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प्रावृषिक
७४२
प्राह
प्रावृषिक (वि०) [प्रावृषा ठञ्] वर्षों में उत्पन्न होने वाला। प्रावृषिज (वि०) [प्रावृषि जायते जन्+ड] वर्षा ऋतु में उत्पन्न। प्रावृषेण्य (वि०) [प्रावृष्+एण्य] वर्षा ऋतु में उत्पन्न, वर्षाऋतु
से संबद्ध। प्रावृषेण्यः (पुं०) कदम्बवृक्ष, कुटज तरु। प्रावृषेण्यं (नपुं०) बहुसंख्यायत, बाहुल्य, अधिक्य, प्राधान्य।
प्राचुर्य, अधिकता। प्रावृष्यं (नपुं०) वैडूर्यमणि, नीलम। प्रावेण्यं (नपुं०) ऊनी कम्बल। प्रावेशनं (वि०) [प्रवेशन+अण] रंगमंच पर उपस्थित होना। प्रावृज्यं (नपुं०) [प्रव्रज्या+यण] वैराग्य, विरागभाव की ओर
गमन। प्रावाज्यं (नपुं०) विरागभाव की ओर। प्रांशुतर (वि०) अति उन्नत। (जयो० १३/७) प्राशः (पुं०) [प्र+अश्+घञ्] स्वाद चखना, भोजन करना।
निर्वाह करना, पुष्ट होना। प्राशनं (नपुं०) [प्र+अश्ल्यु ट्] ०भोजन, अशन, आहार।
०पुष्ट होना, स्वाद चखना।
खिलाना चखाना। प्राशनीयं (नपुं०) [प्र+अश्+अनीयर] ०आहार, भोजन, अशन। प्राशित (भू०क०कृ०) [प्र+अश्+क्त] ०खाया हुआ, चखा
हुआ।
० जित, आहारित, उपभुक्त। प्राशितं (नपुं०) आहार दान, भोजन दान।
पिण्डदान। प्राश्निकः (पुं०) [प्रश्न+ठक्] ०परीक्षक, विवाचक।
न्यायधीश। प्राशुकत्व (वि०) निर्दोषत्व। (जयो० २।८२) प्रासः (पुं०) [प्र+अस्+घञ्] ०फेकना, डालना, त्यागना,
छोड़ना।
०बी. भाला, फलकदार अस्त्र। प्रासकः (पुं०) [प्रास+कन्] बी, भाला, फरसा। प्रासङ्गिक (वि०) [प्रसंग+ठक्] ०संयुक्त, सहज।
०आकस्मिक, आपाती, यदाकदा होने वाला। (जयो० २१/६८) ०सम्बंधानुकूल, अवसरानुसार।
उपाख्यान विषयक। प्रासनं (नपुं०) स्थान, स्थल, भूभाग। (जयो० ८/५४)
प्रासादः (पुं०) [प्रसीदन्ति अस्मिन्-प्रसद्+घञ्] भवन, महल।
राजभवन, उच्च भवन, उन्नत भवन। प्रासादकक्षं (नपुं०) भवन के कमरे! प्रासाद-घंटिका (स्त्री०) भवन का घंटा। प्रासाद-पृष्टः (पुं०) छज्जा। प्रासादप्रतिष्ठा (स्त्री०) भवन का नांगल, महल प्रतिष्ठा। प्रासादशुकः (पुं०) राज तोता, महल का तोता। प्रासाद-सोपानं (नपुं०) महल की सीढ़ियां। प्रासादशृङ्गं (नपुं०) मंदिर का उच्चभाग, महल का ऊपरी ___भाग कंगूरा, मीनार। प्रासिकः (पुं०) [प्रास्+ठक्] बर्थी युक्त, भालाधारक। प्रासुकः (पुं०) निर्जीव, पके हुए।
न्यदग्निसिद्ध फलपत्रकादि तत्प्रासुकं श्रीविभुना न्यगादि। यच्छुष्कतां चाभिदधत्तृणादि खादेत्त-देवासुमतेऽभिवादी।।
(वीरो० १९/३३) प्रासुकजलं (नपुं०) गरम किया गया जल। प्रासूतिक (वि०) [प्रसूति ठक्] प्रसव से सम्बंध रखने वाला। प्रास्कायिक (वि०) अङ्ग निरीक्षक यन्त्र। ०एक्सरे यन्त्र।
(वीरो० २०/८) प्रास्त (भू०क०कृ०) [प्र+अस्+क्त]० फेंका गया, चलाया गया।
बाहर निकाला गया।
निर्वासित किया गया। प्रास्ताविक (वि०) [प्रस्ताव ठक्] भूमिका का परिचय,
प्रस्तावना का काम देने वाला, भूमिका विषयक। प्रास्ताविकदृष्टिः (स्त्री०) भूमिका विषयक दृष्टि। प्रास्तविकवचनं (नपुं०) भूमिका में दिया गया विवरण।
०ऋतु के अनुकूल, अवसरानुसार।
सामायिक।
०संगत, प्रासंगिक, संबद्ध। प्रास्तुत्यं (नपुं०) [प्रस्तुत+ष्यञ्] विचार-विमर्श का विषय होना। प्रास्थानिक (वि०) [प्रस्थान-ठक्] प्रयाण से सम्बन्धित,
विदा के लिए उपयुक्त। प्रास्थिक (वि०) [प्रस्थ ठण] प्रस्थ सम्बंधी, तौल-माप
विषयक। प्रास्रवण (वि०) [प्रस्रवण+अण] झरने से उत्पन्न, स्रोत से
निकला हुआ। प्राह -कहा (सम्य० १०९)
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