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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्रान्ततार योग्य। श्रान्ततार (वि०) आलस्य भाव युक्त। (जयो० २१/१९) श्राविका धनवत्यभूतः। (वीरो १५/२९) श्रान्तिः (स्त्री०) [श्रम् क्तिन्] ०क्लान्ति, परिश्रन्ति। (दयो० उपासिका, जो शक्ति के अनुसार मूल गुण और उत्तर ६२) गुण का पालन करती है। ०थकान, थकावट। श्राव्य (वि०) [श्रु+णिच् यत्] सने जाने योग्य, श्रवण करने श्रान्तिवशः (वि०) थका हुआ। (दयो०६२) श्रामः (पुं०) [श्राम्+अच्] समय, काल। सुनने में स्पष्ट। अस्थायी, ०छाजन। श्रि (सक०) शरण लेना, सहारा लेना, आश्रय लेना। (सुद० श्रामण्यकर्मन् (पुं०) जिनदीक्षा। (वीरो० ११/३) १/१८) श्रयन्ति। श्रामण्यात्मबोधः (पुं०) श्रमणपना अंङ्गीकार का ज्ञान। (वीरो० चाहना, सेवन करना, इच्छा करना। (जयो०१० २/७१) १५/२६) अध्ययन करना, शिक्षा लेना। (जयो०७० २/४७) श्रायः (पुं०) [श्रि+घञ्] आश्रय, आधार, सहारा, शरण, मानना, स्वीकार करना। (सुद० १२१) संरक्षण। जाना, पहुंचना, धारण करना। श्रावः (पुं०) [श्रु+घञ्] सुनना, कर्णदेना, कान लगाना। निवास करना, वसना। श्रावकः (पुं०) [श्रु+ण्वुल्] व्रती, अणुव्रत, धारक व्यक्ति, ०सम्मान करना, सेवा करना। बारह व्रत पालक व्यक्ति। ०पूजा करना, अर्धना करना। सप्त व्यसवत्यागी पुरुष। ०चुनना, चयन करना, छांटना। सुदृढोपयोग व्यक्ति। (जयो०वृ० ७/३४) ०कहना, बोलना। (जयो० १५/१२) उपासक। (जयो०वृ० १/१३३) ०ग्रहण करना। (जयो० ३/१०७) ० श्रोता। श्रित (भू०क०कृ०) [श्रि+क्त] गया हुआ, (जयो० १३/१२) शिष्य छात्र। संबद्ध। श्रावण (वि०) [श्रवण+अण] कर्ण सम्बंधी। आच्छादित. बिछाया हुआ। ०श्रवण नक्षत्र में उत्पन्न। ०युक्त, पूरित। श्रावणमासः (पुं०) सावन मास। (वीरो० १३/२९) वि०सं० ०सहित, सम्पन्न। (सुद० ४/१४) १९८३ के सावन मास की सुदी पूर्णिमा में जयोदय श्रिताडिम्बः (पुं०) विप्लव। (जयो० ५/२३) महाकाव्य की रचना की गई। श्रितवान् (वि०) गया हुआ। (सुद० ३/८) श्रावणमासमितिं प्रति याति पूर्ण श्रिता (वि०) पालिता। (सुद० ४/३३) निजपरहितैक जाति। (जयो० २८/१०९) श्रितिः (स्त्री०) [श्रि+क्तिन्] आश्रय, आधार, शरण, अवलम्ब। श्रावणिक (वि०) श्रावण मास सम्बंधी। ०पहुंच। श्रावणिकः (पुं०) सावन मास। श्रिस् (सक०) जलाना, प्रज्वलित करना। श्रावणी (स्त्री०) [श्रवणेन नक्षत्रोण युक्ता | श्री (स्त्री०) [श्री+क्विप्] धन, सम्पत्ति, वैभव, सम्पदा, मौर्णमासी-श्रवण+अण+ङीप] श्रज्ञवण मास की पूर्णिमा। समृद्धि। (सम्य० १५६) श्रावस्ति (स्त्री०) श्रावस्ती नामक नगर, गंगा नदी के उत्तर में ०ऐश्वर्य, राजसत्ता, सम्प्रभुता। (सम्य०६७) स्थित एक नगर। सौन्दर्य, चारुता, लालित्य, कान्ति। श्राविका (स्त्री०) व्रती गृहिणी। व्रत पालन करने वाली स्त्री। ०शोभा, आभा, प्रभा। (सुद० १३६) (वीरो० १५/२९) उत्तम, श्रेष्ठ। (सुद० ८३) सुधर्मस्वामिनः पार्श्व लक्ष्मी, विष्णुप्रिया। उष्ट्रदेशाधियो यमः। श्री लक्ष्मी भारती शोभा प्रभासु सरलद्रुमे इति विश्वलोचनः। दीक्षा जग्राह तत्पत्नी (जयो० १५/१५) For Private and Personal Use Only
SR No.020131
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size23 MB
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