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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सुबुद्धि ११९२ सुमनस् । सुबुद्धि (स्त्री०) सुधीकर (सुद० १/१) ० (पुं०) मंत्री का नाम। (समु० ३/१७) सुबोध (वि०) सम्यक् ज्ञान युक्त। सुभ (वि०) अत्यन्त भयङ्कर। (जयो०८/६) सुभग (वि०) सुंदर, मनोरम, रमणीक सुहावना, आकर्षक। ० सौभाग्यवती। (सुद० १०४) ० प्रिय, भाग्यशाली, पुण्यात्मन्। ० सम्माननीय, समादरणीय, महानुभाव। ० प्रीतिप्रभव। सौभाग्यदायक। सुभगनामकर्मन् (नपुं०) जो कर्म सौभाग्य को प्राप्त हो। सुभगा (वि०) भाग्यशालिनी, प्रियकारिणी। सुभङ्गः (पुं०) नारिकेल तरु। सुमडल-वेला (पुं०) माङ्गलिक अवसर। (जयो० ५/५३) पुण्य काल। सुभटः (पुं०) योद्धा, वीर। (जयो० ६/४३) सुभटसूर्यः (पुं०) रतिवर के पिताश्री। (जयो० २३/५३) सुभव (वि०) सौभाग्यशाली। सुभावः (पुं०) परम भाव। (जयो० २/१२३) सुभाषित (वि०) सुकथित, सुंदर भाषण। सुभाषितम् (नपुं०) समुपयुक्तवचन, सारगर्भित वाणी, उपयुक्त वाग्वैभव। ० नीतिपरक विचार। सुभगकोकः (पुं०) चकवापक्षी। (समु० ७/२८) सुभगतमपक्षी (पुं०) अति उत्तम पक्षी गरुड़। (सुद० १०९) सुभगत्व (वि०) सौभाग्य देने वाला। (समु० २/६४). सुभगसामर्थ्य (वि०) सुकृतं परिणाम युक्त। सुभागस्य सुकृतपरिणामस्य टङ्कणस्य वा सामर्थ्य न। (जयो० ६/७४) सुभगा (स्त्री०) सुंदरी, सौभाग्यशालिनी। (जयो० ३/३९) सुभद्र (वि०) कल्याणकारी, भद्रपरिणामी। (जयो०४/३६) सुभद्रा (स्त्री०) चक्रवर्ती भरत की पत्नी। सुभद्रा भरतस्य वल्लभा। (जयो० ३/८८) पट्टरानी। (जयो० २८/६९) सुभागा (वि०) सुभगाया भागशलिन्या सौभाग्यशालिनी। (जयो० १४/३०) सुभासः (पुं०) सुभाष बोस। (जयो० १८/८१) सुभासः सूर्यदीप्त्याः सती यासौ कीर्तिरभ्युदयमञ्चति कीर्तिर्यस्य स सुभाष-- महोदयोऽभ्युदयमञ्चति' (जयो० १८/८१) सुभामिनी (स्त्री०) उत्तमकामिनी। (समु० २/१२) सुभाषा (स्त्री०) उत्तमवचन। (जयो० ३/८४) सुभोगः (पुं०) उत्तम योग। (जयो०वृ० १/२२) परिपूर्ण भोग। (जयो० १/२२) सुभौमः (पुं०) सुभौम नामक चक्रवर्ती। (सम्य०६४) सुफलस्तन शालिनी (स्त्री०) उत्तम फल रूपी स्तन धारण करने वाली स्त्री। 'सुफाल्येन स्तनाः पयोधरा यस्याः सा तैः शालिनी रमणीया। (जयो० १३/५२) सुफला (स्त्री०) नशीला पदार्थ। (सुद० १३०) सुफेनिलः (पुं०) उत्तम साबुन। (जयो० २५/६६) सुभा (स्त्री०) शोभा, कान्ति। (जयो० १२/४४) सुभास (वि०) शोभन कान्ति युक्त। (जयो० १/३७) सुभिक्षम् (नपुं०) प्रबल धन-धान्य उत्तम धान्यावली, प्रचुर धान्य। सुगमता से प्राप्त होने वाला धान्य। सुभृङ्गः (पुं०) सुशोभित भ्रमर। (सुद० २/४५) सुभ्रू (वि०) सुंदर भौंहे वाला। 'शोभने ध्रुवौ यस्याः' (जयो०९/७३) सुभ्रूः (स्त्री०) रमणीय स्त्री। सुमं (नपुं०) पुष्प। (जयो० ९/४३) (जयो० ५/९४) सुमता (वि०) प्राणधारि, सचेतन। सुमति (वि०) बुद्धिमान्, प्रज्ञाशील, विद्वान्, सद्बुद्धि, समीचीन बुद्धि। (जयो० १/८०) सुमतिः (पुं०) सुमतिनाथ तीर्थंकर, पांचवें तीर्थंकर का नाम। __ (भक्ति० पृ० १८) ० सुमति नामक मंत्री। (जयो० ४/१२) ० अनुग्रह, उपहार, आशीष, प्रार्थना, कामना। सुमतिसुधाद (वि०) सद् बुद्धि रूपी सुधा देने वाला। सुमतिसुधादं विगतविषादं शमितविवादं जयतु सुनादम्। (जयो० २/१३७) सुमतिरेव सुधाऽमृतं तां ददातीति। सुमत्यवरोधिः (स्त्री०) सुमति ज्ञानावरण। (जयो० २५/१) सुमत्व (वि०) कुसुमत्व। (जयो० १२/७१) सुमदनः (पुं०) आम्र तरु। सुमध्य (वि०) पतली कमर वाली। सुमन (वि०) प्रिय, मनोज्ञ, श्रेष्ठ, संदर, रमणीय, आकर्षण, विचारशील। (जयो० ४/२५) सुमनः (पुं०) ० गेहूं। ० धतूरा। सुनमस् (वि०) संतुष्ट, प्रसन्न। (सुद० ६९) (सुद०८२) सुमनस् (पुं०) देव, अमर, देवकुल। (दयो० १/११) ० सज्जन। (जयो० ३/४६) (जयो० ३/३०) ० पुष्प, कुसुम। (जयो० १/८५) भवानृषिवरः सुमनः समुदायवान्। For Private and Personal Use Only
SR No.020131
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size23 MB
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