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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir यत्किल ८६७ यथामुखीन यत्किल (अव्य०) जो कि। (दयो० ३५) (जयो० १/२२) यत्तु (अव्य०) जो भी। (जयो० २/१०) यत्नः (पुं०) [यत् भावे नङ्] प्रयत्न (सुद० ३/४९, सुद०८/१८) ०चेष्टा प्रयास। असम्भवोऽपि सम्भाव्य सता यत्नेन जायते। (दयो० ४६) मनोयाग, दत्तचित्त, मेहनत। ०श्रम, परिश्रम, उद्योग। ०पीड़ा. कष्ट। यत्नगत (वि०) प्रयत्न को प्राप्त हुआ। यत्नजाति (वि०) पीडा जनक उत्पत्ति। यत्नतापस् (वि०) उद्योगशील तपस्वी। ०तपस्यारत साधक। यत्नवती (वि०) प्रत्यत्नशील। (जयो० २१/४६) उद्यमशील। यत्नवान् (वि०) उद्यमशील, श्रम युक्त। (वीरो० ७/४) यत्प्रयुक्तिः (स्त्री०) उद्यमशीलता। (वीरो० २२/१३) यत्र (अव्य०) [यद्+त्रल्] जहां, जिस स्थान पर, जिस जगह। 'यत्र गीयते गीतं प्रायः' (सुद० १३८) यत्र गंधोदसंसिक्ता (जयो० ३/८३) ०जब, जैसा कि-यत्र मनाङ्न कला। (सुद० ७६) चूंकि, क्योंकि। 'यत्रोदयं याति किलायेमायः' (भक्ति०२५) यत्रत्थ (वि०) [यत्र त्यप्] जिस स्थान का, जिस स्थान पर रहता हुआ। यत्र तत्र तु (अव्य०) जहां तहां भी। (सुद० ९४) यत्र न (अव्य०) जिस स्थान पर नहीं। (सुद० १९) यत्राथ (अव्य०) जहां इस तरह से। (जयो०८/२७) यत्रापि (अव्य०) जहां भीः (वीरो०१८/४३) यत्रैतादृक् यत्रापि (अव्य०) जहां वैसा ही। यत्रैव (अव्य०) जहां भी, जिस स्थान पर ही। (सुद० ११७) यथा (अव्य०) [यद् प्रकारे थाल] जैसा कि-जैसे (सुद० २/४९) जिस भांति का। जिस तरह का। जैसी, जिस तरह की-बन्धो यथा स्यात्स्थिति भागमंच। (सम्य० १००) उदाहरण, दृष्टान्त रूप में प्रयुक्त होने वाला अव्यय। यौवनेनाद्भुतं तस्याः स्यात्कारेण यथा गिराः। (जयो० ३/४३) यथाकदापि (अव्य०) जब कभी भी। (समु० ३/२१) यथाकालः (पुं०) ठीक समय, उचित समय। यथाकृत (वि०) जैसा मान लिया गया। यथाक्रमं (अव्य०) ठीक क्रम, परम्परानुसार से, अनुक्रम से। (समु० ६/३५) यथाक्रमेण (अव्य०) उचित नियम से। यथाख्यातचरितं (नपुं०) छद्म अस्थ जिन का चरित्र। (सम्य० १३१) यथाक्षम (अव्य०) अपनी शक्ति के अनुसार, जितना संभव। यथाजात (वि०) तद्प उत्पन्न हुआ। अज्ञानी, जड, दिगम्बर। (समु० ३/१) यथाजातपदः (पुं०) दिगम्बर वेश (समु० ६/३६) 'यथाजातो बाह्यभ्यन्तरपरिग्रह चिन्ताव्यावृतः' (जैन० ९४०) यथाज्ञानं (अव्य०) बुद्धि के अनुसार। यथाज्येष्ठं (अव्य०) पद के अनुसार, वरिष्ठता के अनुसार। यथातथ (वि०) सत्य, सही, परिशुद्ध, खरा, सम्यक्, समीचीन। यथातथं (नपुं०) व्याख्यान, विवरण, सूक्ष्म कथन। यथातिथिः (स्त्री०) मरणासन्न। (जयो०७/१६) यथादिक् (अव्य०) सभी दिशाओं में। यथानिर्दिष्ट (वि०) वास्तविक निर्देश युक्त। यथान्यायं (अव्य०) उचित पद्धति से, यथार्थ नीति से। यथापद (अव्य०) यथास्थान। (जयो० २/८५) यथापूरं (अव्य०) जैसा कि पहले था, जैसा कि पूर्व अवसरों पर था। यथापाक (वि०) यथा भाव विपाक। (जयो० २८/७०) यथापूर्व (वि०) पहले जैसा। यथापूर्वकं (अव्य०) क्रम से, परम्परा से। यथाप्रतीति (वि०) वास्तविक प्रतीति, यथासमय, ___ यथासम्भव। (जयो० २/१२०) यथाप्रदेशं (अव्य०) उपयुक्त स्थान में, उचित स्थान में। यथाप्रधान (अव्य०) स्थिति के अनुसार। यथाप्राप्त (वि०) अनुरूप, परस्थिति के अनुकूल। यथाप्रार्थितं (अव्य०) प्रार्थना के अनुकूल। यथाबलं (नपुं०) अत्यधिक शक्ति के साथ/शक्ति के अनुरूप। यथाभागं (अव्य०) प्रत्येक अंश में, समस्त प्रदेशों में। यथाभाग्यविपाक (वि०) यथापाकलि। (जयो० २८/७०) यथाभिरुचिः (स्त्री०) स्वेच्छानुसार, अपनी इच्छा के अनुरूप। यथाभूतं (अव्य०) जो कुछ हो चुका उसके अनुसार। सत्यतः यथार्थतः। यथामुखीन (वि०) ठीक सामने वाला। For Private and Personal Use Only
SR No.020131
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size23 MB
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