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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सुस्थितिः ११९८ सूचिनी सस्थितिः (स्त्री०) उत्तम स्थिति। (जयो० २/४७) शोभावस्था। सूक्ष्मबुद्धिः (स्त्री०) अतिशय बुद्धि, पदार्थज्ञान के करने में सू (सक०) उत्पन्न करना, जन्म देना। प्रवीण बुद्धि। सू (वि०) [सू+क्विप्] पैदा करने वाला। सूक्ष्मवस्तु (नपुं०) सूक्ष्म पदार्थ, अणुतत्त्व। (वीरो० २०/१०) सूकः (पुं०) [सू+कन्] ० बाण। सूक्ष्मसाम्परायः (पुं०) सूक्ष्म कषाय का अस्तित्व। ० पवन, वायु। सूक्ष्माङ्गिन् (स्त्री०) तन्वि, कृशाङ्गी स्त्री (जयो०वृ० १२/१२३) ० कमल। सून (वि०) अति भयंकर। (जयो० ८/७४) सूकरः (पुं०) [सू+करन्] वराह, सूअर। सूच (सक०) बोधना, इंगित करना, समझना। (जयो००६/४८) सूक्त (वि०) शोभन कथन। (जयो० २/४४) बतलाना, प्रकट करना, सूचित करना। ० प्रेरित (जयो० १२/१२५) व्यक्त, कथित। (जयो०१/२२) ० सूचना देना-सूच्यन्ते (जयो०वृ० ६/१२८) ० उपयुक्त वचन (सुद० १२७) सूचः (पुं०) [सूच+अच्] अंकुर का ऊपरी भाग। ० भण्डार। (सुद० २/९) सूचक (वि०) संकेत परक, सूचित करने वाला, वक्ति। ० आगम वाक्य-सूक्तोद्घोषवरप्रयोजनंतयैकान्ते वसेद (जयो० ३/१०६) बुद्धिभृत्। (मुनि० ३०) सूचकः (पुं०) वेधक। सूक्ता (वि०) निर्दिष्टा, कथिता। (जयो०५/१०३) ० कही हुई। ० राक्षस, पिशाच। सूक्तानुशीलनम् (नपुं०) उपयुकत वचन का मनन। (दयो० ० सुई। १०१) (वीरो० १३/३८) ० श्वाना० दुष्ट। सूक्तिमुभिद (वि०) शोभन कथन के भेद वाला। (जयो०२/५०) | सूचनम् (नपुं०) बतलाना, इंगित करना, ० संकेत करना, सूक्तामृतम् (नपुं०) वचनामृत। (सुद० १२४) वर्णन करना। सूक्तिः (स्त्री०) आत्म बोधक कथन, उक्ति मंगल वचन सूचना (स्त्री०) इशारा, संकेत, भाव, अभिप्राय, बतलाना, विचार। (जयो० ५/१०२) । दिखलाना, दर्शाना। ० अगम्य विचार। (जयो० ४/३४) सूचनात्मक (वि०) संकेतात्मक। (जयो०वृ० ३/३६) सूक्तिपरा (स्त्री०) मङ्गलवचन परायण। (जयो० ) सूचनायुक्त (वि०) वर्णन युक्त। (जयो० २१/७९) सूक्तिपूर्वकः (पुं०) विचार पूर्वक। (सुद० ४/२५) सूचनावती (वि०) सूचित करने वाली। (जयो०१० २१/७९) सूक्ष्म (वि०) [सूक्+मन्] महीन, बारीक। सूचा (स्त्री०) ०बींधना, भेंदना। ० स्वल्प, थोड़ा। (मुनि० १८) ० देखना। ० पतला। ० हाव-भाव, दृष्टि, इशारा, इंगित। ० तेज, तीक्ष्ण। सूचिः (स्त्री०) [सूच्+इन् वा ङीप्] सूई। (जयो० १०/१११) सूक्ष्मः (पुं०) अणु। ० तीक्ष्ण, शंकु, स्तूप। । सूक्ष्मम् (नपुं०) सर्वव्यापक, सूक्ष्म तत्त्व। सचिकः (पं०) [सचि+ठन] दर्जी, नामदेव। ० पुद्गल का एक भेद। सूचिका (स्त्री०) सूई। ० शंकू। ० कार्मणस्कन्ध। ० सूंड। सूक्ष्मकायः (पुं०) प्रतिघात रहित शरीर। ० सूचना। (जयो० १३/३) सूक्ष्मक्रियाध्वानं (नपुं०) सूक्ष्म प्रतिपातिध्वनि। (भक्ति० ३३) | सूचिकाधरः (पुं०) हस्ति हाथी। सूक्ष्मजीवः (पुं०) अवरोध रहित जीव। सूचिखातः (पुं०) शंकु। सूक्ष्मत्व (वि०) इन्द्रियगत ज्ञान का न होना, सूक्ष्मता। सूचित (वि०) बतलाई गई, कथित, इंगित। (सुद० ३/१) (भक्ति० ५३) ___० बेधी गई, बींधी गई। (जयो० १०/१११) सूक्ष्मदोषः (पुं०) स्वल्पदोष, किञ्चित्मात्र भी दोष। सूचिन् (वि०) छिद्र करने वाला, बींधने वाला। सूक्ष्मदृष्टिः (स्त्री०) पैनी दृष्टि। (वीरो० २०/१०) सूचिनी (स्त्री०) सूई। ० रात। For Private and Personal Use Only
SR No.020131
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size23 MB
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