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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वितानकः (९७३) * चंदोबा, छत, छज्जा, बरामदा। (दयो० २/१०) १/३८) विभव। (जयो०७० ३८) * संग्रह, परिमाण, समवाय, समूह। प्राणादपीष्टं जगतां तु वित्तं, * यज्ञ, आहूति। हर्तुळपायि स्वयमेव चित्तम्। * अवकाश, आराम, विश्राम। स्वनिर्मितं गर्तमिवाशु मत, वितानकः (पुं०) प्रसार, फैलाव, विस्तार। चौर्यं तदिच्छेत् किल कोऽत्र कर्तुम्।। (जयो० २/१३५) वितानकं (नपुं०) प्रसार। समर्जितुं वित्तमथात्मनीनदोर्ष्यामिदानीं समभूत्प्रवीणः। * ढेर, समुच्चय, समुदाय, संग्रह, राशि। (समु० ३/१) * शामियाना, चंदोबा, छत। वित्तंसः (पुं०) पैसा, धन सम्पत्ति। (दयो० ८२) * वृक्ष विशेष। वित्तगत (वि०) धन युक्त। वितीर्ण (भू०क०कृ०) [वि+त+क्त] अर्पित, समर्पित, दत्तवान, वित्तद (वि०) दानी, दाता। दिया हुआ। (जयो० ३/९४) वित्तदानं (नपुं०) धनदेना। * वितरण करता हुआ, देता हुआ। वित्तमात्रा (स्त्री०) सम्पत्ति, सम्पदा। * अवतरित, नीचे आया हुआ। वित्तयोगः (पुं०) धन का कारण। वित्तवर्त्मन् (नपुं०) अर्थाजन, धन कमाना। (जयो० ३/१०) * पार किया हुआ, पास से गुजरा हुआ। * ढोया हुआ, लिया हुआ, ग्रहण किया हुआ। वित्तविधि (स्त्री०) सम्पत्ति विधि। (सुद० ४/२४) वित्तागमः (पुं०) धन का अधिग्रहण। वितीर्णवान् (वि०) दत्तवान्, देने वाला। (जयो०वृ० ३/९४) वित्ति (स्त्री०) चिन्तन, निर्णय, ज्ञान, विवेचन। वितुन्नं (नपुं०) [वि+तुद्+क्त] सेवारघास, शैवाल। वित्तीशः (पुं०) कुबेर। वितुन्नकं (नपुं०) [वितुन्न कन्] * धनिया। वित्तोपार्जनं (नपुं०) धन अधिग्रहण। * तूतिया। वित्रासः (पुं०) [वि+त्रस्+घञ्] भय, संकट, कष्ट, संताप। वितुष्ट (भूक०कृ०) [वि+तुष्+क्त] * असंतुष्ट, अप्रसन्न, वित्सनः (पुं०) सांड, बलिवर्द। ___ संतोष रहित, आनन्द रहित। विथ (अक०) निवेदन करना, प्रार्थना करना। वितृ (सक०) [वि+तृ] पहनाना। (जयो० १२/१२) विथुरः (पुं०) राक्षस। * प्रयत्न करना। (सुद० ९२) * चोर। * वितरण करना, देना, प्रदान करना। (जयो०१० ५/७५) विद् (सक०) जानना, समझना, सोचना। विद्धि-जानीहि (जयो० * दान करना। (जयो० ९/१२) २/८४) * बांटना। (वितरीतुं (जयो०५/२) * चिंतन करना, ज्ञात करना, मालूम करना। वितृष्ण (वि०) [विगता तृष्णा यस्य] तृष्णा रहित, इच्छाओं * विचार करना। त्व ब्राह्मणोऽसि स्वयमेक विद्धि। (वीरो० से मुक्त। १४/३५) * संतुष्ट, प्रशान्त, व्याकुलता रहित। * अनुभव करना, मानना। वित्त (सक०) उपहार देना, भेंट देना, समर्पित करना, प्रदान * अवगत करना, बतलाना। (सुद० २/३४) करना। * व्याख्या करना, निरूपण करना। वित्त (भू०क०कृ०) [विद् लाभे क्त] * लब्ध, प्राप्त, गृहीत। * सावधान करना, सूचित करना। (सुद० ९७) * परीक्षित, अनुसंहित। * उपलब्ध करना, प्राप्त करना। * विख्यात, प्रसिद्ध, विश्रुत। * निवेदन करना, कहना, प्रकथन करना। (जयो० ) * पाया, प्राप्त किया। विद् (वि०) ज्ञान, समझ, बोध। (जयो० १/९५) वित्तं (नपुं०) धन, सम्पत्ति, वैभव। एकैकया कपर्दिकया खल * विद्वान् पुरुष, बुद्धिमान, विवेक। (सम्य० ५८) वित्तं बहुविचित्रम्। (जयो०२३/५९) धन, वस्तु। धात्रीफलं | विद् (पुं०) बुधग्रह। केवलमश्नुवानः कौपीनवित्तोऽरिरिवेशिता नः। (जयो० * विद्वान, विज्ञ। For Private and Personal Use Only
SR No.020131
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size23 MB
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