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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir विदेशः ९७५ विद्यार्थिन विदेशः (पुं०) [विप्रकृष्टो देशः] परदेश, अन्य प्रान्त, दूसरा देश। विदेशीय (वि०) परदेशी, अन्य देश वाला। विदेहः (पुं०) जो शरीर संस्कार से रहित है। * नष्ट शरीर वाले मुनियों के विदेह होता है। पूर्वापर विदेहक्षेत्र। (जयो० २४/७) विदेहक्षेत्रं (नपुं०) विदेह स्थान। (वीरो० ११/२५) विदेहजनपद (पुं०) विदेह नामक जनपद। विदेहदेशः (पुं०) जम्बूद्वीप का एक स्थल। विदेहनिष्ठ (वि०) पूर्व विदेह में स्थित। (वीरो० ११/२५) विदेहभावः (पुं०) शरीर का विकारी भाव। (वीरो० २/९) विदेहा (स्त्री०) मिथिला नगरी। (सम्य० ९३) विद्ध (भू०क०कृ०) [व्यध्+क्त] बींधा हुआ, चुभा हुआ। विद्धेय (सुद० १०४) * घायल। (सुद० १०५) * निदेशित, प्रेषित। विद्धं (नपुं०) घाव। विद्धकर्ण (वि०) छिदे हुए कान वाला। समझें। विद्यः (स्त्री०) विद्या ऋद्धि। (जयो० २३/८६) विद्या (स्त्री०) [विद्+क्यप्+टाप्] वृत्त, शास्त्रसार। (जयो०७० २४/१४४) * शिक्षा, ज्ञान, अवगम, बोध। (जयो० १/६) विद्वद्भिः का सा बन्धा। (जयो० २८/१०७) * शास्त्रोपजीवन, साधितसिद्धि। * यथार्थ ज्ञान, अध्यात्म ज्ञान, त्रयी वार्ता। * वाद, विचार। (जयो० वृ० १/६) विद्यमान (वि०) वर्तमान। विद्यमातत्व (वि०) वर्तमान में स्थित। (हित० १४) विद्याकर्मन् (नपुं०) असि, मषि, कृषि, वाणिज्य, शिल्प और विद्या ये छह विद्या कर्म हैं। (हित०१०) विद्याकर (पुं०) विद्वान्, पुरुषा विज्ञजन। विद्याकार्यः (पुं०) बहत्तर कलाओं में निपुण पुरुष एवं चौसठ कलाओं में प्रवीण नारी। विद्याचारणा (स्त्री०) विद्या शक्ति। विद्यादानं (नपुं०) ज्ञानदान, शिक्षा देना, ज्ञानाभ्यास कराना। विद्यादेवी (स्त्री०) सरस्वती, विद्याधारी।। विद्यादोषः (पुं०) विद्या/ज्ञान में दोष, ज्ञान को दूषित करना। विद्याधनं (नपुं०) ज्ञानधन, ज्ञानसम्पत्ति। विद्याधरः (पुं०) देवयोनिगत विद्या विषयक ज्ञानी। * अम्बरचारी (जयो०७० ६/१२) विजया पर्वत पर रहने वाले मनुष्य। विद्याधरलोकः (पुं०) विद्याधरों का क्षेत्र। (समु० २/५) विद्याधरी (स्त्री०) विद्याधर की भार्या। विद्याधृत् (पुं०) विद्याधर, खेचर। (जयो० ८/४५) विद्याध्ययनं (नपुं०) विद्या प्राप्ति। (दयो० ९१) विद्यानन्दः (पुं०) आचार्य विद्यानन्द, अष्ट सहस्त्री के रचनाकार। (जयो० ६/५) (जयो० २२/८४) * आधुनिक २०वीं एवं २१वीं शताब्दी में प्रविष्ट आचार्य विद्यानन्द जिनकी आयु ७८ वर्ष की भी है। विद्यानन्दसत्कृति (स्त्री०) विद्यानन्द द्वारा रचित अष्ट सहस्त्री (जयो० २२/८४) विद्यानन्दविवर्णिता (वि०) विद्यानन्द द्वारा रचित अष्टसहस्त्री। (जयो० ३/८७७) विद्याया आनन्देन विकीर्णता अष्टसहस्री। विद्यानन्दि (०) आचार्य विद्यानन्दि। विद्यानुयोगः (पुं०) विद्याभ्यास। (वीरो० १८/३२० विद्यानुवादः (पुं०) परिज्ञान विद्या, विद्यानुप्रवाद, विद्यानुयोग आदि। जिस श्रुत में समस्त विद्याओं, आठ महानिमित्तों, उनके विषय, राजुराशि के विधान, क्षेत्र, श्रेणी, लोकस्थिति, संस्थान और समुद्घात का कथन किया जाता है। 'ओं णमो दसपुवीणं सद्भयो विधानुवादतः। णमो चोदसपुव्वीणं श्रुतज्ञानेन सम्भृतः। (जयो० १९/६७) विद्यानुवादत्योऽपि विद्यानुवादस्य पूर्वस्य परिज्ञानाद्विद्यानां रोहिण्यादीनामनुवादतः। (जयो०वृ० १९/६७) विद्यानुयोगः (पुं०) दशम पूर्वश्रुत। विद्यापदं (नपुं०) ज्ञान पद। विद्यापिण्डं (नपुं०) विद्या का मन्त्र तन्त्रादि का प्रयोग करके आहार प्राप्त करना। विद्याप्राप्तिः (स्त्री०) ज्ञान की उपलब्धि। विद्याभ्यासः (पुं०) ज्ञानाभ्यास। (दयो० ५५) विद्यामदं (नपुं०) विद्या का अभिमान। विद्यमानं (नपुं०) विद्या/ज्ञान का सम्मान। * ज्ञान का अहंकार। विद्यमोदः (पुं०) विद्याओं से आनंद। विद्यायोगः (पुं०) ज्ञान योग। विद्यारत्न (नपुं०) * उत्कृष्ट विद्या, * उत्तम विद्या। विद्यानुरागः (पुं०) शिक्षा के प्रति अनुराग। विद्यार्थिन् (वि०) विद्या का इच्छुक। (जयो०वृ० १५/२५) For Private and Personal Use Only
SR No.020131
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size23 MB
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