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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शारदा १०६३ शालसारः ०लोबिया, उड़द। शार्दूलविक्रीडितं (नपुं०) चीते की पीड़ा, शाशूलविक्रीडित ०बकुल वृक्षा छन्द ०एकोनविंशत्यक्षर छन्द। ०'सूर्याश्वैर्मसजस्तताः समुरवः मौलसिरी। शार्दूलविक्रीडितम्' शारदा (स्त्री०) सरस्वती, वाग्देवी, भारती। (जयो० १०/१००) | 555 (मगण), ।।s (सगण), ।। (जगण) ।।5 (सगण) (सुद० ३/३१) वाणी (जयो०वृ० २/४१) हे शारदे! ऽऽ।ऽऽ। (तगण-तगण) और गुरु वर्ण जिसमें हों, उसे शारदवत्तवायः समस्तु मेघस्य विनाशनाय। (जयो० १९/२९) शार्दूलविक्राडित छन्द कहते हैं। जयोदय एवं वीरोदय के शारदी (स्त्री०) कार्तिकमास की पूर्णिमा। सर्गान्त में प्रायः इसी छन्द का प्रयोग हुआ है। शारदीय (वि०) आश्विनमास सम्बंधी। (वीरो० २१/११) 'श्रीमान् श्रेष्ठिचतुर्भुजः स सुषुवे भूरामरोपह्वयम्', पतझड़ सम्बंधी, शरद् ऋतु से सम्बन्ध रखने वाली। वाणीभूषणवर्णिनं घृतवरी देवी च यं धीचयम्। शारिः (पुं०) [श+इञ्] शतरंज कर मोहरा, गोट। तत्काव्यं लसतात् स्वयंविधिश्रीलोचनाया जयराजस्याभ्युदयं पांसा। दधद् वसुट्टगित्याख्यं च सर्गं जयत्।। शारिः (स्त्री०) सारिका, मैना। ०वीरोदय काव्य में भी इसी पद्धति को अपनाया है। ०हस्ति झूल। प्रारम्भिक दो चरण सभी काव्यों में समान हैं परन्तु शारिपट्टः (पुं०) शतरंज की बिछात। अन्तिम दो चरण काव्यसूचक एवं सर्ग समाप्ति से युक्त हैं। शारिका (स्त्री०) सारिका, मैना। शार्मण (वि०) सुखदायक। (जयो० २६/४४) गोटी, शतरंज का मोहरा। शार्वर (वि०) रात्रि सम्बन्धी, रात से सम्बन्धित। (जयो० शारी (स्त्री०) मैना, सारिका। १३/१०३) (समु०७/२७) शारीर (वि.) [शरीर+अण] शारीरिक, शरीर से सम्बन्धित। उपद्रवी, प्राणहर। (समु० ९/१) तिमिर, अन्धकार। शरीरधारी, मूर्तिमान। शार्वरी (स्त्री०) रजनी, रात्रि। (जयो० १८/१८) शारीरः (पुं०) शरीरधारी, जीव युक्त आत्मा। शाल् (स्त्री०) प्रशंसा करना, चमकना, पूरित होना। ०सांड। शाल: (पुं०) [शल्+घञ्] शालतरु, शालवृक्ष। एक औषधि विशेष। ०धान्य। (सुद० १/२५) शारीरिक (वि०) [शरीर+कन+अण] शरीर से सम्बन्धित। ०बाड़ा। दैहिक, भौतिक। (जयो० १२/९९) एक मछली। शारुक (वि०) अनिष्टकर, उपद्रवी। प्राकार, परकोटा। (जयो० ११/२३) शार्ककः (पुं०) [शर्क अण्+कन्] शक्कर, खांड। शालग्रामः (पुं०) शिवमूर्ति, प्रस्तर खण्ड। शार्करः (पुं०) शक्कर, चीनी। ०पपड़ी, मलाई कंकरीला। शालगिरि (पुं०) एक पर्वत। (जयो० १०/१०८) शालजः (पुं०) सालवृक्ष की राव/गोंद। शार्कर (वि०) शक्कर से सम्बंधित। शालनिर्यासः (पुं०) सालवृक्ष की राव/गोंद। शाङ्क (वि०) [शृङ्ग+अण्] सींग से निर्मित। शालभञ्जिका (स्त्री०) पुत्तलिका, पुतली गुड़िया। शाङ्ग:/शार्ङ्ग (पुं०/नपुं०) धनुष। ___प्रतिमा, मूर्ति, बुत, पुतला। शार्ङ्गधरः (पुं०) धनुषधारक विष्णु। शालभञ्जी (स्त्री०) पुत्तलिका, पुतली, गुड़िया, बुत, पुतला। शान् ि (पुं०) [शाङ्ग इनि] धनुर्धारी, तीरंदाज। विष्णु। शालवः (पुं०) [शाल+वल्+ड] लोध्र तरु। शार्दूलः (पुं०) [शृ+उलल्] व्याघ्र, तेदूंआ, चीता। प्रमुख, शालवेष्टः (पुं०) शाल से निकली गोंद। प्रधान, श्रेष्ठ। शालशृङ्गः (पुं०) वप्रप्रांत, परकोटा। (वीरो० २/२७) ०पूज्य। शालसारः (पुं०) शालवृक्षा शार्दूलवाः (पुं०) श्रेष्ठ व्यक्ति। (जयो० १७/१०) ०हींग। For Private and Personal Use Only
SR No.020131
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size23 MB
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