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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सञ्चेतना ११२७ ससे सञ्चेतना (स्त्री०) ज्ञानचेतना। (सम्य० ४१, ११७) सञ्जयोतिर्धामः (पुं०) परम ज्योति के धाम। भुवि देवा बहुशः सञ्चूर्ण (नपुं०) [सम्+चूर्ण ल्युट्] चूर चूर करना, खण्ड स्तुता भो सञ्जर्यातिर्धाम' (सुद० ७३) खण्ड करना, पीसना, मसलना। सज्वल (अक०) जलना, दाह होना। (सम्य० १०५) सञ्चेत्ये-चेतना को प्राप्त होता है। (सम्य० ४१) सञ्चलनं (नपुं०) जलन, दाह, पीड़ा। सञ्छन्न (भू०क०कृ०) [सम्+छद्+क्त] लिपटा हुआ, ढका ०सज्वलन कषाय। हुआ, छिपा हुआ। सञ्ज (वि.) [सम्+ज्ञा+क] चेतना युक्त, सचेतना। होश ०वस्त्र धारित। प्राप्त। सञ्छादनं (नपुं०) [सम्+छद्+णिच्+ ल्युट्] ढकना, छिपाना। सझं (नपुं०) सुगन्धित काष्ठ। (वीरो० ५/१४) सञ्जपनं (नपुं०) [सम्+ज्ञा+णिच्+ल्युट्] हत्या, वध, घात। सञ्छादनवृत्ति (स्त्री०) छिपाने की प्रवृत्ति। (जयो० २३) सञ्ज्ञा (स्त्री०) [सम्+ज्ञा+अ+टाप्] चेतना, होश। चैतन्य संञ्चेत सह चेतनातया। चेतना सहित (सम्य० ४०) शक्ति । सञ्ज (अक०) संलग्न होना, जुड़े रहना, चिपके रहना। जानकारी, समझा ०अच्छा होना। (जयो० २/२) ०बुद्धि, मन। सञ्जायते-तत्पर रहना। (जयो० १९/९४) * उद्यत होना। ०संकेत, इंगित, इशारा, निशान, चिह्न। (मुनि० २२/ ) ०नाम, पद, अभिधाना सञ्ज (सक०) जकड़ना, फेंकना, रखना, मिलाना, जोडना। ०संज्ञा शब्द विशेष-व्याकरण शास्त्रोक्ते संज्ञो तद्वान् (सुद० १०३) सञ्जायते झरना-सञ्जातातानि (जयो० ३/९०) (जयो०वृ० १/९५) प्रेरित करना, निर्दिष्ट करना। (मुनि० १८) सज्ञाकरणार्थ (वि०) संज्ञा शब्द बनाने के लिए। सञ्जः (पुं०) [सम्+जन्+उ] ब्रह्मा। शिव। (जयोवृ० १/९५) सञ्जय (वि०) जीतना, (सुद० १०४) ०जय, विजय। सज्ञात (वि०) सज्ञात्मक शब्द वाले। सञ्जयः (पुं०) [सम्+जि+अच्] धृतराष्ट्र के सारथि का नाम। सज्ञात्मक (वि०) सञ्ज्ञाशब्द युक्त। सञ्जल्पः (पुं०) [सम्+जल्प्+घञ्] ०वार्तालाप, बातचीत। सञ्ज्ञानं (नपुं०) जानकारी, समझ। शोरगुल, हंगामा। सज्ञान्तरकरणार्थ (वि०) सञ्ज्ञा शब्दों की विधि बतलाने वाले। सञ्जवनं (नपुं०) [सम्+जु+ल्युट्] चतुःशाल, आंगन युक्त गृह। सज्ञापनं (नपुं०) [सम्ज्ञा+णिच्+ल्युट] ०वध, घात, हत्या। सञ्जा (स्त्री०) [सञ्ज+टाप्] अध्यापन, शिक्षणा सञ्जात (वि०) उत्पन्न हुआ। (सुद० ३/३०) ०सूचना। सञ्जीविता (स्त्री०) अपहृता, अपहरण की गई। (सुद०८८) | सज्ञापत् (वि०) [सज्ञा+मतुप्] नाम वाला, नामक, नामधारी। सञ्जीवनं (नपुं०) [सम्+जी+ल्युट] जीवनाधार भूत। सज्ञिन् (वि०) नाम वाला, जिसका नाम रखा जाए। अथ (जयो० २६/७५) सागरदत्त संज्ञिनः (सुद० ३/३४) ०मन वाले जीव। समनस्क सञ्जीवनभृत् (वि०) जीवन दान देने वाला। (वीरो० १९/३०) (त०सू०पृ० ३४) सञ्जजीवनी (स्त्री०) एक औषधि, जीवन दान देने वाली सञ्ज (वि०) [संहते जानुनी यस्य] जिसके घुटने चलने पर औषधि। टकराते हो। सञ्जजीवनीयः (पुं०) जीवनदायक औषधि 'जीवनदं जीवनदायक सञ्चरः (पुं०) [सम्+ज्व+अप्] अतिताप, ज्वर, बुखार। सञ्जीवनीयमौषधं' (जयो०वृ० ६/७५) गर्मी, संताप। सञ्जीविनी (स्त्री०) एक औषधि, अमृतत्व युक्त औषधि। ०कोप, क्रोध। सञ्जीविनीव सा शक्तिर्विषा ज्योत्स्नेव मे विधो। सञ्चल (वि०) देदीप्यमान। (जयो० २४/४९) समभाति जगन्मान्या किन्त्वियं तु प्रसन्नता।। सञ्सेज (सक०) मानना, स्वीकार करना। (वीरो० ९/८) (दयो० ११०) ज्योऽतियुक्तिर्गुरुभिश्चं संसेजत् (वीरो० ९/८) For Private and Personal Use Only
SR No.020131
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size23 MB
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