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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir न्यंचनं ५८७ न्यूनं नीच, घृणा योग्य। मन्थर, आलसी। न्यंचनं (नपुं०) वक्र, टेड़ा, कुटिल। न्यत् (वि०) व्यतीत। (सुद० ४/४७) न्यपत् (वि०) गिराया। (सुद० १२२) न्यमीलत् (वि०) जपा, फेरा गया। (जयो० ६/५५) न्यस्त (भू०क०कृ०) समानीय, लाया गया। ० फेंका गया, लिटाया गया। (जयो० २७/४३) ०अन्तर्हित, प्रयुक्त। ०वर्णित, चित्रित। उत्सृष्ट, विसर्जित। न्यस्तदेह (वि०) विसर्जित शरीर, मृतकाय। न्यस्तशस्त्र (वि०) प्रयुक्त शस्त्र, निरस्त्र, अरक्षित। न्यस्य (वि०) प्रीतिजनक। (दयो० ४/५८) न्याक्यः (पुं०) मुमुरे, धानी, धान्य लाजा। न्यादः (पुं०) [नि+अद्+ण] भोजन कराना, आहार देना। न्ययोज (वि०) नियुक्त करना, बिठाना, स्थापित करना। (जयो० २६/३) न्यवारि (वि०) बार, बार रोका गया। (जयो० १९/१५) न्यायः (पुं०) [नियन्ति अनेन नि-इ+घञ्] रीति, प्रणाली, पद्धति, योजना, क्रियान्विति, औचित्य। (सम्य० १२१) ०कानून, न्यायपद्धति, नैतिकता की पद्धति। ०शासन व्यवस्था, दण्ड व्यवस्था। विश्वव्यापी नियम। न्याया मुक्तिः। न्यायः सिद्धान्तः। ०अनुष्ठान। प्रमाण से प्रमेय की संगति। 'नयः प्रमाणात्मको न्यायः, निपूर्वादिण् गतौ इत्यस्माद् धातो करणे घञ्प्रत्यये न्यायशब्द सिद्धिः। (जैन०ल०पृ० ६५३) प्रमाणेन प्रमेयस्य घटना। न्याय-काव्यं (नपुं०) ०नीतिकाव्य, अनुष्ठान काव्य, सिद्धान्त ग्रन्थ। न्यायगत (वि०) पद्धति को प्राप्त, न्याय/कानून को प्राप्त। न्यायचर (वि०) न्यायपालक। न्यायपथ (पुं०) न्यायमार्ग। 'न्यायस्य समौचित्यस्य यः पन्था मार्गः। (जयो० २७/६१) न्यायपद्धतिः (स्त्री०) नैतिक पद्धति, नियम सम्बंधी योजना। (जयो० ३/७) न्यायमार्गानुयायी (वि.) नीतिमान, नीतिज्ञ, विचारक। (जयो०वृ० ३/१०८) न्याययुक्त (वि०) तर्क संग्रह, युक्तियुक्त, सदाचरणशील। (जयो० ९/१०) न्यायशास्त्र (नपुं०) तर्क विज्ञान, तर्कशास्त्र। न्यायशील (वि०) सिद्धान्त पालक। न्यायसम्मत (वि०) पुनीतपथ, सच्चामार्ग, तर्क संगत। (जयो० ७/९०) न्यायिन् (वि०) नीतिमार्गश्रयणी, नीतिमार्गानुगामी।(जयो० ७/७६) न्यायाधिपः (पुं०) न्यायधीश, न्यायप्रमुख। (वीरो० १८/५१) न्यायोचित (वि०) नैतिकतापूर्ण। न्यायोचिते भोगपदेऽपकर्षः, सन्तोष एवास्य वृथा न तर्षः। (सम्य० ९९) न्यायोपार्जित (वि०) न्यायपूर्वक कमाया गया, यथोचित, यथाशक्य। (जयो०वृ० २/९१) न्याय्य (वि०) [न्याय+यत्] उचित, श्रेष्ठ, तर्कसंगत, प्रामाणिक, सारगर्भित, उपयुक्त, योग्य। ०सामान्य, प्रचलित। न्याप्यात्पथः (पुं०) न्यायोचितमार्ग। न्याय्यात्पथो नैवमथावसन्नः __ कर्त्तव्यमओत्सततं प्रसन्नः।। (वीरो० १७/१०) न्यासः (पुं०) [नि+अस्+घञ्] रखना, धरोहर, संकलन, निक्षेप, प्रदान। स्वर्णमूर्तिः कवितेयमार्या लसत्पदन्यासतयेव भार्या। (वीरो० १/२७) न्यासहेतुः (पुं०) चरण प्रदान कारण। न्यासिन् (पुं०) [न्यास्+इनि] कर्म रहित। न्युरव (वि०) मनोहर, सुन्दर। न्यायापहरणं (नपुं०) धरोहर का अपहरण। न्यस्यते रक्षणरयान्यस्मै समर्प्यत इति न्यासः सुवर्णादिः तस्यपहरणमलापः। न्यासापहारः (पुं०) विस्मरण कृत धरोहर का अपहरण। 'न्यासापहारे विस्मरणकृत परनिक्षेपग्रहणम्' प्रिय उचित, ठीक। न्युब्ज (वि०) [नि+उब्ज+अच्] अवनत, झुका गया, मुड़ा हुआ। न्यून (वि०) [नि+ऊन्+अच्] ०कम, घटाया हुआ, कम किया हुआ। नीच, निम्न, दुष्ट, निन्दनीय दुराचारी। न्यूनं (अव्य०) कम, थोड़ी मात्रा में, स्वल्प। For Private and Personal Use Only
SR No.020130
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages450
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size24 MB
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