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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शुद्धिसम्पादक १०८४ शृङ्गवत् समाधान, संशोधन। शूष (सक०) पैदा करना, उत्पन्न करना। संकलकर्मोपाय। ०जन्म देना, सृजन करना। ०चमक, कान्ति। शृकालः (पुं०) गीदड़। शुद्धिसम्पादक (वि०) निर्मल करना, स्वच्छ करना। (जयो० | शृगालः [असृजं लाति-ला+क] गीदड़। २/७७) ०ठग, धूर्त, उचक्का । शूल: (पुं०) त्रिशूल। (जयो० ८/१५) ० भीरु, दुष्ट प्रकृति वाला। कटुभाषी। शूलं (नपुं०) [शूल+क] पैना, नुकीला। ०कृष्ण। त्रिशूल, तीक्ष्ण, बी, भाला। शृगालकेलिः (स्त्री०) एक प्रकार का बेर। अयस्क शलाका। शृगालजम्बु (स्त्री०) ककड़ी, खीरा। ०पीड़ा, कष्ट, व्याधि। शृगालजम्बु गठिया, जोड़ा का दर्द। शृगालिका/शृगाली (स्त्री०) [शगाल+ङीष्) गीदड़ी, लोमड़ी। झण्डा, ध्वजा। ०पलायन, प्रत्यावर्तन। शूलकः (पुं०) [शूल+कन्] घड़ियल घोड़ा। शृङ्खलः (पुं०)शृङ्खला (स्त्री०) [शृङ्गात् प्राधान्यात् स्खल्यते शूलग्रन्थि (स्त्री०) एक घास विशेष, दूर्बा, दूब। अनेन] शूलघातनं (नपुं०) लोह चूर्ण। शृङ्खला (स्त्री०) ०करधनी, कंदौरा। शूलन (वि०) शामक औषधि, वेदनाहर। श्रेणी, परम्परा। शूलधन्वन् (वि०) शिव, महोदव। ०सांकल। (वीरो० ६/२६) शूलधर देखो ऊपर। शृङ्खलकः (पुं०) [शृङ्खल+कन्] जंजीर। शूलधारिन् (पुं०) महादेव, शिव। ऊंट। शूलधृक् देखो ऊपर। शृङ्खलित (वि०) [ शृङ्खला+इतच्] जंजीर में बंधा हुआ, शूलपाणि (पुं०) शिव, महादेव। जकड़ा हुआ। शूलभृत् (पुं०) शिव, महादेव। पंक्तिबद्ध। (जयो०१०/५५) शूलशत्रु (पुं०) एरण्ड। शृङ्गं (नपुं०) [शृ+गन्] सींग। शूलस्थ (वि०) सूली पर स्थित। शिखर, चोटी, कूट। (सम्य० ११६) शूलहन्त्री (स्त्री०) एक जौ विशेष। 'ग्रीष्मे गिरेः श्रङ्गमधिष्ठित्' (वीरो० १२/३५) शलहस्तः (पुं०) भालाधारी. बीधारी। उत्तुंग भाग, ऊंचाई। शूला (स्त्री०) [शूल+टाप्] वेश्या। उन्नत, सर्वोत्तम, सर्वोपरि। शूलाकृतं (नपुं०) [शूल+अच्-कृ+क्त] भुना हुआ मांस। ०अग्रभाग, नोक्त। शूलिक (वि०) [शूल+ठन्] शूलधारी, त्रिशूल युक्त। सलाक ०सानु शिखर। (जयो० १५/१३) पर भुना हुआ। शृङ्गकः (पुं०) सींग। शूलिकः (पुं०) खरगोश, शश। ०चन्द्रचूडा। शूलिकं (नपुं०) भुना हुआ मांस। शृङ्गकं (नपुं०) बाण। शूलिन् (नपुं०) [शूलमस्त्यास्य इनि] बींधारी, शूलधारक, शृङ्गकं (नपुं०) उदर शूल से पीड़ित। शृङ्गजः (पुं०) बाण। शूलिन् (पुं०) खरगोश। शिव, महादेव। शृङ्गप्रहारिन् (वि०) सींग से मारने वाला। शूलिनः (पुं०) [शूल+यत्] सूली पर स्थित। शृङ्गप्रियः (पुं०) शिव, महादेव। सलाख पर भुना हुआ। शृङ्गमोहिन् (पुं०) चम्पक वृक्ष। शूल्यं (नपुं०) भुना हुआ मांस। शृङ्गवत् (वि०) चोटी वाला। For Private and Personal Use Only
SR No.020131
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size23 MB
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