SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 118
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir विज्ञापकः ९७१ विडम्बित विज्ञापकः (पुं०) [वि+ज्ञा+णिच्+ण्वुल्] ०अध्यापक, शिक्षक, इत्युक्त। (वीरो०० ६/२७) उपदेशक। शाखा, टहनी। प्रतिभाषक, संदेशक। ०झाड़ी, झुरमुट। विज्ञापनं (नपुं०) [वि+ज्ञा+णिच्+ल्युट्] सूचना, वर्णन, संदेश, विस्तार। जानकारी। ०कामुक, कामीजन। (जयो०वृ०३/११३) (जयो०१६/२२) वस्तु विशेषता का उल्लेख, शिष्ट कथन। विटपत्व (वि०) शाखित्व। (जयो०८/३५) (जयो० २०/६२) प्रसारण, प्रचारण पद्धति। विटपप्रपञ्चः (०) वृक्ष रूप विभाग, वक्ष की शाखाएं विज्ञापित (भू०क०कृ०) [वि+ज्ञा+णिच्+क्त] सूचित, प्रदर्शित, (सुद० १३२) कथित। विटपविधानं (नपुं०) वृक्ष विधान। 'विटपानां वृक्षाणां विधानं प्रार्थित। यत्र' (जयो०वृ०२०/६१) अनुरोध किया गया। कामुक विधान। विटपानां कामिनां विधानम्'। (जयो०१० विज्ञाप्ति (वि.) [वि+ज्ञा+णिच+क्तिन] विज्ञप्ति, सूचना, २०/६१) अनुरोध, प्रार्थना। विटपिन् (पुं०) [विटप+इनि] वृक्ष समूह, वट वृक्ष, गूलर विज्ञाप्यं (नपुं०) [विज्ञा+णिच् यत्] सूचना, संदेश, प्रार्थना, तरु। अनुरोधा विटपिभृगः (पुं०) बंदर, लंगूर। विज्ञाविज्ञ (वि.) ज्ञानी-अज्ञानी। (जयो० १९) विटसङ्गः (पुं०) कब्ज, कोष्ठबद्धता। विज्वरः (वि०) [विगतो ज्वरो यस्य] ज्वरमुक्त, व्याधि रहित। विटसारिका (स्त्री०) मैना। विंजामरं (नपुं०) आंखों की सफेदी, श्वेत भाग युक्त नयन। विठङ्क (वि०) अधम, निम्न, नीच, बुरा। विंजोलिः (स्त्री०) रेखा, पंक्ति। विठर (पुं०) बृहस्पति। विद् (सक०) ध्वनि करना, शब्द करना। विड् (सक०) अभिशाप देना, दुर्वचन कहना, चिल्लाना। दुर्वचन कहना, निन्दा करना। विडं (नपुं०) कृषिकर्म, खेती। निगद्यविड्भ्यः कृषिकर्म अभिशाप देना। चायमिहार्थशास्त्रं नृपसंस्तवाय। (वीरो० १८/१४) विटः (पुं०) विष्ठा, पुरीष। (जयो०१० २५/२१) कृत्रिम नमक, समुद्री नमक। प्रेमी, यार। विडंगः (पुं०) वायविडंग, कमिनाशक औषधि। लम्पट, कामुक, कामीजन। विडंग (नपुं०) वायविडंग। ०धूर्त, ठग, छली। विडमक्ष्यवस्तुं (नपुं०) विष्टा रूप अभक्ष वस्तु। (वीरो० १९/४) मूषक। विडम्बः (पुं०) [विडम्ब+अप्] दुःखी करना, संताप देना, नारंगी तरु। कष्ट देना। विट्कारिका (स्त्री०) एक पक्षी विशेष। विडम्बनं (नपुं०) [विडम्ब+ल्युट्] नकल, छद्मवेश, बनावटी विटङ्कः (पुं०) [विशेषेण टक्यते बध्यते इति-वि+टंक+घञ्] अजायब घर, चिड़ियाघर। धोखेबाजी, छल-प्रपञ्च। कलश, कंगूरा, छत के ऊपरी भाग की चोटी। क्लेश, कष्ट, संताप। चिह्न, मुद्रा। ०दुःख देना, निराश करना। विटङ्कित (वि०) [वि+टंक्+क्त] चिह्नित, मुद्रांकित। उपहार, हंसी उड़ाना। विट्चरः (पुं०) पालतू सूअर। विडम्बित (भू०क०कृ०) [विडम्ब+क्त] अनुकरण किया गया, विटपः (पुं०) [विटं विस्तारं वा पाति-पीबति-पा+क] वृक्ष, परिहास किया गया। तरु-विटं कामिनं पाति रमतीति विटपोऽयं च विटपो वृक्ष' । वेश। For Private and Personal Use Only
SR No.020131
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size23 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy