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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir समापन्न ११५१ समारोपित ०अनुभाग। समायत (भू०क०कृ०) [सम्+आ+यम्+क्त] लंबा किया हुआ, ०अध्याय। बढ़ाया हुआ। नष्ट करना, हनन करना। समायसमयः (पुं०) समुचित अवसर। समापन्न (भू०क०कृ०) [सम्+आ+पद+क्त] ०प्राप्त, अवाप्त, ०माया युक्त चेष्टा के शास्त्र। (जयो० ३/४) घटित हुआ। समाययु। एकत्रित हुए। समागत, आया हुआ, आघात, पहुंचा हुआ। समायात् (वि०) आगतवान्, आया हुआ। (जयो० ३/६८) ०पूर्ण, समाप्त, सम्पन्न। (सम्य० ७५) ०दु:खी, व्याकुल, कष्टयुक्त। समायुक्त (भू०क०कृ०) [सम्+आ+युज्+क्त] संयुक्त, संबद्ध, समापदनम् (नपुं०) [सम्+आ+पद्+णिच् ल्युट्] सम्पन्न संलग्न। करना। सज्जित, तैयार किया हुआ। पूर्ण करना, मूर्त रूप देना। नियुक्त किया हुआ। समापित (वि०) समाप्त। (सुद० ४/२५) समायुज् (सक०) जोड़ना, संग्रह करना। (सुद० २/२०) समाप् (सक०) समाप्त होना। (सुद०१३७) पुण्यादहं समाप्नोमि समायुत (भू०क०कृ०) [सम्+आ+यु+क्त] संयुक्त, संबद्ध, समाप्त (भू०क०कृ०) [सम्+आप+क्त] ०पूर्ण किया हुआ, संलग्न। पूरा किया हुआ। (सुद० १३७) ०सहित, युक्त, अन्वित। उपसंहृत, समेटा हुआ। समायुक्त (वि०) सहित। (सुद० ४/३) समाप्तकल्पः (पुं०) परिपूर्ण, सहाय युक्त कल्प। समायोगः (पुं०) [सम्+आ+युज्+घञ्] सम्बंध, संयोग, समाप्ताल: (पुं०) [समाप्ताय अलति पर्याप्नोति-समाप्त+अल्+ मेल। (दयो० ७१) उम्प्रयोग (जयो० २३/४२) अच्] ०प्रभु, स्वामी। पति। •संग्रह, ढेर, समुच्चय। समाप्तिः (स्त्री०) [सम्+आप+क्तिन्] ०उपसंहार, अंत, पूर्ति। कारण, प्रयोजन, उद्देश्य। पूरा करना, पूर्ण करना। समाप्तिक (वि०) [समाप्ति ठन्] समापक, समायोजनम् (नपुं०) समायोग। (सुद० १०२) ०अन्तिम, निष्पन्नता युक्त, समाप्त करने वाला। समारब्धः (पुं०) आरब्ध। (जयो० २/११६) प्रारम्भ। समाप्लुत (भू०क०कृ०) [सम्+आ+प्लु+क्त] ०बाढ़ ग्रस्त, (जयो०१५/८) बाढ़ में डूबा हुआ। समारम्भः (पुं०) [सम्+आ+र+घञ्] प्रतिसार। ०आरम्भ ०पूरित, भरा हुआ। शुरु। (सुद० ११२) (जयो० १०/१) समाभाषणम् (नपुं०) [सम्+आ+भाष ल्युट्] वार्तालाप, संवाद, Pकार्य प्रारम्भ, उत्तरदायित्वप्राणव्यपरोपण, पूर्ण कार्य। कथोपकथन। ०परितापकारी व्यापार। जीवापमर्द। समाम्नानम् (नपुं०) [सम्+आ+म्ना+ ल्युट] ०आवृत्ति, उल्लेख। ०परितापन। गणना। समाराध् (सक०) आराधना करना। (मुनि० १६) समाम्नायः (पुं०) [सम्+आ+ना+य] म्ना अभ्यासे समापूर्वः समाराधनम् (नपुं०) [सम्+आ+राध्+ल्युट्] प्रसन्न करना, भावे घजि। सन्तुष्ट करना। ०अनुश्रुति, परम्परागत। समारुह (अक०) [सम्+आ+रुह्] आरुढ़ होना। (जयो०११/६) ०पाठ, सस्वर पाठ। समालोचनम् (नपुं०) समीक्षा। (जयो० ५/४०) निर्देशन। सम्परोपणम् (नपुं०) [सम्+आ+रुह् णिच्+ ल्युट्] रखना, समष्टि, संग्रह। अवस्थित करना। समायः (पुं०) [सम्+आ+इ+अच्] ०पहुंचना, आना। सौंपना, देना। | समारोपित (भू०क०कृ०) [सम्+आ+रह+णिच्+क्त] आरोपित, ६/३) क्वापि बाधा समायाता। (सुद० १०९) आरूढ़ किया गया, चढ़ाया हुआ। For Private and Personal Use Only
SR No.020131
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size23 MB
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