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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मदनोदारधनु मद्यजन्मन् (सुद० ८३) पुन्नागोचितप्रसंस्थानं मदनोदारचेष्टितम्।। (सुद०८३) मदनोदारधनु (नपुं०) कामदेव के धनुष। 'मदनस्य कामस्योदारं यद्धनुः'। मदनोपशब्दः (पुं०) कामजन्य शब्द। (जयो०वृ० १३/७८) मदप्रदन (वि०) मददात्री। (जयो०१० ११/७६) मदमत्त (वि०) उन्मत्त, कामवशीभूत। मदमत्तस्य तवाहर्निशमपि चित्तं युवतिरतम्। (जयो० २३/५८) मदमंदिरं (नपुं०) मदशाला। (जयो० ५/७८) मदमत्सरः (पुं०) मद एवं ईर्ष्या। (वीरो० १८/२७) मदमर्दनकर (वि०) परदर्पलोपी। (जयो०वृ० ११/२३) मदयोगः (पुं०) अहंकार का संयोग। (सुद०९६) मदवती (स्त्री०) मानशालिनी। (जयो० १६/६२) मदवारि (नपुं०) मदजल, कटजल। (जयो० १३/२५) मदहरणं (नपुं०) विषयवासना की समाप्ति। मदहरण (वि०) मद को हरने वाले। (सुद० १३६) प्रशमधर गणशरण जय मदन-मदहरण। (सुद० १३६) मदात (वि०) हर्ष युक्त। 'मदातं मदं हर्ष मतति प्राप्नोतीति मदातस्तं मदो मृगमदे मद्ये दानमुदगर्वरतसि इति वि (भक्ति०१८) अथवा, मुदा तं मुदा हर्षेण तमिति जिनविशेषणम्। (भक्ति० १८) मदातुर (वि०) कामातुर, प्रेमासक्त, रतिपीड़ा जनक। मदान्ध (वि०) मद में/विषयवासना में अंधा हुआ। (मुनि०१३) मदास्पदं (नपुं०) मद एवास्पद स्थानं, मद स्थान। (जयो० १६/४०) मदात (वि०) कामातुर, प्रेमासक्त। मदायुधं (नपुं०) काम अस्त्र, लावण्यमयी स्त्री। मदालयं (नपुं०) स्त्री योनि। कमल। मदारः (पुं०) [मद्+आरन्] उन्मत्त हाथी। सूअर। ०धतूरा। प्रेमी। ०कामुक। मदिः (स्त्री०) [मद्+इन्] पटेला, मैडा। मदित्व (वि०) मदकारी । (जयो० २/१२९) मदिर (वि०) माद्यति अनेन मद्करणे किरच। 'मादकता उत्पन्न करने वाली। आनन्द दायक, आकर्षक। मदिरः (पुं०) खैरवृक्ष। मदिरा (स्त्री०) [मदिर+टाप्] हाला। (जयो०वृ० १/८१) ०गरल। (जयो०वृ० १६/३१) ०कल्या। (जयो० ७/१७) ०शराब। मदिरागृहं (नपुं०) मद्यशाला। शराब स्थान। मदिरालयं देखो ऊपर। मदिरासखः (पुं०) आम्रतरु। मदिरास्वादनं (नपुं०) मद्यपान। (जयो० १६/२८) मदिष्ठा (स्त्री०) [अतिशयेन मदिनी इष्ठत् इनो लोपः, टाप्] कल्या, हाला, शराब। मदीय (वि०) [अस्मद्+छ-मदादेश:] मेरा, मुझसे संबद्ध। (दयो० ६७) 'मदीयं मांसलं देहं दृष्टवेयं मोहमागता' (सुद० १०१) मदीयकरयोगः (पुं०) मेरे हाथ के कारण। (सुद० १३४) मदीयत्व (वि०) मेरी-मदीयत्वं न चाङ्गेऽपि किं पुनर्वाह्यवस्तुषु। (सुद० १३२) मदीयभाषा (स्त्री०) मेरी वाणी। (वीरो० २/२१) मदीयहृदीष (वि०) मेरे मन के योग्य। (दयो० ६७) मदुक्तिः (स्त्री०) मेरा स्थान। (सुद० २/२९) मदोज्झित (वि०) मद रहित, अहंकार विहीन, निरभिमानता। (जयो० ११/७२) 'मदोज्झितो दानमयप्रवृत्ति' (सुद० २/२) मदोत्कर (वि०) मद की प्रचुरता, उन्मत्ता की अधिकता। (जयो० २४/१८) मदोदयान्वित (वि०) मद से परिपूर्ण। (समु० २/२६) मदोद्धत (वि०) मद युक्त, अहंकार से परिपूर्ण। (जयो०१३/९६) मद्गुः (पुं०) [मस्+उ] जलकाक, पनडुब्बी पक्षी। जंगली पशु। मद्गुरः (पुं०) [मद्+गुक्+उरच्] गोताखोर। मोती निकालने वाला। मद्य (वि०) [माद्यत्यनेन करणे यत्] ०मादक, आनन्ददायक, उल्लासमय। मद्यः (पुं०) शराब, सरक। कथ्य (जयो० १६/३६) मैरेय (जयो० १६/४८) (जयो०वृ० ११/७६) मदिरा (जयो० १६/२३) मद्यकीट: (पुं०) एक कृमि। मद्यजनः (पुं०) शराबी व्यक्ति। मद्यजन्मन् (पुं०) मद्य की उत्पत्ति। For Private and Personal Use Only
SR No.020130
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages450
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size24 MB
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