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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सहायिन् ११७४ साकेतम् सहायिन् (वि०) सहयोगी। (जयो० २/५६) सांवत्सरिकः (पुं०) दैवज्ञ, ज्योतिष। सहारः (०) [सह+ऋ+अच्] आम्र तरु। सांवादिक (वि०) [संवाद ठञ्] संवाद वाला, विवादग्रस्त। ० प्रलय, विनाश। सांवृत्तिक (वि०) [संवृत्ति+ठक्] तत्त्वविषयक। सहावान (वि०) आह्वानन। (दयो० २८) सांव्यवहारिक प्रत्यक्षम् (नपुं०) इन्द्रिय और मन के आश्रय सहास (वि.) [ससेन सहितं सहास्यं] मंदस्मित युक्त। (जयो० से होने वाला ज्ञान। 'सांव्यवहारिक इन्द्रियानिन्द्रियप्रत्यक्षम्' ११/४९) (लघीय० स्वो०वि० ४/७४) समीचीनः प्रवृत्ति निवृत्तिरूपो सहासवक्त्रं (वि०) प्रसन्नमुखी, स्मेरमुखी। (जयो०वृ० १५/७२) व्यवहारः सांव्यवहारः, स प्रयोजनमस्येति सांव्यवहारिकसहित (वि०) युक्त, संयुक्त। प्रत्यक्षम् (प्रमेयरत्नमाला २/५) सहितम् (अव्य०) साथ साथ। सांशिः (पुं०) म्लेच्छ। (जयो० २/१३०) सहित (वि०) सहनशील। सांशयिक (वि.) [संशय+ठक्] सन्दिग्ध, संदेह होना। सहिम (वि०) पाले सहित। क्वापि बाधा समायाता द्रुमाकीवेष्यते अनिश्चित। सहिमा। (सुद० १०९) सांशयिकमिथ्यात्वम् (नपुं०) सर्वत्र संदेह बना रहना। सहिष्णु (वि०) [सह+इष्णुच्] सहन करने योग्य, समर्थ, सांसारिक (वि०) [संसार+ठक्] संसार सम्बंधी, लौकिक, ___ शक्तिशाली। (जयो० ८/३५) (वीरो० १७/२८) भौतिक, इहलोक सम्बंधी। सहिष्णता (वि०) क्षमाशीलता (जयो०व० ११४८८ जयो०व० सांसारिकसौख्यं (वि०) सातावेदनीयजन्य सुख। ५/३०) ० धैर्यवान्। सांसिद्धिक (वि.) [संसिद्धि+ठन्] प्राकृतिक, सहज, सहिष्णुत्व (वि०) सहनशीलता युक्त। परोत्कर्षसहिष्णुत्वम्। स्वाभाविक, अन्तर्हित। (सुद०४/४२) सांस्थानिकः (पुं०) [संस्थान ठञ्] समानदेशीय, एक ही सहुरिः (पुं०) सूर्य (स्त्री०) पृथ्वी, भूमि। देश का निवासी। सहृदय (वि०) [सहहृदयेन] कृपालु, करुणाशील। सांस्राविणम् (नपुं०) [सम्+उ+णिनि+अण] सामान्य प्रवाह। सहृदयः (पुं०) सज्जन। सहल्लेख (वि०) [हृदयस्य लेखः] सह हल्लेखेन। सन्दिग्ध) | ० सरिता। सहेल (वि.) [सह हेलेन] केलियुक्त, क्रीड़ावान्। साहनिक (वि०) [संहनन ठक्] शारीरिक, कायिक, शरीर सहोदरः (पुं०) सगा भाई। (दयो० ८६) सहोदरोऽनुसर्तव्यो सम्बंधी। यदिनासित विक्रिया। (हित० ११) साकम् (अव्य०) [सह+अकृति] समर्थ के साथ, साथ मिलकर। सह्य (वि०) सहन करने योग्य। (सुद० ९८) (वीरो० ११/७) सा (स्त्री०) [सो+उ+टाप्] लक्ष्मी, पार्वती। ० संभव। (सुद० २२/२) सा (अव्य०) समान, सदृशा (सुद० ३/४०) 'सोम सा ० युगपत्, एक साथ, एक ही समय। अन्नेन नाधुद्विंदलेन कैरव-हारमुद्रा'। साकनाम। सांख्यः (पुं०) सांख्यदर्शन। (जयो०वृ० ५/२०) साकल्यम् (नपुं०) [सकल+ष्यञ्] समष्टि, सम्पूर्णता, समग्रता। सांख्यमतः (पुं०) सांख्यदर्शन का पक्ष। (दयो० ९३) साकल्यदाता (वि०) सम्पूर्ण देने वाला। प्रकृति करोति कार्यं सुमहदहङ्कारपूर्वक मानात्। साकल्यभाज् (वि०) भव्य सामग्री, हवन सामग्री। (जयो०२३/६) पुरुषश्चेतयते पुनरेव समयोऽपि सांख्यानाम्।। (दयो० ९३) साकूत (वि०) [सह आकूतेन] साभिप्राय, सार्थक, अर्थयुक्त। सांख्यसम्पत (वि०) सांख्य परम्परा युक्त। (दयो० ४१) ० अभिप्राय युक्त। सांयात्रिकः (पुं०) [संयात्रा+ठञ्] समुद्रव्यापारी, पोतवाणिक्। ० प्रिय, सुंदर, यथेष्ट। सांयुगीन (वि०) [संयुगे साधु] युद्ध सम्बन्धी, रणकुशल। साकूतम् (अव्य०) भावुकता सहित, मार्मिकता पूर्ण। सांराविणम् (नपुं०) [संराविन्+अण] उच्च स्वर, तीव्र कोलाहल। साकेतम् (नपुं०) [सह आकेतेन] अयोध्या नगरी का नाम। सांवत्सर (वि०) वार्षिक, सालाना। उत्तमानि आकेतानि भवनानि। (वीरो० ११/२८) For Private and Personal Use Only
SR No.020131
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size23 MB
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