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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सानुग्रहः ११७८ सामाजिक सानुग्रहः (पुं०) संग्रह, समूह। सानूनां शिखराण ग्रहः संग्रहः। | सापल्पः (पु०) सौतेली पत्नि का पत्र। (जयो० २८/३) सापेक्ष (वि०) [सह अपेक्षया] अपेक्षा सहित, सहायता युक्त। सानुनय (वि.) [सह अनुनयेन] सभ्य, शिष्ट, विनीत। (वीरो० २०/२०) सानुप्रास (वि०) अनुप्रास सहित। (जयो०वृ० ३/८२) ० निर्भर। सानुबन्ध (वि०) [सह अनुबन्धेन] क्रमबद्ध, अविच्छिन्न। साप्तपद (वि०) [सप्तपद+अण् खञ् वा] सात पैर चलने वाला। सानुराग (वि०) [सह अनुरागेण] आसक्त, राग युक्त, अनुरक्त। साप्तपदम् (नपुं०) वैवाहिक विधि, जिसमें वर-वधू अग्निसाक्षी (सुद० ३/४६) आदि पूर्वक प्रतिज्ञाशील होते। सान्तपनम् (नपुं०) [सम्+तप्+ल्युट्+अण्] उग्र तप, कठोर साप्तपौरुष (वि.) [सप्त पुरुष+अण] सात पीड़ियों तक तपस्या। फैला हुआ। सान्तानिक (वि०) फैलाने वाला, विस्तार करने वाला। साफल्यम् (नपुं०) [सफल+ष्यञ्] सफलता, उपयोगिता। सान्त्वना (स्त्री०) ढाढस बंधाना, शान्त करना। समाश्वासन (समु० ३/९) (जयो० १२/१९) (भक्ति०१२) साफल्याभावः (पुं०) सफलता का अभाव। (दयो० ९३) सान्दीपिनिः (पुं०) एक ऋषि। साभिधेय (वि०) अभिधान वाचक, वाच्य-वाचक का समन्वय। सान्दृष्टिक (वि०) तात्कालिक, देखते ही देखते होने वाला। (जयो० २/५५) सान्द्र (वि.) [सह अन्द्रेण] आस पास, सटा हुआ, अन्तराल। साभ्यसूय (वि०) [सह अभ्यसूयया] ईर्ष्यालु, ईर्ष्या करने वाला। साम् (सक०) सान्त्वना देना, ढाढस बंधाना! ० घनीभूत (जयो० ५/६२) निविडत्व, भरा हुआ। (जयो० सामः (पुं०) शान्ति, शीत, क्षेमपृच्छ। (जयो०५/६) २५/१९) सामकम् (नपुं०) [समक अण्] मूल ऋण। ० घन, मोटा। सामकः (पुं०) साण। ० प्रचुर, प्रबल, प्रचण्ड। सामकरणम् (नपुं०) सामनीति प्रयोग। (जयो० ७/८०) ० स्निग्ध, मृदु, सौम्य। सुरम्य सन्द्रो स्थीपते हि महात्मना। सामग्री (स्त्री०) [समग्रस्य भावः ष्यञ्] सकलकारककलारूपा (वीरो० १०/२०) किल सामग्री। संघात, उपकरण, सामान। सान्द्रः (पुं०) राशि, ढेर। सामग्रयम् (नपुं०) [समग्र+ष्यब्] समग्रता, पूर्णता। सान्द्रनगालवाल: (पुं०) आर्द्र क्यारी, गीली क्यारी। सामञ्जस्यम् (नपुं०) [समञ्जस+ष्यञ्] संगति, मेल, एकता। (वीरो०२/१२) ० यथार्थता, शुद्धता। सान्धिकः (पुं०) [सन्धां सुराच्यावनं शिल्पं वेत्ति-ठक्] कलाल। सामधामः (पुं०) परम शान्त स्थान। (दयो० २/१२) सान्धिविग्रहिकः (पुं०) [सन्धिविग्रह ठक्] विदेश मन्त्री। सामन् (नपुं०) [सो मनिन्] शांत करना, आराम पहुंचाना। सान्ध्य (वि०) [सन्ध्या+अण] सन्ध्याकालीन। सामन्त (वि०) [समन्त+अण] सीमावर्ती। सान्नहनिक (वि.) [सन्नहन्-ठक्] कवचधारी। सामन्तः (पुं०) नेता, नायक। सान्नहनिकः (पुं०) कवचधारी। सामन्तम् (नपुं०) पड़ोस। सान्निध्यम् (नपुं०) [सन्निधि+ष्यञ्] सामीप्य, पड़ोस। सामयिक (वि०) [समय+ठञ्] समय सम्बंधी, समय पर होने (सुद०११३) वाला। नियत समय पर होने वाला। सान्निपातिक (वि०) कफ, पित्त और वायु, तीनों से विकृत सामायिकसंक्रम् (पुं०) सामायिक कृतिका (भक्ति० ४७) होने वाला। सामर्थ्यम् (नपुं०) [समर्थ+ष्यञ्] ० शक्ति, बल। ___० जटिल। (जयो०वृ० १/४२) सान्यासिक (वि) [सन्यासः-प्रयोजनमस्य ठक्] सन्यासधारी। हित, लाभ। सान्वय (वि०) [सह अन्वयेन] आनुवंशिक। सामवायिक (वि०) [समवाये प्रसृतः ठञ्] अटूट सम्बन्ध युक्त। सापत्न (वि०) [सपत्नी अण्] सौतेली पत्नी से उत्पन्न। सामाजिक (वि०) [समाजः सभावेशनं प्रयोजनमस्य ठञ्] सापल्पम् (नपुं०) [सपत्नी ष्यञ्] प्रतिद्वंद्विता, शत्रुता। समाज से सम्बंधित, सभा से सम्बंधित। For Private and Personal Use Only
SR No.020131
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size23 MB
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