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प्रक्षरणं
६७७
प्रगुणित
प्रक्षरणं (नपुं०) बहाव, स्राव, रिसना।
प्रत्यातिभी (स्त्री०) विधायिका। (जयो००० १२/३७) ०कम होना, मन्द, क्षीण, नुकसान हानि।
प्रगंडः (पुं०) [प्रकृष्टः गंडो यस्य] कोहनी के ऊपर कंधे तक प्रक्षल् (सक०) धोना, साफ करना, प्रमार्जन करना, स्वच्छ की भुजा। करना।
प्रगंडी (स्त्री०) [प्रगंड ङीष] परकोटा, बाहरी दीवार, प्राकार। प्रक्षालनं (नपुं०) [प्र+क्षल+कि+ल्युट] प्रमार्जन, साफ प्रगत (भू०क०कृ०) [प्र+गम्+क्त] आगे निकला हुआ, नि,सृत।
करना, स्वच्छ करना। (दयो० ११६) (जयो०वृ० २४/६५) पृथक्, अलग। प्रक्षालित (भू०क०कृ०) [प्र+क्षल्+णिच्+क्त] ०प्रमार्जित,
प्रगच्छत (वि०) चला। (वीरो० २०/२३) साफ किया गया, ०मांजागया। निपूत। (जयो०वृ०
प्रगतजानु (वि०) धनुष्पदी, घुटने पर मुड़ी हुई टांगों वाला। २४/६५)
प्रगमः (पुं०) [प्र+गम्+अप्] प्रगति, अभिव्यक्ति। प्रायश्चित्त किया गया।
प्रगमनं (नपुं०) [प्र+गम्+ल्युट्] प्रगति, आगे बढ़ना, अग्रसर प्रक्षिप् (सक०) फेंकना, निकालना, बहाना।
होना। प्रक्षिप्त (भू०क०कृ०) [प्रक्षिप्+क्त] फेंका गया, बहाया गया।
प्रग' (अक०) [प्र+गर्जु] अधिक दहाड़ना, गरजना। (दयो० १४) प्रवाहित किया गया, निकाला गया।
प्रगर्जनं (नपुं०) [प्र+ग+ल्युट्] दहाड़ना, गरजना, चिंघाड़ना। प्रक्षीण (भूक०कृ०) [प्र+क्षिप्+क्त] प्रहीन, प्रक्षय, क्षयगत,
प्रगल्भ (वि०) [प्रगल्भ+अच्] ०साहसी, उत्साही।
परिपक्व, विकसित, पूरा बढ़ा हुआ। नष्ट हुआ। लुप्त, ओझल, समाप्त।
कुशल, निपुण, प्रवीण।
उद्भार। (जयो०वृ० १/७८) प्रक्षुण्ण (वि० ) कुचला, दबाया, दबोचा।
०चारु, रमणीय। (जयो० १६/४४) प्रक्षेपः (पुं०) [प्र+क्षप्+घञ्] फेंकना, डालना, बखेरना,
०वाक्पटु, चतुर, निपुण। उभारना।
गौरवशाली। ०धनराशि।
घमण्डी, अहंकारी। प्रक्षेपकः (पुं०) प्रवेशन, रखना, निक्षेप करना।
प्रगल्भता (वि०) विदग्धत्व, चातुर्य। (जयो० १६/५१) मधुनाप प्रक्षेपणं (नपुं०) [प्र+क्षिप्+णिच ल्युट्] निक्षेपण, रखना,
च रमणी यत्प्रगल्भतां वक्रवाक्यरमणीयः। (जयो० १६/५२) डालना, उड़ेलना।
प्रगाढ (भू०क०कृ०) [प्र+गा+क्त] ०दृढ़, मजबूत। प्रक्षेपाहारः (पुं०) कवल या ग्रास लेना।
०कठोर, कठिन प्रक्षोभणं (नपुं०) [प्र-क्षुभ् ल्युट्] क्षोभ, उत्तेजना, व्याकुलता।
०तीक्ष्ण। प्रक्ष्वेडनः (पुं०) [प्र+क्ष्विड्+णिच्+क्त] अयस्क बाण।
०अत्यधिक, अति। __०हल्लागुल्ला, कोलाहल।
प्रगातृ (पुं०) [प्र+गै+तृच्] सुगीतज्ञ, गायक। प्रखर (वि०) [प्रकृष्टः खर] ०अत्यन्त कठोर, कठिन, ठोस। प्रगुण (वि०) [प्रकर्षण गुणो यत्र] ०खरा, स्पष्ट, सीधा, सरल। ____ तीक्ष्ण, गन्ध युक्त।
उत्तम गुण युक्त। प्रख्य (वि०) [प्र+ख्या+क] प्रत्यक्ष, स्पष्ट, स्वच्छ साफ, विशद। ०कुशल, प्रवीण, चतुर, परिपक्व। प्रख्या (स्त्री०) [प्र+ख्या+अङ+टाप्] ०विख्यात, प्रसिद्धि, प्रगुण-प्रणीति (स्त्री०) टेढ़ी-मेढ़ी कुटिलता। भद्रे त्वमद्रेरिव यश, कीर्ति।
मार्गेरीतिं प्राप्ता किलास्य प्रगुणप्रणीतिम्। (सुद० १२०) प्रत्यक्षता, दृश्यता।
प्रगुण प्रश्रय (वि०) प्रकृष्ट गुणों का आधार। 'प्रगुणानामुत्तमानां उखाड़ना।
गुणानां प्रश्रयः समाश्रयोः यद्वा प्रगुणेषु महापुरुषेषु प्रश्रयः ०समानता, समरूपता, सादृश्यता।
प्रेमभावः। (जयो० १९/६५) प्रख्यात (भू०क०कृ०) [प्र+ख्या+क्त] ०प्रसिद्ध, विख्यात, | प्रगुणित (वि०) [प्र+गुण+क्त] सीधा किया हुआ, समतल विश्रुत। ०आनन्द, सुख, हर्ष।
किया हुआ। प्रख्याति: (स्त्री०) [प्र+ख्या+क्तिन्] कीर्ति, यश, प्रसिद्धि। चिकना किया हुआ।
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