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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सङ्कोचं ११२१ सङ्ख्या - उपभोग। सङ्कोचं (नपुं०) केसर, जाफरान। सञ्जयः (पुं०) [सम्+क्षि+अच्] विनाश, घात, हानि, क्षय। सङ्कोचकरणं (नपुं०) न्यूनीकरण। (दयो० ६१) सङ्कोचतती (वि०) लज्जालुता । (जयो० १७/१२) ०अन्त, प्रलय। सङ्कोचदशा (स्त्री०) मुद्रितदशा। सञ्जालन् (नपुं०) धोना। (जयो० २७/९) ___'वनवासिषु सङ्कोचदशा सा' (सुद० ९७) ) संघसङ्गामात्। (सुद०४/२९) सङ्कोचनं (नपुं०) निमीलन। (जयो०वृ० १५/४९) सङ्गिरा (स्त्री०) ओष्ठ वचन। (जयो० ५/५५) सङ्कोचशलि (पुं०) लज्जालु। (जयो० १६/४५) सङ्गिन् (वि०) [सञ्ज+घिनुण्] सङ्कोचशील (वि०) विनम्रीभूत, समेटते हुए। (जयो० १/१००) संयुक्त, मिला हुआ। सङ्कोचवर्जित (वि०) निर्लज्जता। (जयो० ) ०अनुरक्त, स्नेहशीला सङ्ककृतिः (स्त्री०) संकटनामक दोष। (जयो० २६/८२) ०संगम युक्त, संगत सहित। सङ्क्रन्दनः (पुं०) [कृष्ण] सङ्गीत (भू०क०कृ०) [सम्+गै+क्त] सहगान, सामूहिक गान, सङ्क्रमः (पुं०) [सम्+क्रम्+घञ्] मिलकर गाया गया गान। सहमति, संगमन। सङ्गीतं (नपुं०) सामूहि ज्ञान/गायन, गान, मधुर तान। संक्रान्ति, यात्रा। गोष्ठी, सहसंगीत। 'समीचीनशामित क्रमः शक्लौपरिपाटयाम् इति वि० (जयो० | सङ्गीतगुणः (पुं०) नीचे का गुण, गायन की विशेषता। (जयो० ५/७७) २८/२९) स्थानान्तरण, प्रगति। गमन। (जयो० २३/३६) सङ्गीतशाला (स्त्री०) गायन शाला। सङ्क्रम (नपुं०) कठिन मार्ग, संकरा मार्ग। सक्षिप्तपदं (नपुं०) लघुमंदचरणक्षेप। (जयो० २४/५२) सेतु, पुल। सङ्कक्षिप्तिः (स्त्री०) [सम्+शिप्+क्तिन्] ०संक्रमण। (समु० ८/१५) ० भींचना, संक्षेपण। सङ्क्रमणं (नपुं०) [सम्+कम्+ल्युट्] ०फेंकना, भेजना। संक्रान्ति, प्रगति, गमन, यात्रा। सक्षेपः (पुं०) [सम्+क्षिप्+घञ्] संगमन, सहमति। छोटा करना। ०एक बिन्दु से दूसरी बिन्दु पर जाना। ०लाघव, संहृति, ह्रास। सङ्क्रमित (वि०) चलायमान। (जयो० ५/७३) निचोड़, सरांश। सङ्क्रमोदित (वि०) प्रसिद्धि प्राप्त हुई। (जयो० २२/२०) ०फेंकना, भेजना। सङ्क्रान्त (भू०क०कृ०) [सम्+क्रम्+क्त] ०अपहरण करना। संगमन, मेल, मिलान। सक्षेपणं (नपुं०) [सम्+ष्विप्+ल्युट्] ०हस्तान्तरण, स्थानान्तरण। ०लघुकरण, छोटा करना। ०प्रतिमा, प्रतिबिम्ब। ह्रस्वीकरण, संक्षिप्तिकरण। सङ्क्रीडनं (नपुं०) [सम्+क्रीड्+ल्युट] साथ में खेलना, एक सक्षोभः (पुं०) [सम्+क्षुभ्+घञ्] साथ कीड़ा करना। ०आंदोलन, कपकंपी। सङ्क्रीणं (नपुं०) खरीदना। (जयो० ३/६१) ०बाधा, हलचल। सङ्क्ले दः (पुं०) [सम्+क्लिद्+घञ्] तरी, नमी। ०अहंकार, अभिमान। सङ्क्रशित (वि०) क्लेश सहित। (जयो० २/१२७) ०दु:ख, व्याकुलता, कष्ट। सङ्क्ले श (पुं०) दु:ख। (वीरो० १८/११) सङ्ख्यं (नपुं०) [सम्+ख्या+क] संग्राम, युद्ध, लड़ाई। सङ्क्लेशकृतत्व (वि०) क्लेश करने वाला। (सुद० २/२६) सङ्खननं (नपुं०) खुदवाना। (वीरो० २२/२४) सङ्क्लेशदेशः (पुं०) कष्टभाव। (जयो० २६/९७) सङ्ख्या (स्त्र) [सम्+ख्या+अ+टाप्] For Private and Personal Use Only
SR No.020131
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size23 MB
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