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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शिखावृक्षः १०६८ शिथिल शिखावृक्षः (पुं०) दीपाधार, दीवट। शिक्षु (सक०) टनटनाना, झनझनाना। शिखावृद्धिः (स्त्री०) बढ़ने वाला ब्याज। ०खड़खड़ाना। शिखावृत (वि०) शिखाभिर्वृक्षशाखाभिर्वृत-शाखाओं से | शिञ्जः (पुं०) [शिञ्ज+घञ्] टंकार, झनझनाहट। आच्छादित वृक्षा (जयो०१३/६८) ०शाखा युक्त तरु। | शिञ्जञ्जिका (स्त्री०) कटिबंध, करधनी, कंदौरा। शिखिन् (वि०) [शिखा अस्त्यस्य इनि] शिखाधारी, चोटी | शिञ्जा (स्त्री०) [शिञ्ज+अ+टाप्] टंका, झंकार। युक्त, कलगीदार। ____०धनुष की डोरी। घमण्डी। शिञ्जित (भू०क०कृ०) [शिञ्ज+क्त] टंकृत, झंकृत, ध्वन शिखिन् (पुं०) अग्नि, आग। युक्त। मुर्गा। शिञ्जिनी (स्त्री०) [शिञ्ज+णिनि+ङीप्] धनुष की डोरी। ०बाण। मयूर। (जयो० १२/५१) ____झांवर, नुपूर। ०वृक्ष, ०दीपक। शिट् (सक०) घृणा करना, तिरस्कार करना, तुच्छ समझना। सांडा०अश्व। शिडी (स्त्री०) उन्मत्त-शिडीति देश भाषायाम् (जयो०वृ० ०पर्वत। ब्राह्मण। ८/१५) साधु, केतु, चित्रक वृक्षा शित (भू०क०कृ०) [शो+क्त] तेज किया हुआ, पैना किया शिखिकण्ठः (पुं०) तूतिया, नीला थोथा। हुआ। शिखिग्रीषं (नपुं०) नीला थोथा। ०पतला, कृश, दुबला। शिखिजनः (पुं०) मयूरवर्ग। हिन्दू लोग। (जयो० ४/६७) कलुषित। (जयो० ९/६६) शिखिध्वजः (पुं०) कार्तिकेय। ०धुआं। ०क्षीण, बलहीन, दुर्बल। शिखिपत्रं (नपुं०) मोरपंख। (दयो० २५) (जयो० १३/४९) ०श्यामल। (जयो० ७/१०४) शिखिपुच्छं (नपुं०) ०दुम, मोर पुंच्छ। शितद् (स्त्री०) सतलज नदी। शिखियूपः (पुं०) बारह सिंगा। शिताग्रः (पुं०) कंटक, कांटा। शिखिवर्धकः (पुं०) लौकी-गोल लोकी। शिति (स्त्री०) भुर्जवृक्षा शिखिवाहनः (पुं०) कार्तिकेय। शिति (वि०) [शि+क्तिच्] ०श्वेत, शुभ्र, धवल। शिखिशिखा (स्त्री०) ज्वाला। अग्नि लौ। ०दीपक लौ। शितिकण्डः (पुं०) शिव, शंकर। ०मयूरकलगी। ०जल कुक्कुट। शिग्रु (स्त्री०) सागभाजी। शितिकृत (वि०) श्यामलता। (जयो०१५/११) ०सहजन तरु। शितिछदः (पुं०) हंसा शिव (सक०) जाना, पहुंचना। शितिपक्षः (पुं०) हंस। प्राप्त होना। शितिरत्नं (नपुं०) नीलम। शिङ्घ (सक०) सूंघना, गन्ध लेना। शितिवायसः (पुं०) बलराम। शिवाण: (पुं०) [शिव+आणक] पपड़ी, झाग। शिथिल (वि०) [श्लथ् किलच्] धीमा, ढीला। ०बलगम, कफ। सुस्त, विश्रान्त। शिकणं (नपुं०) नाक का मैल। खुला हुआ, मुक्त। ०लोहे की जंग। निढाल, निश्शक्त, असमर्थ। ०शीशे का बर्तन। दुर्बल, कृश, क्षीण, बलहीन। शिडाणकः (पुं०) [शिधु+अणक] नासिकामल, सिणक। पिलपिला, ढीलाढाला। शिवाणकं (नपुं०) कफ, बलगम। मुाया हुआ। शिङ्ग (वि०) उन्मत्त, प्रोन्मत्त। (जयो० ८/१५) निष्क्रिय, निरर्थक, व्यर्थ। For Private and Personal Use Only
SR No.020131
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size23 MB
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