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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir विद्वेषणः ९७७ विधिज्ञ विद्वेषणः (पुं०) शत्रु, दुश्मन। विद्वेषणा (स्त्री०) घृणा करने वाली स्त्री। विद्वेषिन् (वि०) [वि+द्विष्+णिनि] घृणा करने वाला, गर्दा युक्त। * विधायक। (सुद० ९२) रात्रिः स्वतो घोरतमो विधानी। विधातुं (वि+धा+तुमुन्) * बनाने के लिए। (जयो० ८/६३) * निर्माण करने के लिए। (जयो० ३/९०) * स्त्री करने के लिए। (जयो० १/७८) विधानं (नपुं०) [विधा+ल्युट्] * अनुकरण। (सुद० २/११) * विधि। (सुद० १/१६) (सुद० १/४२) * नियम, पद्धति, रीति, उपदेश। (सम्य० १५२) * अध्यदेश, आज्ञा। * प्रतीति। (सुद० १/१३) * उपयोग, प्रयोग, नियोजन। * नियत करना, आदेश देना। विधानकं (नपुं०) [विधान+कन्] दुःख, कष्ट, पीड़ा। विधाप् (सक०) बनाना, रचना, निर्माण करना। (जयो० २/१४) विधायक (वि०) [वि+धा+ण्वुल] बिलौना। * विधान सभा का सदस्य, जो जन प्रतिनिधि भी कहलाता विद्वेषिन् (पुं०) शत्रु, घृणक, दुश्मन, परिहासिन्। (जयो०३० २/१०२) * विरोधक। (जयोवृ० ८/९६) विधः (पुं०) [विध+क] प्रकार, तरह, किस्म, विविधा, बहुलता। (जयो० ११/७७) * ढंग, रीति, रूप। (सम्य० १/८) * त्रिविधा * समृद्धि। विधनरः (पुं०) सुंदर पुरुष, लावण्युक्त व्यक्ति। (हन्ता भुवि या भवद्विधनरं सन्त्यक्त्वत्यस्तु सा (सुद० ९८) विधवनं (नपुं०) [वि+धू+ल्युट्] हिलाना, क्षुब्ध करना, दुःखी करना। * कपकपाना, थरथराना। विधवा (स्त्री०) [विगतो धवो यस्याः सा] रांड, बेवा, पतिशून्य। विधस् (पुं०) ब्रह्मा। विधा (स्त्री०) [वि+धा+क्विप] * ढंग, रीति, रूप, आकृति। * प्रकार, पद्धति। (जयो० ३/९०) * काव्य विद्या, काव्यकला। * छेद करना। * किराया। * मजदूरी। विगतो धाकारो यस्यास्तां विधामेव। (जयो०१६) * आदत। (न तुममायं कुविधामनुष्यादेकेति (सम्य०६८) विधातृ (पुं०) [वि+धा+तृच्] स्रष्टा, विधाता। (जयो० ८/९१) * निर्माता * प्रदाता, अनुदाता। * भाग्य, दैव। * विश्वकर्मा। * कामदेव। * विधायक। (सुद० ९७) * मघ, मदिरा। * अङ्कति। (जयो०वृ० १०/४४) विधाता (पु०) ब्रह्मा, सृष्टा। (वीरो० १८/१५) ऋषभदेव जगत् के विधाता/ब्रह्मा, सृष्टा। विधात्री (वि.) विधानकत्री। (जयो० ३/५७) विधान करने वाली। (भक्ति० २५) * व्यवस्थित करने वाला, नियम बनाने वाला। * कार्यान्वित करने वाला, निर्धारित करने वाला। विधायिका (स्त्री०) व्यवस्थित करने वाली, निर्धारित करने वाली, प्रख्यातिभी प्रख्यात करने वाली। (जयो०१० १२/३७) विधायिन् (वि०) निर्धारण करने वाली। (सुद० ७९) विधिः (स्त्री०) [विधा+कि] विधान, नियम। (जयो० ४/५) * पद्धति, रीति, प्रणाली, साधन, ढंग। (सम्य० ९०) * कर्म। (विधीनां मवधा विभागः) (सम्य० १३२) तेनामृतेनेवरुगस्तु पूर्जितविधिः शीतहतस्तरुर्वा (सम्यक ४६) ब्रह्मा, धाता (जयो० ३/४८) (जयो० १/३५) "विधि: धाता अदृष्टविशेषो येन' (जयो० ३/४८) * दैव। फलवत्तां तु विधिर्विधातु। (सुद० ९२) * करने योग्य कार्य। 'भाव एव भविनां वरो विधिः' (जयो० २/८४) * विधान, साधन। (जयोवृ० १/४२) * रचना। (वीरो० २२/६) * व्यवहार, आचरण। विधिकित्सनं (नपुं०) रीति-रिवाज। (वीरो० २२/१९) विधिगत (वि०) भाग्य को प्राप्त हुआ। विधिज्ञ (वि०) विधि वाला, विधि जानने वाला। For Private and Personal Use Only
SR No.020131
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size23 MB
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