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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शल्कलिन् १०५६ शशि भा ९बल्कल, छाल। ०भाग, अंश, खण्ड। शल्कलिन् (पुं०) [शल्कल इनि] मछली। शल्भ (सक०) प्रशंसा करना। शल्मलि: (स्त्री०) [शल्+मलच्+इन-] सेमल वृक्षा शल्यं (नपुं०) [शल+यत्] 'ऋणति हिनस्तीति शल्यं' (स०सि० । ७/१८) बाण। अन्तर्निविष्ट परिणाम तीर। ०कांटा, कील। (जयो० २/१०) शूल। (जयो० २/७०) ०खूटी, थूणी। ०कष्ट, दुःख, पीड़ा। शल्यः (पुं०) शल्यक्रिया, एक चिकित्सा विधि, जिसमें शरीर भेदन कर पीड़ा को शान्त किया जाता है। शल्यकः (पुं०) सलाख, खपची, कांटा, फांस। शल्यक्रिया (स्त्री०) शल्यशास्त्री की क्रिया। शल्यलोमन् (नपुं०) साही का कांटा। शल्यशास्त्र (नपुं०) शल्यक्रिया सम्बंधी ग्रंथ। शल्यहर्तृ (पुं०) चिकित्सक, वैद्य। शल्लः (पुं०) [शल्ल्+अच्] मेंढक। शल्लं (नपुं०) वल्कल, छाल। शल्लकी (स्त्री०) [शल्लक ङीष्] साही। जीव विशेष। शल्लकीद्रवः (पुं०) धूप, लोबान। शल्वः (पुं०) एक देश विशेष। शव् (सक०) जाना, पहुंचना। बदलना, परिवर्तन करना। शवः (पुं०) [शव्+अच्] लाश, मुर्दा, मृतक। (जयो० ८/३९) शवं (नपुं०) जल, वारि, पानी। शवकाम्यः (पुं०) श्वान, कुत्ता। शवगत (वि०) मृतक हुआ, मरा हुआ, मृत्यु को प्राप्त हुआ। शवभू (स्त्री०) श्मशान, भूमि, शवस्थल। (सुद० ९२) शवभूदा (स्त्री०) श्मशानस्थल। शवयानं (नपुं०) अरथी, मृतक यान। शरथः (पुं०) अरथी, शवयान। शवशिविका (स्त्री०) अरथी, परेतरथान्त। (जयो०व० २५/४७) शवसानः (पुं०) [शव+असानच] यात्री, पथ, मार्ग, रास्ता। शवसानं (नपुं०) श्मशानभूमि, शवस्थान, शवस्थल। शश् (अक०) समर्थ युक्त, शशाक। (सुद० ७६) शशः (पुं०) [शश्+अच्] खरगोश, खरहा। (दयो० ७६) ०चन्द्र कलंक। शशकः (पुं०) खरगोश, खरहा। (दयो० ७६) शशकृत् (पुं०) खरगोश। (सुद० ९२) शशधरः (पुं०) चंद्रमा, चन्द्र, शशि। (दयो० ५४) शशभृत् (वि०) चुद्रतुल्य, चन्द्र सदृश। नर्मष्टिं सुमुखेट्टगेतु शशभृत्कल्पे कथं नाथः नः' (जयो० ११/१००) शशभृत् (पुं०) शिव, महादेव। शशमूर्तिः (स्त्री०) चन्द्रमा, शशि। शशमौलिः (पुं०) महादेव, शिव, शंकर। शशलक्ष्मणः (पुं०) चंद्रमा, शशि। शशलाच्छनः (पुं०) चंद्रमा, शशि। चन्द्रचिह्न। (जयो० ९/९५) तत्रासीच्छशलाञ्छनस्य रसनात् प्रारब्धपूर्णात्मनो' (जयोवृ० ९/९५) शशलेखा (स्त्री०) चन्द्रकला, चन्द्ररेखा। शशलोमन् (पुं०) खरगोश की रोम राजि। शशविषाणं (नपुं०) खरगोश के सींग। शशस्थली (स्त्री०) गंगा के बीच की भूमि। दोआबा। शशाङ्कः (पुं०) चन्द्र। ०कपूर। (सुद० १/४०) शशादः (पुं०) बीज, स्येन, पुरंजय के पिता का नाम। शशादनः (पुं०) बाज, स्येन। शशार्धमुख (वि०) अर्ध चन्द्र की आकृति युक्त बाण। शशिन् (पुं०) [शशोऽन्त्यस्य इनि] सर्वात्मना कमनीयत्वलक्षण मन्नर्थमाश्रित्य चन्द्रः। चन्द्र, शशि, चन्द्रमा (सुद० ३/३) शशिना शुचिशर्वरीव सा दिनवच्छीर विणा महायशाः। (सुद० ३/१६) शशिकला (स्त्री०) चन्द्ररेखा, चन्द्र प्रभा, चन्द्रकिरण। शशिकान्त (वि०) शुद्धतम, अतिस्वच्छ। (जयो० ३/६४) शशिकान्तः (पुं०) शशिकान्तमणि। शशिकान्तं (नपुं०) कमलिनी। शशिकान्ति (स्त्री०) चन्द्र प्रभा। शशिकोटिः (स्त्री०) चद्रशृङ्ग। शशिगृहं (नपुं०) चन्द्रग्रहण। शशिग्रहणं (नपुं०) चन्द्रग्रहण। शशिजः (पुं०) बुध। शशिनीत्थः (पुं०) शान्त अवस्था। (जयो० २६/२३) शशिप्रभा (स्त्री०) चन्द्र किरण। शशि भा (स्त्री०) आदित्य राजा की रानी। विजयार्ध पर्वत के राजा की रानी। (जयो० २३/५१) For Private and Personal Use Only
SR No.020131
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size23 MB
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