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तुरङ्गस्थानं
४४८
तुल्ययोगिता
तुरङ्गस्थानं (नपुं०) अस्तबल, अश्वशाला।
११/१५) 'हैमं तुलाकोटियुगं च मे तत्। (जयो०वृ० १५/७५) तुरङ्गस्कन्धः (पुं०) घोड़ों का समूह।
'हैमं तुलाकोट्योर्नूपुरयोर्युगः (जयो०पृ० १५/७५) तुरङ्गस्कन्धावारः (पुं०) अस्तबल।
तुलाकोशः (पुं०) तोल की परीक्षा। तुरङहेषित (वि०) घोड़ों की हिन-हिनाहट। पुनरत्रं तुरङ्गहेषितं तुलादानं (नपुं०) शरीर के समतुल्य तौलकर दान देना। स्वतितार सुतरामराजत। (जयो० १३/३५)
तुलाधरः (पुं०) १. व्यापारी, व्यवसायी, सौदागर। २. सादृश्यकर तुरायणं (नपुं०) अनासक्ति।
(जयो० १८/५७) तुरासाहः (पुं०) [ तुर+सह णिच्+क्विप] इन्द्र।
तलाधिरोपित (वि०) तराजू पर चढ़ाया हुआ। (जयो० २४/६६) तुरी (स्त्री०) [तुर् + इन्+ङीप्] नली, जुलाहे की नाल। ____ तुलाधिरोपितो यावदमानाश्रयोऽपि सन्। (जयो० ७/१२९) तुरीय (वि०) [चतुर्+छ, आद्यलोप:] चौथा, चतुर्थ। तुलान्तवत् (वि०) तराजू के दोनों प्रान्त की तरह। 'तुलाया तुरीव-वर्णः (पुं०) चतुर्थ वर्ण, शूद्र।
अन्तौ प्रान्तौ द्वौ तुलाप्रतिबद्धौ रत्' (जयो०व० २६/७७) तुरीयोपनिषद् (नपुं०) नौ उपनिषद में एक उपनिषद्। (दयो० तुलापुरुषः (पुं०) सोना, जवाहरात। २५)
तुलाप्रग्रहः (पुं०) तराजू की डोरी। तुरुष्कः (पुं०) यवन, मुसलमान, तुर्क लोग। (जयो० २८/२९, तुलाप्रतिबद्ध (वि०) तुलाप्रान्त। वीरो० १९/१०)
तुलामानं (नपुं०) तुला के समान भाग। तुर्य (वि०) चौथा, चतुर्थ। (जयो० १/६) तुर्यप्रकारत्व चतुर्दशत्व तुलायष्टिः (स्त्री०) तराजू की डंडी। (दयो० १/६)
तुलासूत्रं (नपुं०) तराजू की डोरी। तुल् (सक०) १. तोलना, मापना, २. उठाना, सोचना, तुलना | तुलित (वि०) १. तौला गया, २. सदृश, समान, एक सा
करना, परस्पर मिलान करना। ३. अल्प करना, छोटा (जयो०वृ० ५/१०) उपमित, वरावर। हेमतुलायास्तां किन्तु करना, हल्का करना। रूप-यौवन-गणादिकमन्यैः स्वजनोऽथ रत्नाञ्चितम्। (जयो० १५/८१) तुलयन्निह धन्यैः। (जयो० ५/१३)
तुल्य (वि०) [तुलया संमितं यत्] समान, सदृश, एकसा, एक तुलनं (नपुं०) १. तोलना, मापना, उठाना। २. तुलना करना। प्रकार का, सन्निभ (जयो०६/१८) सम, समान (जयो० तुलना (स्त्री०) तोलना, मापना।
४/५९, सुद० ४/४७) अनुरूप-भवन्निजापत्तिषु वज्रतुल्य: तुलनाकरणं (नपुं०) स्पर्धा करना, समानता करना। 'बाहुदण्डस्य (सम्य०७७) 'स्त्रैणं तृणं तुल्यमुपाश्रयन्तः' (सुद०११८) स्पर्धने तुलनाकरणे' (वीरो० ३.२६)
'स्निह्येत वत्सं प्रति धेनुतुल्य:' (सम्य० ३६) तुलनीय (वि०) मूल्यशालिनी। (जयो० १२/२२)
तुल्यकुलः (पुं०) समान वंश। (जयो०७० २३/२५) तुलसी (स्त्री०) [तुलां सादृश्यं स्यति नाशयति-तुला+सो+क+ तुल्यगुणः (पुं०) समान गुण। (जयो०वृ० १/२)
डोष] तुलसी का पौधा, औषधि पादप। ० नाम विशेष। तुल्यचर (वि०) सादृश्य गमनशील। तुलसीपत्रं (नपुं०) तुलसी का पत्र।
तुल्यजातिः (स्त्री०) समान जाति। तुलसीमाला (स्त्री०) तुलसी की माला।
तुल्यता (स्त्री०) समता (जयो० ४/५९) समानता, सादृश्यता, तुला (स्त्री०) [तोल्यतेऽनया-तुल्+अङ्+टाप्] १. तराजू, २. एक रूप वाला। (वीरो० २२।८)
तवर्ग युक्ता (जयो० ११/७८) ३. समानता. एकसा- तुल्यदर्शन (वि०) समदर्शी, सापेक्षदर्शी, समत्वदर्शी। काव्यस्य तुलां समानतमुपैति (वीरो०७० २/२६) पलशतं तुल्यदृष्टि (वि०) समदृष्टि। तुला (त०वा० ३/३८)
तुल्यधनं (नपुं०) समरूप में धन। तुलाकूटः (पुं०) कम तोलना।
तुल्यपानं (नपुं०) सहपान, सहभोग। तुलाकोटिः (स्त्री०) १. तराजू के अग्रभाग। (जयो० २/१४६) तुल्यप्रीति (स्त्री०) समान प्रीति, समान वात्सल्यता। २. नूपुर (जयो० १५/७५)
तुल्यभावः (पुं०) समान भाव। (जयो०७० ३/९७) तुलाकोटियुग (वि०) १. मञ्जरी युगला तुलाकोटयोर्युगं मञ्जरीयुगलं तुल्ययोगिता (वि०) एक अलंकार, एक ही विशेषण रखने
(जयो० ११/१५) २. पायजेव की जोड़ी (जयो०व० वाले कई पदार्थों का एक एकत्र संयोग।
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