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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वेण: १०२१ वेदकः ०जानना, पहचानना, प्रत्यक्ष करना। ०सोचना, विचार-विमर्श करना। ०ग्रहण करना, स्वीकार करना। वेण: (पुं०) [वेण्+अच्] गायक जाति। वेणा (स्त्री०) नदी विशेष। वेणि/वेणी (स्त्री०) कवरां, चोटी, गुथे हुए बाल। (जयो० १२/११) वेणीयमेणीदृश एव भायाच्छ्रेणी, सदा मेकल-कन्यकायाः। हरस्य हाराकृतिमादधाना, यूनां मनोमोहकरी विधानात्।। (जयो० ११/७०) केशतति, केशपाश। श्रेणीति कालबालानां वेणी चेणीदृशो भृशम्' वक्ष्यते वीक्षमाणेभ्यः पन्नगीव विपन्नगी।। (जयो० ३/५५) प्रवाह, धारा, गति। नदी नाम विशेषा वेणीकृत ( वि०) केशपाश वाली। वेणीगत (वि०) गुथे हुए बालों को प्राप्त हुई। वेणीबन्धः (पुं०) मीढी, केशपाश। वेणीवेधिनी (स्त्री०) ०जोंक, कंघी। केश/बाल शृंगार प्रसाधिनी। वेणीसंहारः (पुं०) ०केश गुंफन, केशबन्ध। भट्टनारायणकृत एक संस्कृत नाटक। वेणुः (वेण+उण्) बांस वृक्षा (जयो० २१/३४) बांसुरी, मुरली, बंसी। वेणुक (वि०) वेणूत्पन्न, वेणु से उत्पन्न। वेणुकः (पुं०) बांसुरी, बंसी। (जयो० १०/२१) वेणुकं (नपुं०) [वेणु+कन्] बांस की मूठ वाला अंकुश। वेणुजः (पुं०) बांस का बीज। वेणुदण्डः (पुं०) बांस की लकड़ी। (जयो०वृ० १/३२) वेणध्मः (पुं०) बंसीवादक। वेणुनिस्रुतिः (स्त्री०) इक्षु, गन्ना, ईख। वेणुयष्टिः (स्त्री०) बांस की लकड़ी। वेणुर्वाद्यः (पुं०) बांसुरी, मुरली। (जयो०वृ० १०/२०) वेणवादः (पुं०) बांसुरी बजाने वाला। वेणुवादकः (पुं०) बांसुरी बजाने वाला। बंसी वादक। वेणुवादनं (नपुं०) बांसुरी, मुरली। वेणूत्पन्नः (पुं०) बांसुरी, मुरली। (जयो०वृ० १०/२१) वेणूदित (वि०) मुरली सम्पादित। (जयो० २२) वेतंडः (नपुं०) हस्ति, हाथी। वेतनं (नपुं०) [अज्+तनन् वीभावः] किराया, मजदूरी, तनख्वाह, वृत्ति। अजीविका, जीवनयापन का साधन। वेतनादानं (नपुं०) वृत्ति न देना। वेतसः (पुं०) [अज्+असुन्+तुक् च वीभावः] ०नरकुल, नरसल, बेंत। वेतसी (स्त्री०) [वेतरु+ङीष] नरकुल। वेतस्वत् (वि०) [वेतस्+] नरकुल की बहुलता वाला स्थान। वेतालः (पुं०) [अज्+विच्-वी आदेशः तल्+घञ्] भूतयोनि, प्रेतात्मा। ०अधिकार रखने वाला भूत। वेत्तु (पुं०) ज्ञाता, जानकार, मुनि साधक। ०पति। वेत्र: (पुं०) बेंत, नरसल। ०लाठी, छड़ी। वेत्रवती (स्त्री०) द्वारपाल स्त्री। वेत्रासनं (नपुं०) बेंत का आसन, गद्दी। वेत्रिन् (पुं०) [वेत्र+इनि] द्वारपाल, दरबान, चौकीदार, पहरेदार। वेथ् (सक०) प्रार्थना, प्रतिपादन करना, कहना, निवेदन करना। वेदः (पुं०) [विद्+घञ्] [वेधत इति वेद:] ज्ञान, बोध, जानना-'वेद्यं यदा वेदकमेष वेदः' (भक्ति०३०) ०वेदन, अनुभव। (सम्य० १०७) मृदन्तरा बीजवदीष्यतेऽदः पुनः किलास्पष्टसदात्मवेदः। (सम्य० १०७) जो अनुभव में आत्मा है वह वेद है। सुख-दुःख का अनुभवन। ०जीव का पर्यायवाची शब्द। ० श्रुत के वाचक ४१ नामों से एक। अशेशपदार्थान् वेत्ति वेदिष्यति अवेदीदिति वेदः सिद्धान्तः (धव० १३/२८६) सिद्धान्त। ०वेदग्रन्थ, वेदशास्त्र-ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अर्थवेद। 'वेदमेतन्नाम शास्त्रमतीत्य समुपेक्ष्यान्यत एव व्रजति' (जयो०वृ० ४/६७) वेदक (वि०) वेदना वाला, दु:ख युक्त अनुज्ञात। (जयो० २३/४०) जानने वाला। (भक्ति० ३१) वेदकः (पु०) वेदक सम्यक्त्व का नाम है। For Private and Personal Use Only
SR No.020131
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size23 MB
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