । सैद्धान्तिक (वि० ) [ सिद्धान्त+ठक् ] सिद्धान्त सम्बन्धी । यथार्थ उद्घाटन करने वाला मत। सैनापत्यम् (नपुं० ) [ सेनापति + ष्यञ् ] सेना की अध्यक्षता । सैनिक ( पुं०) सिपाही, फौजी, सुरक्षाकर्मी । ० संतरी । सैन्धव (वि०) [सिन्धुनदीसमीपे देशे भवः अण् ] सिन्धु प्रान्त में उत्पन्न होने वाला। ० सिन्धु नदी सम्बंधी। सैन्धवः (पुं०) सैन्धव नमक, सेंधा नमक। ० प्रशंसनीय घोड़ा। (जयो० २१ / २२ ) सैन्धवक (वि०) [सैन्धव बुज्] सैन्धव से सम्बंध रखने वाला। सैन्यः (पुं० ) [ सेनायां समवैति वुञ् ] सैनिक, सिपाही, फौजी, संतरी । सैन्यम् (नपुं०) सेना की टुकड़ी, सैन्य समूह, सैनिक जत्था सैन्यभयः (पुं०) सेना का भय। (जयो० १३ / ५१) सैन्यसागरः (पुं०) सेना रूपी समुद्र, सैन्य समूह। (जयो०१३/३२) ० चतुरंगिणी सेना । सैमन्तिकम् (नपुं० ) [ सीमन्त ठक्] सिन्दूर For Private and Personal Use Only
SR No.020131
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size23 MB
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