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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सन्तमसारिः ११३७ सन्दर्भः सन्तमसारिः (पुं०) सूर्य, दिनकर। शुशुभेऽप्यशुभेन चक्रितुक् तत्तमसा सन्तमसारिरेव भुक्तः। (जयो० ८/८१) सन्तरणं (नपुं०) पार (समु० १/६) सन्तर्जनं (नपुं०) [सम्+त+ल्युट्] डांटना, फटकारना, दण्ड देना। सन्तर्पक (वि०) [सम्+तृप्+कन्] सन्तुष्ट करने वाला। सन्तर्पणं (नपुं०) [सम्+तृप्+ल्युट्] ०संतुष्ट करना, तृप्त करना। ०खुश करना, प्रसन्न करना। सन्तर्पणभृत् (वि०) प्रसादनकर, सन्तर्पक। सन्त्रस्त (वि०) भयभीत। (जयो० २८/३३) सन्ताड् (सक०) प्रताहित करना, कष्ट देना, पछाड़ना। कन्दुः कुचारकारधरो युवत्या सन्ताड्यते वेस्यनुगोनाधारि। (वीरो० ३/३७) स्मरस्य सन्तर्पणभृत्तदीयधूमोच्छितिर्लोमततिः सतीयम्। (जयो० ११/३१) सन्तानः (पुं०) [सम्+तन्+घञ्] ०परम्परा, ०प्रवाह। सन्तानं (नपुं०) [सम्+तन्+ल्युट्] ०अविच्छिन्न, प्रवाह, परम्परा (जयो० ३/१०३) विस्तार, फैलाव, प्रसार। (जयो० १०/३७) बिछाना, फैलाना, विस्तृत करना। प्रवाह, धारा, परम्परा। प्रजा, परिवार, वंश, कुल। सन्तति, सन्तान, बाल बच्चा। (दयो० ५९) सन्तानकः (पुं०) [सन्तान+कन] एक वृक्ष विशेष, स्वर्ग सम्बंधी तरु। सन्तानिका (स्त्री०) [सम्+तन्+ण्वुल्+टाप्] छाग, फेन। मकड़ी का जाला। ०चाकू, तलवार। सन्तापः (पुं०) [सम्+तप्+घञ्] ०गर्मी, ऊष्मा, उष्णता। (सुद० १२७) तपन, जलन। दुःख, पीड़ा, कष्ट, वेदना, व्यथा। ०सताना, दु:ख देना। आवेश, रोष, क्रोध, कोप। तमतमाना। ०पश्चाताप, तपस्या। (सुद० ७८) सन्तापकर (वि०) पीड़ादायक। (समु० ३/३) सन्तापकलापः (पुं०) [सन्तापस्तस्य कलापः समूह:] कष्ट समूह, व्याधि समुच्चय। (जयो० १३/९९) | सन्तापकृत् (वि०) वेदना उत्पन्न करने वाला। (सुद० ८७) सन्तप्पनं (नपुं०) जलन, दाह। सन्तापयुक्त (वि०) अनुतप्त, संवेदना युक्त। (जयो०वृ० ९/४३) सन्तापित (भू०क०कृ०) [सम्+तप्+णिच्+क्त] ०पीड़ित, दु:खित, व्याधिग्रस्त। ०कष्टयुक्त। संतप्त किया हुआ। सन्तप्तता (वि०) संताप युक्त। (वीरो० २१/३) सन्तिः (स्त्री०) [सन्+क्तिन्] विनाश, अन्त, समाप्ति। उपहार, भेंट। संतुल् (सक०) तोलना। (जयो० ८/९६) सन्तुष्टता (वि०) सन्तोष जनक। (समु०४/३) सन्तुष्टभावः (पुं०) सुपरितोष भाव। सन्तोषणं (नपुं०) प्रसन्न करना। (जयो०वृ० १/९९) सन्तोषदायक (वि०) संतुष्टि प्रदायक, परितोष उत्पन्न करने वाला। (जयो०७० ४/४६) सन्तोषदायी (वि०) तुष्टिदायी, इच्छापूर्तियुक्त। (दयो० ५७) सन्तोषभावः (पुं०) प्रसन्न भाव, हर्षभाव। सन्तोषवारि (नपुं०) सन्तोष रूपी जल। (वीरो० २०/२) सन्तोषशील (वि०) सन्तुष्टि युक्त। सन्तोषामृतधारिणी (स्त्री०) सन्तोष रूपी अमृत धारण करने वाली। (सुद० ४/३३) सन्तोषी (वि०) सन्तोष रखने वाला। सन्त्यजनं (नपुं०) [सम्+त्यज्+ल्युट्] छोड़ना, त्याग देना, परित्याग करना। सन्त्रासः (पुं०) भय, डर, आतंक। सन्दद् (वि०) दत्तवती। (जयो०५/१५) सन्दधता (वि०) स्पर्शकर्ता। (जयो० २२/५०) सन्दधनी (वि०) सुशोभित होने वाली। (जयो० १/६८) सन्दंशः (पुं०) [सम्+दंश्अच्] ०सन्डासी, चिमटा। ०दांत भींचना। संदा (सक०) देना-संददत् (जयो० ३/३५) सन्दर्शकः (पुं०) [संदृश्+कन्] चिमटा, सन्डासी। सन्दर्भः (पुं०) [सम् दृश्+घञ्] ०सन्तति, सम्बन्ध, संलग्नता। ०आत्म परिचय। ०क्रम करना, मिलाना। मिश्रण, संग्रह। संरचना, निबन्ध। For Private and Personal Use Only
SR No.020131
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size23 MB
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