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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शास्त्रदृष्टिः १०६६ शिक्षापदं शास्त्रदृष्टिः (स्त्री०) आगम ज्ञान दृष्टि। ०सावधान करना। शास्त्रपरीक्षा (स्त्री०) आगम परीक्षा। तीक्ष्ण करना। शास्त्रप्रमाणं (नपुं०) आगम सम्मत, आगम प्रमाण। शिः (पुं०) [शि+क्विप] सौम्यता, शान्ति, धैर्य, स्वस्थता। शास्त्रभेदः (पुं०) शास्त्र के भेद शास्त्रं द्विविध-संहिता सूक्तश्च। शिव। विस्तार से देखें-जयोदय महाकाव्य। (२/४१-६७) कल्याण। शास्त्रयोनिः (स्त्री०) आगम का मूल उद्गम स्थल। शिंशपः (पुं०) [शिवं पाति-शिव+पा+क] शीशमतरु। शास्त्र वार्तासमुच्चयं (नपुं०) एक न्याय ग्रंथ। ०अशोक वृक्षा शास्त्रविद् (वि०) शास्त्रज्ञ, आगमवेत्ता। (वीरो० १७/२४) शिंशपा (स्त्री०) शिप्रा नदी के किनारे स्थित गांव। (दयो०१०) शास्त्रविधानं (नपुं०) शास्त्रविधि, सिद्धांत नियम। शिक्कु (वि०) [सिच्+कु] सुस्त, आलस्य, उदासीन, प्रमादी। शास्त्रविधिः (स्त्री०) शास्त्रीय नियम, धार्मिक नीति। शिक्थं (नपुं०) [सिच्+थक्] मोम। शास्त्रविप्रतिषेधः (पुं०) शास्त्र विरोध। शिक्यं (नपुं०) छींका, झोला। शास्त्रविरोधः (पुं०) विरुद्ध आचरण। शिक्षु (सक०) सीखना, अध्ययन करना, अभ्यास करना, ज्ञान शास्त्रविमुख (वि०) सिद्धांत विमुख। __लेना। पढ़ाना। (जयो०० २४२) शास्त्रविरुद्ध (वि०) सिद्धांत के विपरीत कथन करने वाला। शिक्षकः (पुं०) शिक्षक, अध्यापक, गुरु। (जयो०वृ० ११/२६) शास्त्रव्युत्पत्तिः (स्त्री०) शास्त्र के विषय की व्याख्या, आगम शिक्षक (वि०) [शिक्ष+णिच+ण्वल] सीख देने वाला, ज्ञान रहस्य का शब्दशः स्पष्टीकरण। कराने वाला। शास्त्रशिल्पिन् (पुं०) कलामर्मज्ञ। शिक्षका (स्त्री०) अध्यापिका, गुरुणी। विशेषज्ञा। शास्त्रसारज्ञ (वि०) आगम रहस्य ज्ञाता। श्रुत सार को जानने शिक्षणं (नपुं०) [शिक्ष+ल्युट्] ०अधिगम, ज्ञान, बोध। वाला। (जयो०३०२/८१) ___०अध्यापन, सिखाना, पढ़ाना। (जयो० २/१३६) शास्त्रातिक्रमः (पुं) सिद्धान्त उल्लंघन, धर्मतत्त्व का अतिक्रमण। | शिक्षणकृता (स्त्री०) सरस्वती, वाग्देवी। शिक्षण करोतीति शास्त्रानुष्ठानं (नपुं०) शास्त्रनियम का पालन। स्त्री, शिक्षण कन्तया वाग्देव्या। (जयो० ५/९४) प्रेमपात्री शास्त्रानुमोदित (वि०) शास्त्र की अनुमोदना करने वाला। | शिक्षणीय (वि०) [शिक्ष अनीयर] ०सीखाने योग्य, अध्यापन, (जयो०७० ३/६६) कराने योग्य। ज्ञानार्जन योग्य। (जयो० २/१३६) शास्त्राभिज्ञ (वि०) शास्त्रों में निपुण, शास्त्रप्रवीण। ०श्रुतसार शिक्षमाणः (पुं०) [शिक्ष+शानच्] शिष्य, विद्यार्थी, में पारंगत। * विद्याभिलाषि। शास्त्राम्बुनिधिः (स्त्री०) शास्त्र रूपी समुद्र। (दयो० १/५) शिक्षा (स्त्री०) [शिक्ष+ भाव+अ+टाप्] ०अध्ययन, अधिगम, शास्त्रार्थः (पुं०) आगम ज्ञान का विवेचन।' ज्ञानाभ्यास। (जयो० ५/४०) शास्त्रिन् (पुं०) [शास्त्र+इनि] शास्त्र कुशल, शास्त्र प्रवीण। अध्यापन, शिक्षण, प्रशिक्षण। शास्त्रिन् (पुं०) शास्त्री, शास्त्रविशेष व्यक्ति। विद्वान्। सीख, विनय, परीक्षा (सुद० ) शास्त्रीय (वि०) [शास्त्रेण विहितः छ] आगम में निरूपित, शिक्षाकरः (पुं०) शिक्षक, अध्यापक। वेदनिहित शास्त्रानुमोदित। ०श्रुत प्रतिपादित। शिक्षागृहं (नपुं०) शिक्षा केन्द्र। विद्यालय, शिक्षण संस्थान। शास्य (वि०) [शास्+ण्यत्] उपदेश देने योग्य, शासित किये शिक्षागेहं देखो ऊपर। जाने योग्या शिक्षाज्ञानकेन्द्रः (पुं०) शिक्षण संस्थान। ०दण्डनीय। शिक्षादानं (नपुं०) ज्ञानदान। शि (सक०) तेज करना। शिक्षादायक (वि०) शिक्षा देने योग्य। (जयो०० ७/९६) कृश करना, क्षीण करना। शिक्षाधनं (नपुं०) विद्याधन। पतला करना। शिक्षानिर्देशः (पुं०) शिक्षा की दिशा। ० उत्तेजित करना। शिक्षापदं (नपुं०) शिक्षा स्थान। For Private and Personal Use Only
SR No.020131
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size23 MB
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