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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir विष्णुवल्लभा १००९ विसारः विष्णुवल्लभा (स्त्री०) लक्ष्मी। विष्णुवाहनः (पुं०) गरुड पक्षी। विष्पन्दः (पुं०) [विस्पन्द+घञ्] * धड़कन, स्यन्दन, कंपन। विष्कारः (पुं०) [वि+स्फुर+णिच्] धनुष की टंकार, कंपन। विष्य (वि०) [विशेण वध्य] विष देकर मारे जाने योग्य। विष्यन्दः (पुं०) [वि+ष्यन्द्+घञ्] बहना, रिसना, झरना, टपकना, चूना। विष्व (वि०) पीड़ादायक, कष्टजन्य। * उत्पातकारी, हारिकारक। विष्वक् (वि०) सर्वत्र। (वीरो० २१/१५) विष्वग्भू (पुं०) राजा। (वीरो० २२/१४) विष्वच् (वि०) [विषु अञ्चति-विष्+अच्+क्लिन्] सर्वव्यापक, पूर्ण व्याप्त। ___* भिन्न-भिन्न, पृथक्-पृथक्। विष्वणनं (नपुं०) [वि+स्वन् ल्युट्] भोजन करना, आहार लेना। विष्वद्रयच् (स्त्री०) सर्वत्र, सर्वव्यापक। विस (सक०) डालना, फेंकना, भेजना। विसंयुक्त (भू०क०कृ०) [वि+सम्+युज्+क्त] पृथक् पृथक् किया हुआ, वियुक्त किया हुआ। विसंयोगः (पं०) वि+सम्+यज+घना बिछोह. वियोग, अला अलग होना। विसंवादः (पुं०) [वि+सम्+वद्+घञ्] * धोखा, छल, विवाद। (जयो०वृ० २/१८७) * निराशा, असंगति, असंबद्धता। * असमञ्जस। (जयो० १२/१८) * असहमति। * वचनविरोध। विसंवादिन् (वि०) [विसंवाद+इनि] * असहमति व्यक्त करने वाला, विवाद करने वाला। * असंगत, विरोधात्मक। * धूर्तता, जालसाजी। * असहमत, धोखा देने वाला। विसंष्ठुल (वि०) [वि+सम्+स्था+उलच] अस्थिर, विक्षुब्ध। * असम। विसंकट (वि०) [विशिष्टः संकटो यस्मात] भयानक, डरावना। विसंकटः (पुं०) सिंह। * इंगुदी वृक्षा विसंगत (वि०) [वि+सम्+गम्+क्त] अयोग्य, असम्बद्ध, बेमेल। विसंधिः (स्त्री०) [विरुद्धः सन्धि] सन्धि अभाव, विग्रह युक्त। विसरः (पुं०) [वि+स+अप] * जाना, फैलाना, विस्तार करना। (जयो० २३/६७) * भीड़, समुच्चय, समुदाय। * ढेर, राशि। विसर्गः (पुं०) [वि+सृज्+घञ्] * खोटा धंधा। (सुद०१/२३) * उत्सर्जन, परित्याग, विसर्जन। (जयो०८/६७) * गिराना, उड़ेलना, फेंकना। * अन्तिमावस्था। (जयो० २६/१) भेंट देना, दान, उपहार। * जुदाई, बिछोह, वियोग। * प्रकाश, ज्योति, बिन्दु, निर्दिष्ट। (जयो० ३/४९) * लिखने में एक प्रतीक, जो स्पष्ट रूप से महाप्राण है तथा दो बिन्दु (:) लगाकर प्रकट किया जाता है। (जयो०वृ०८/४९) विसर्गपरिणामः (पं०) लोकोत्तरवत्ति। (जयो०८/५५) विसर्गलोपः (पुं०) त्याग लक्षण। (जयो० १९/३५) विसर्जनं (नपुं०) [वि+स+ल्युट] * परित्याग, छोड़ना, भेजना। (वीरो० १५/५०) (सुद० १०३) * विदा करना, प्रेषण करना। (सुद०७१) * भेंट, दान, उपहार, प्राभृत। * उद्गार, उड़ेलना। * पलायन। (जयो० ७/२३) विसर्जनीय (वि.) [वि+सृज+अनीयर] परित्यक्त किये जाने योग्य, प्रेषण करने योग्य, उपहार योग्य। * विसर्ग युक्तता। विसर्जित (भू०क०कृ०) [वि+सृज्+णिच्+क्त] * उद्गीर्ण, परित्यक्त, त्यागा गया। * प्रदत्त, दिया गया। ___ * प्रेषित, भेजा गया। विसर्पः (पुं०) [वि+सप+घञ्] * रेगना, सरकना। * फैलाव, संचार, प्रवाह। विसर्पणं (नपुं०) [वि+सप+ल्युट्] * रेंगना, सरकना, चलना। ___* प्रसारण, फैलात, विस्तारण।। विसस्थितः (पुं०) कमलदलान्त। (जयो० २५/३७) विसामकरणं (नपुं०) सामनीति का प्रयोग। (जयो० ७/८०) विसारः (पुं०) [वि+स+घञ्] * प्रसारण, फैलाना, बिछाना। For Private and Personal Use Only
SR No.020131
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size23 MB
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